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    China: चीनी सेना को चाहिए युद्ध में फैसले लेने की ताकत, पीएलए ने किया नए कानून की मांग

    By AgencyEdited By: Shashank Mishra
    Updated: Sat, 11 Mar 2023 08:48 PM (IST)

    पीएलए प्रतिनिधि तर्क देते हैं कि देश की युद्धकालीन जरूरतों को ध्यान में रखते हुए युद्धकालीन कानून बनाया जाना चाहिए और सेना के विदेशी ऑपेरशनों के संबंध में विधायी बदलाव लाए जाने चाहिए। जिससे चीनी सेना की युद्ध में फैसले लेने की ताकत बढ़े।

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    चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के पास एनपीसी में बड़ी संख्या में पीएलए के प्रतिनिधि हैं।

    बीजिंग, पीटीआई। एक तरफ ताइवान और विभिन्न मुद्दों को लेकर चीन और अमेरिका में तनाव बढ़ रहा है, वहीं दूसरी तरफ चीनी सेना चाहती है कि देश में ऐसा युद्धकालीन कानून बने जिससे सेना को युद्ध के दौरान फैसले लेने की अधिक ताकत मिले। हांगकांग स्थित साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट अखबार ने जानकारी कि चीन की विधायिका नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (एनपीसी) में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के प्रतिनिधियों ने आह्वान किया कि एनपीसी के मौजूदा सत्र में ही युद्धकालीन परिस्थितियों से संबंधित कानून लाया जाना चाहिए।

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    विदेशी गतिविधियों को कानूनी जामा पहनाना चाहती है सेना

    चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के पास एनपीसी में बड़ी संख्या में पीएलए के प्रतिनिधि हैं। पीएलए प्रतिनिधि तर्क देते हैं कि देश की युद्धकालीन जरूरतों को ध्यान में रखते हुए युद्धकालीन कानून बनाया जाना चाहिए और सेना के विदेशी ऑपेरशनों के संबंध में विधायी बदलाव लाए जाने चाहिए। बता दें चीनी सेना की विदेशी गतिविधियों में काफी बढ़ोतरी हुई है। चीन ने हाल ही में अफ्रीका के हॉर्न में अपना सैन्य अड्डा बनाया है और अदन की खाड़ी और सोमालिया के तट पर नौसैनिक एस्कॉर्ट मिशन बनाया है।

    चीनी-अमेरिकी तनाव के बीच सेना मांग रही अधिक ताकत

    चीन की दक्षिणी थिएटर कमांड के पूर्व कमांडर युआन युबाई ने कहा कि देश को सेना के विदेशी मिशनों की "तर्कसंगतता और वैधता" में सुधार पर सोच-विचार करना चाहिए और राष्ट्रीय रक्षा से संबंधित अंतरराष्ट्रीय कानूनों का अध्ययन करना चाहिए। उनकी यह टिप्पणी ताइवान स्ट्रेट और दक्षिण चीन सागर को लेकर बढ़े तनाव के बीच आई है। चीन ताइवान को अपने अलग हुए प्रांत के रूप में देखता है जो एक दिन उससे जुड़ जाएगा।

    चीन का दावा है कि उसके उभार को रोकने के लिए अमेरिका ताइवान का "मोहरे" के रूप में उपयोग कर रहा है। सैन्य कानून विशेषज्ञ कहते हैं कि युद्धकालीन कानून की मांग के पीछे ताइवान एक बड़ी वजह है। चीन ने हाल के वर्षों में सेना से संबंधित कई कानूनी प्रावधान किए हैं।

    इनमें सीमाओं पर पर्यवेक्षण बढ़ाने के लिए सैन्य सेवा कानून और राष्ट्रीय रक्षा कानून में संशोधन शामिल है। इसके अलावा पिछले महीने चीनी सांसदों ने एक प्रस्ताव को मंजूरी दी। इस प्रस्ताव में सेना को ताकत दी गई है कि यह युद्ध के दौरान आपराधिक प्रक्रिया कानून लागू करने के तरीके बदल सकती है।