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    तिब्बत में कम्युनिस्ट पार्टी का नेतृत्व बरकरार रखेगा चीन

    By Pooja SinghEdited By:
    Updated: Sat, 22 May 2021 02:23 PM (IST)

    चीन का कहना है कि वह तिब्बत के विकास और स्थानीय लोगों को समाजवाद के रास्ते पर ले जाने के लिए वहां कम्युनिस्ट पार्टी का नेतृत्व बरकरार रखेगा। चीनी कब्जे का विरोध करते हुए दलाई लामा 1959 में तिब्बत छोड़कर भारत आ गए।

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    तिब्बत में कम्युनिस्ट पार्टी का नेतृत्व बरकरार रखेगा चीन

    बीजिंग, रायटर। चीन का कहना है कि वह तिब्बत के विकास और स्थानीय लोगों को समाजवाद के रास्ते पर ले जाने के लिए वहां कम्युनिस्ट पार्टी का नेतृत्व बरकरार रखेगा। तिब्बत के पार्टी सचिव वु यिंगजी ने कहा कि पहली और सबसे बड़ी बात है कि हमें चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का नेतृत्व बरकरार रखना चाहिए। सैन्य अतिक्रमण को तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति बताते हुए वु ने कहा कि 1951 के बाद से हर किसी को लगता है कि सिर्फ पार्टी नेतृत्व ही तिब्बत को समृद्धि और विकास के मार्ग पर ले जा सकता है। चीनी सैनिकों ने 1950 में तिब्बत में प्रवेश किया था और इसके एक साल बाद चीनी सरकार ने औपचारिक रूप से इस क्षेत्र और यहां के बौद्ध समुदाय का नियंत्रण अपने हाथों में ले लिया।

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    चीनी कब्जे का विरोध करते हुए दलाई लामा 1959 में तिब्बत छोड़कर भारत आ गए। पिछले कुछ वर्षो में तिब्बती समुदाय के प्रति अंतरराष्ट्रीय समर्थन बढ़ा है। अमेरिका के नेतृत्व में अधिकार समूह और विभिन्न सरकारों ने फिर से तिब्बत का समर्थन करना शुरू कर दिया है। पिछले साल दिसंबर में अमेरिकी संसद ने तिब्बत नीति और समर्थन विधेयक पारित किया। इसमें तिब्बत के लोगों को अगला दलाई लामा चुनने का अधिकार देने की मांग की गई है।