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    आर्कटिक महासागर में 'पोलर सिल्क रोड' के निर्माण के लिए आगे बढ़ा चीन

    By Monika MinalEdited By:
    Updated: Fri, 05 Mar 2021 04:25 PM (IST)

    विस्तारवादी नीति पर चलते हुए चीन अब आर्कटिक में भी प्रभाव बढ़ाने लगा है। इसके तहत उसने यहां पोलर सिल्क रोड के निर्माण की अपनी गतिविधियों की शुरुआत कर दी है। चाइना पीपुल्स पार्टी ने अपने आगामी पांच सालों की योजना के तहत ये घोषणा की है।

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    आर्कटिक महासागर में 'पोलर सिल्क रोड' के निर्माण के लिए चीन ने उठाया कदम

    बीजिंग, रॉयटर्स। जलवायु परिवर्तन के कारण आर्कटिक महासागर का बर्फ से ढका हिस्सा पिघल गया है और चीन वहां अपना प्रभाव बढ़ा रहा है। इसके तहत उसने पोलर सिल्क रोड के निर्माण की गतिविधियों को शुरू कर दिया है। दरअसल   वह अपने बेल्ट ऐंड रोड इनिशटिव (BRI) का दायरा आर्कटिक क्षेत्र तक फैलाना चाहता है। इसका खुलासा वहां के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने काफी पहले ही कर दिया था। चीन इसके जरिए अपना  शिपिंग मार्ग विकसित करेगा, जो क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन से खुल गए हैं। इससे आर्कटिक क्षेत्र की चिंता बढ़ गई है। इन्हें इस बात की आशंका है कि चीन आगे चलकर यहां सेना की तैनाती भी कर सकता है। 

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    शुक्रवार को प्रकाशित अपने नए 2021-2025 के पांच साल की योजना में इसने कहा कि चीन पोलर सिल्क रोड का निर्माण करेगा और आर्कटिक व अंटार्कटिक क्षेत्र के विकास में सक्रियता से हिस्सा लेगा। पिछले साल के अंत में चीन ने ऐसे योजना की भी घोषणा की थी जिसमें आर्कटिक में समुद्री बर्फ के बदलाव व शिपिंग मार्गों को ट्रैक करने के लिए नए सैटेलाइट लॉन्च करेगी। इसने 2022 में ऐसे सैटेलाइट को लॉन्च करने की योजना बनाई है। राष्ट्रीय आर्थिक व सामाजिक विकास के लिए योजनाओं को चीन की नेशनल पीपुल्स कांग्रेस के पास पेश किया गया है। बता दें कि देश के संसद का वार्षिक सत्र शुक्रवार को शुरू किया गया। 

    2018 में जारी किए गए श्वेत पत्र में कहा गया था कि चीन इस क्षेत्र में तेल, गैस, खनिज संसाधनों, फिशिंग और पर्यटन का विकास करना चाहता है। इसके लिए चीन आर्कटिक स्टेट्स के साथ मिलकर काम करेगा और इस दौरान आर्कटिक के निवासियों की परंपरा और संस्कृति का सम्मान व संरक्षण किया जाएगा।

    चीन ने BRI की शुरुआत 2013 में की थी जिसका उद्देश्य साउथ ईस्ट एशिया, सेंट्रल एशिया, खाड़ी क्षेत्रों, अफ्रीका व यूरोप  से जुड़ना है।  इसके लिए वह दर्जनों देशों के साथ मिलकर बड़े पैमाने पर इंफ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट पर काम कर रहा है। BRI के मामले में भारत विरोधी ही रहा है।

     

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