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    China Taiwan Tension: ताइवान की चीन को दो-टूक; किसी दबाव में झुकने वाले नहीं, दुनिया से अपने संबध करेंगे मजबूत

    ताइवान ने साफ कर दिया है कि वह चीन की धमकियों से डरने वाला नहीं है। ताइवान का कहना है कि वह वैश्विक स्तर पर अपने संबंधों को मजबूत करने से पीछे नहीं हटेगा। वह किसी दबाव में झुकने वाला नहीं है।

    By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Sun, 04 Sep 2022 10:06 PM (IST)
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    ताइवान ने कहा है कि वह चीन की धमकियों के बावजूद वैश्विक स्तर पर अपने संबंधों को मजबूत करेगा।

    बर्लिन, एजेंसी। ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन ने शुक्रवार को संकल्प लिया कि वह चीन की धमकियों के बावजूद वैश्विक स्तर पर अपने संबंधों को मजबूत करेंगी। एक कार्यक्रम में अपने वीडियो संदेश में राष्ट्रपति ने जोर देकर कहा कि वह किसी दबाव में झुकने वाली नहीं। ताइवान और यहां के लोग लोकतांत्रिक सरकारों से सहयोग बढ़ाने को तैयार हैं। फोरम 2000 फाउंडेशन को संबोधित करते हुए शुक्रवार को ताइवानी राष्ट्रपति ने फोरम के कार्यकारी निदेशक जैकब क्लेपल और उनके साथियों को ताइवानी लोकतंत्र को समर्थन देने के लिए धन्यवाद दिया।

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    ताइवानी राष्ट्रपति का दावा, यूक्रेन के लोग भी कर रहे समर्थन

    साई ने कहा कि पिछले महीने जब चीन ने ताइवानी फाउंडेशन को लोकतंत्र के समर्थन के लिए दंडात्मक कार्रवाई की धमकी दी थी, तो यह पहला संगठन था जिसने मानवाधिकार और स्वतंत्रता पर हमला करने के लिए चीन की निंदा की थी। साई ने कहा कि यूक्रेन के लोग भी रूस के खिलाफ देश का बहादुरी से समर्थन कर रहे हैं।

    ताइवान ने दलाई लामा को किया आमंत्रित

    ताइवान के सांसदों व अधिकारों के लिए काम करने वालों के समूहों ने शुक्रवार को तिब्बत लोकतंत्र दिवस समारोह का आयोजन किया। तिब्बत के लिए ताइवान के संसदीय समूह के चेयरमैन लिन चांगजुओ ने कहा, 'हमें ज्यादा से ज्यादा तिब्बती नागरिकों को मित्र बनाना चाहिए। मुझे विश्वास है कि ताइवान व तिब्बत समान मूल्यों व सामाजिक तानाबाना वाले देश हैं। वैश्विक समुदाय को तिब्बत में मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामलों पर गौर करना चाहिए।' समूहों ने दलाई लामा को ताइपे आने के लिए आमंत्रित भी किया।

    कर्ज कूटनीति से ताइवान पर समर्थन जुटा रहा चीन

    चीन कर्ज कूटनीति को अपना प्रमुख हथियार बनाए हुए है। एशिया टाइम्स के अनुसार, ताइवान को लेकर संयुक्त राष्ट्र महासभा में समर्थन जुटाने को लेकर अब अफ्रीका पर मेहरबान है। उसकी नजर अफ्रीका के रियल स्टेट पर भी है, जिसे वह सैन्य बेस में परिवर्तित कर सकता है।