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    चीन के सैन्‍य विस्‍तार से दक्षिण चीन सागर के समुद्री जीवन को पहुंच रहा है नुकसान, खत्‍म हो रहे कोरल रीफ

    By Arun Kumar SinghEdited By:
    Updated: Wed, 10 Mar 2021 07:16 PM (IST)

    ओआरएफ ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि यहां का पारिस्थितिकी तंत्र पहले से ही दबाव झेल रहा है। कृत्रिम भित्तियों के निर्माण के लिए की जाने वाली ड्रेजिंग और मछलियों को पकड़ने के लिए अपनाई जा रही नई तकनीकों से इस जलक्षेत्र को और नुकसान हो रहा है।

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    द्वीप निर्माण और ड्रिलिंग के जरिये दक्षिण चीन सागर में सैन्य विस्तार

     बीजिंग, एएनआइ। द्वीप निर्माण और ड्रिलिंग के जरिये दक्षिण चीन सागर में सैन्य विस्तार कर रही शी चिनफिंग सरकार यहां के मरीन इकोलॉजी (समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र) को नुकसान पहुंचा रही है। ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) की रिपोर्ट के मुताबिक चीन द्वारा किए गए निर्माण से कोरल रीफ (प्रवाल भित्तियां) को जहां अत्यधिक नुकसान पहुंचा है, वहीं ऐसे लोगों के सामने भोजन का संकट खड़ा हो गया है, जो इस पर निर्भर हैं। 

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    चीन की गतिविधियों के पर्यावरणीय प्रभाव का का विश्लेषण 

    प्रशांतश्री बसु और आद्या चतुर्वेदी ने दक्षिण चीन सागर में चीन की गतिविधियों के पर्यावरणीय प्रभाव का का विश्लेषण किया है। बता दें कि दक्षिण चीन सागर दुनिया के सबसे अधिक संसाधन संपन्न समुद्री क्षेत्रों में से एक है। चीन, वियतनाम, इंडोनेशिया, मलेशिया, ब्रुनेई और फिलीपींस से इसकी सीमा लगती है। जल क्षेत्र को लेकर संयुक्त राष्ट्र समझौते के विपरीत चीन इसके विशाल हिस्से पर अपना दावा करता है। 

    द्वीप निर्माण और ड्रिलिंग से कोरल रीफ हो रहे खत्म 

    ओआरएफ ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि दुनिया का सबसे व्यस्त अंतरराष्ट्रीय समुद्री मार्ग होने के चलते यहां का पारिस्थितिकी तंत्र पहले से ही दबाव झेल रहा है। कृत्रिम भित्तियों के निर्माण के लिए की जाने वाली ड्रेजिंग और मछलियों को पकड़ने के लिए अपनाई जा रही नई तकनीकों से इस जलक्षेत्र को और नुकसान हो रहा है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन के चलते चीन सागर का ना केवल तापमान बढ़ रहा है बल्कि कई जगह पानी के स्तर में भी गिरावट आई है। 

    विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यही स्थिति चलती रही तो चीन सागर दोबारा अपने मूल रूप में कभी दिखाई नहीं देगा। इस जलक्षेत्र से मछली पकड़कर अपने नागरिकों की खाद्य सुरक्षा पूरी करना चीन की मजबूरी है। अनुमान है कि वर्ष 2030 तक अकेले चीन में वैश्विक मछली खपत का 38 फीसद उपभोग किया जाएगा। अत्यधिक मछली पकड़ने का परिणाम यह हुआ है कि चीन के तटीय क्षेत्रों में मछली मिलना बहुत कम हो गया है।

    देश के एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन (ईईजेड) में कोस्टल वेटलैंड का आधा हिस्सा जहां खत्म हो चुका है वहीं 57 प्रतिशत मैंग्रोव और 80 प्रतिशत प्रवाल भित्तियां भी नष्ट हो चुकी हैं। खास बात यह है कि मछलियों के जीवनयापन के लिए भित्तियां महत्वपूर्ण होती हैं।