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    India-China Relations: Xu Feihong हो सकते हैं भारत में चीन के नए राजदूत, चीनी राष्ट्रपति ने नियुक्ति की दी मंजूरी!

    चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग (Chinese President Xi Jinping) ने वरिष्ठ राजनयिक जू फीहोंग (Xu Feihong) को भारत का नया राजदूत नियुक्त किया है। फीहोंग अनुभवी चीनी राजनयिक सन वेइदोंग का स्थान लेंगे। जू फीहोंग की नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब भारत और चीन सैन्य तनावों को कम करने के लिए पिछले कई महीनों से वार्ता कर रहे हैं।

    By Agency Edited By: Sonu Gupta Updated: Tue, 07 May 2024 05:52 PM (IST)
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    Xu Feihong हो सकते हैं भारत में चीन के नए राजदूत। फाइल फोटो।

    पीटीआई, बीजिंग। भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में जारी सैन्य गतिरोध के बीच, चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग (Chinese President Xi Jinping) ने वरिष्ठ राजनयिक जू फीहोंग (Xu Feihong) को भारत का नया राजदूत नियुक्त किया है। फीहोंग अनुभवी चीनी राजनयिक सन वेइदोंग का स्थान लेंगे। समाचार एजेंसी पीटीआई ने यह जानकारी दी है।

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    कब संभालेंगे कार्यभार?

    मालूम हो कि चीन ने अभी इसका आधिकारिक घोषणा नहीं किया है। हालांकि, पीटीआई ने चीनी विदेश मंत्रालय के हवाले से बताया कि जू फीहोंग को भारत का नया राजदूत नियुक्त किया गया है और वह जल्द ही अपनी नई पोस्टिंग संभालने के लिए नई दिल्ली आएंगे। इससे पहले जू फीहोंग अफगानिस्तान और रोमानिया में राजदूत रह चुके हैं।

    सैन्य गतिरोध कम करने पर जोर

    जू फीहोंग की नियुक्ति ऐसे समय में हुई है, जब भारत और चीन सैन्य तनावों को कम करने के लिए पिछले कई महीनों से वार्ता कर रहे हैं। मालूम हो कि पैंगोंग त्सो झील (Pangong Tso lake) क्षेत्र में भारतीय और चीनी सेना के बीच 5 मई, 2020 को पूर्वी लद्दाख सीमा पर गतिरोध पैदा हो गया था, जिसके बाद दोनों देशों के बीच व्यापार को छोड़कर सभी संबंध ठंडे पड़े हुए थे। पूर्वी लद्दाख गतिरोध के कारण द्विपक्षीय संबंधों में भी रुकावट आ गई है। गतिरोध को सुलझाने के लिए दोनों पक्ष अब तक कोर कमांडर स्तर की 21 दौर की वार्ता कर चुके हैं।

    विदेश मंत्री ने चीन पर क्या कहा था?

    विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के साथ जारी गतिरोध पर हाल ही में कहा था कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों के साथ कोई समझौता नहीं कर सकता है। चीन को यह समझना होगा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव का बने रहना ना तो भारत के हित में है और ना ही चीन के। लेकिन यहां भी भारत का रुख आगे भी इसी बात पर निर्भर करेगा कि चीन एलएसी पर तनाव को दूर करने के लिए क्या कदम उठाता है।

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