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    चीन में कोरोना के दोबारा बढ़ते मामलों के बाद सख्त पाबंदियां, यात्रा और आवाजाही पर लगा प्रतिबंध

    By Shashank PandeyEdited By:
    Updated: Mon, 07 Jun 2021 11:16 AM (IST)

    चीन के ग्वांगझोउ में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने के बाद नई पाबंदियां लगा दी गई हैं। यात्रा और आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। यहां के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ानें रद कर दी गई हैं। इसके साथ ही कई और प्रतिबंध भी लगाए गए हैं।

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    चीन में दोबारा बढ़ रहे कोरोना वायरस के मामले।(फोटो: दैनिक जागरण)

    बीजिंग, आइएएनएस। चीन में एक बाऱ फिर से कोरोना के मामले बढ़ने लगे हैं। चीन के ग्वांगझोउ में कोरोना संक्रमण के मामले ब़़ढने के बाद नई पाबंदियां लगा दी गई हैं। यहां लोगों की यात्रा और आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। यहां के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से उ़ड़ानें रद कर दी गई हैं। चीन के ग्वांगझोउ में अधिकारियों ने लोगों से कहा है कि वे तब तक शहर न छोड़ें जब तक कि देश मे कोरोना के दोबारा बढ़ते मामलों के बीच उनकी यात्रा बिल्कुल आवश्यक ना हो। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, कोविड -19 नियंत्रण और रोकथाम पर शहर के मुख्यालय ने ये भी कहा कि सोमवार से ग्वांगझोउ छोड़ने वालों को य़ात्रा करने से पहले 48 घंटे के अंदर नेगेटिव न्यूक्लिक एसिड परीक्षण परिणाम देना होगा।

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    ग्वांगझू शहर में शनिवार को कोरोना के सात स्थानीय रूप से प्रसारित मामले और तीन स्थानीय रूप से प्रसारित बिना लक्षण वाले कोरोना संक्रमण दर्ज किए गए। इसके साथ ही यहां बाहर से आए 7 कोरोना के मामले भी सामने आए हैं। अधिकारियों के अनुसार, बाहरी देशों से आए सभी मामले बांग्लादेश, कंबोडिया, फ्रांस, कनाडा, कैमरून और भारत से ग्वांगडोंग में आए हैं। 21 मई को ग्वांगझू शहर में कोरोना के नए मामले सामने आने के बाद ने अब तक कुल 94 नए वायरस संक्रमणों की सूचना है, जिसमें 80 कोरोना के पुष्ट मामले शामिल हैं।

    दिसंबर 2019 में हुबेई प्रांत के वुहान शहर में कोरोना महामारी का पहला मामला सामने आने के बाद से चीन में अब तक कुल 91,248 कोरोना वायरस मामले और 4,636 मौतें हुई हैं।

    चीन पर बढ़ रहा दबाव

    चीन ने कोरोना संक्रमण का पहला मामला सामने आने की आधिकारिक घोषणा दिसंबर, 2019 में की गई थी। कोरोना वायरस की उत्पत्ति का सच पता लगाने के लिए चीन पर शिकंजा कसता जा रहा है। अमेरिका से लेकर कई वैज्ञानिकों द्वारा इसका सच सामने लाने और इसकी जांच का दबाव चीन पर लगातार बढ़ रहा है।

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