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उर्वरक की किल्‍लत से जूझ रहे नेपाल को भारत ने दी राहत, बांग्लादेश से आने वाली खेप के लिए देगा रास्‍ता

रासायनिक उर्वरक की किल्‍लत से जूझ रहे नेपाल को भारत ने बड़ी राहत दी है। भारत ने बांग्लादेश से उर्वरक मंगवाने के लिए नेपाल को भारतीय क्षेत्र के इस्तेमाल की अनुमति दे दी है। 27 हजार मीट्रिक टन उर्वरक की आपूर्ति बांग्लादेश से नेपाल को होनी है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 15 Feb 2021 07:39 PM (IST)Updated: Mon, 15 Feb 2021 11:21 PM (IST)
उर्वरक की किल्‍लत से जूझ रहे नेपाल को भारत ने दी राहत, बांग्लादेश से आने वाली खेप के लिए देगा रास्‍ता
रासायनिक उर्वरक की किल्‍लत से जूझ रहे नेपाल को भारत ने बड़ी राहत दी है।

नई दिल्ली, आइएएनएस। रासायनिक उर्वरक की किल्‍लत से जूझ रहे नेपाल को भारत ने बड़ी राहत दी है। भारत ने बांग्लादेश से उर्वरक मंगवाने के लिए नेपाल को भारतीय क्षेत्र के इस्तेमाल की अनुमति दे दी है। यह जानकारी ऑल इंडिया रेडियो ने दी है। कुछ समय में 27 हजार मीट्रिक टन उर्वरक की आपूर्ति बांग्लादेश से नेपाल को होनी है। यह आपूर्ति रोहनपुर-सिंघाबाद रेलमार्ग के जरिये होगी। इसके बाद 25 हजार मीट्रिक टन उर्वरक की आपूर्ति भी इसी मार्ग से होगी।

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काठमांडू पोस्ट अखबार के अनुसार नेपाल में उर्वरक की कमी को देखते हुए बांग्लादेश से आपात खरीद की जा रही है। उर्वरक आयात की यह आपात योजना इसलिए बनाई गई, क्योंकि केपी शर्मा ओली सरकार की देश में उर्वरक की समुचित उपलब्धता की सारी घोषणाएं खोखली साबित हुई हैं और देश को उर्वरक की किल्लत झेलनी पड़ रही है। नेपाल के कृषि क्षेत्र को मुश्किल से निकालने के लिए उसे अविलंब उर्वरक की आपूर्ति आवश्यक है।

उल्लेखनीय है कि नेपाल की अर्थव्यवस्था में कृषि का बड़ा योगदान है। कृषि उपज कम होने का सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। सूत्रों के अनुसार भारत पूरे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए प्रयास कर रहा है। इसी के तहत वह पड़ोसी देशों के बीच होने वाले व्यापार को बढ़ावा देने के लिए अपनी धरती से होकर मार्ग उपलब्ध करा रहा है। इससे माल पहुंचने का समय और भाड़ा कम हो जाएगा। इसका दोनों देशों को फायदा मिलेगा, क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को ताकत मिलेगी।

माना जा रहा है कि भारत के इस तरह से व्यापार के लिए अपनी धरती उपलब्ध कराने से उसके नेपाल के साथ संबंध और मजबूत होंगे। भाजपा प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने इसे दोनों देशों के सांस्कृतिक और व्यापारिक संबंधों के लिए उत्साहजनक बताया है। बीते दिनों आई एक रिपोर्ट के मुताबिक नेपाल के व्यापारियों का आरोप है कि चीन ने अघोषित नाकाबंदी कर दी है और अपने यहां से नेपाल सामान नहीं आने दे रहा है। काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 16 महीने से नेपाली व्यापारियों के सामान के लदे कंटेनर चीन की सीमा पर फंसे पड़े हैं।  


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