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हवा में पाया गया कोरोना का जेनेटिक मटेरियल, कैसे कम होगा जोखिम, वैज्ञानिकों ने दी यह सलाह

कोरोना वायरस को लेकर आए दिन नए नए खुलासे हो रहे हैं। वैज्ञानिकों ने हवा में कोरोना वायरस की आनुवंशिक सामग्री की उपस्थिति पता लगाया है। जानें बचने के उपाय...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 27 Apr 2020 08:07 PM (IST)Updated: Tue, 28 Apr 2020 01:27 AM (IST)
हवा में पाया गया कोरोना का जेनेटिक मटेरियल, कैसे कम होगा जोखिम, वैज्ञानिकों ने दी यह सलाह
हवा में पाया गया कोरोना का जेनेटिक मटेरियल, कैसे कम होगा जोखिम, वैज्ञानिकों ने दी यह सलाह

बीजिंग, पीटीआइ। वैज्ञानिकों ने हवा में कोरोना वायरस की आनुवंशिक सामग्री की उपस्थिति पता लगाया है। लेकिन, वे कहते हैं कि यह स्पष्ट नहीं है कि इन वायरल कणों से बीमारी हो सकती है या नहीं। वुहान, चीन में दो अस्पतालों और कुछ सार्वजनिक क्षेत्रों के आसपास के वातावरण की निगरानी करके शोधकर्ताओं ने कोरोना वायरस आरएनए के लिए हॉटस्पॉट का पता लगाया। इन शोधकर्ताओं में वुहान विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक भी शामिल थे। नेचर पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, इस पदार्थ में किसी को संक्रमित करने की क्षमता है या नहीं, यह फिलहाल स्पष्ट नहीं है।

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हालांकि अध्ययन के लिए नमूने का आकार छोटा था। निष्कर्ष निकालने के लिए 31 स्थानों से 40 से कम नमूने लिए गए थे। शोधकर्ताओं के अनुसार, पर्याप्त स्वच्छता, हवा की अच्छी आवाजाही और कम लोगों की भीड़ वायरस के जोखिम को कम कर सकती है।

वैज्ञानिक के. लान और उनकी टीम ने फरवरी और मार्च 2020 के दौरान कोविड-19 के रोगियों के इलाज के लिए दो सरकारी अस्पतालों के आसपास एरोसोल जाल स्थापित किए। इनमें गंभीर बीमारी वाले रोगियों के लिए ग्रेड-ए तृतीयक अस्पताल और हल्के लक्षणों वाले रोगियों के लिए क्षेत्र अस्पताल शामिल था। अध्ययन से पता चला कि जिस इलाके में चिकित्साकर्मी सुरक्षात्मक उपकरण रखते थे, वहां आरएनए की मौजूदगी ज्यादा पाई जाती थी। वैज्ञानिकों ने कहा कि स्वच्छता के प्रयासों में वृद्धि के बाद चिकित्सा कर्मचारियों के क्षेत्रों में हवाई सार्स-सीओवी -2 आरएनए का कोई उल्लेखनीय प्रमाण नहीं मिला।

यही नहीं इटली के वैज्ञानिकों ने वायु प्रदूषण के कणों पर कोरोना वायरस का पता लगाया है। वैज्ञानिक यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या कोरोना वायरस वायु प्रदूषण के जरिये अधिक दूरी तक जाने में सक्षम हो सकता है और लोगों को संक्रमित कर सकता है। हालांकि अभी तक यह ज्ञात नहीं है कि वायरस प्रदूषण के कणों पर कितनी मात्रा में रह सकता है कि बीमारी का कारण बन सके। इटली के बोलोग्ना विश्वविद्यालय के लियोनार्डो सेट्टी ने कहा कि यह जांच करना महत्वपूर्ण है कि क्या वायु प्रदूषण वायरस को अधिक व्यापक कर सकता है। 


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