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    China in Trouble: चीन की खराब हो रही हालत, एकतरफ आंतरिक चुनौतियां तो दूसरी तरफ विदेशों से बिगड़ रहे संबंध

    By Mahen KhannaEdited By: Mahen Khanna
    Updated: Mon, 20 Feb 2023 11:36 PM (IST)

    China News कोविड-19 संकट के इस दौर में आम चीनी भले ही अपनी नौकरी बचाने और आर्थिक मुश्किलों से निकलने के लिए चिंतित है लेकिन देश की विदेश नीतियां ऐसी हैं जो इसे अन्य देशों के खिलाफ खड़ी कर रही हैं या दुनिया में इसकी विश्वसनीयता खत्म कर रही हैं।

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    चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग देश की कोविड नीति पर खामोश

    हांगकांग (एएनआई)। चीन का हालिया व्यवहार विदेश नीति विशेषज्ञों और राजनीतिक विश्लेषकों की समझ से परे है। चीन एक तरफ देश के अंदर कई चुनौतियों का सामना कर रहा है, दूसरी तरफ यह देश से बाहर खुद अपने लिए मुश्किलें खड़ी कर रहा है। चीन फिलहाल कोविड-19 के प्रकोप से उबर रहा है। हालांकि ऐसी आशंकाएं व्यक्त की जा रही हैं कि इस वर्ष के अंत तक चीन में कोविड संक्रमण फिर से नई ऊंचाइयां छू सकता है लेकिन फिलहाल देश इस मोर्चे में राहत महसूस कर रहा है।
    कोविड-19 संकट के इस दौर में आम चीनी भले ही अपनी नौकरी बचाने और आर्थिक मुश्किलों से निकलने के लिए चिंतित है लेकिन देश की विदेश नीतियां ऐसी हैं जो इसे अन्य देशों के खिलाफ खड़ी कर रही हैं या दुनिया में इसकी विश्वसनीयता खत्म कर रही हैं।

    कोविड में छिपाए मौत के आंकडे

    अमेरिका में चीनी गुब्बारे का मामला अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में चीन की इस ढ़ीठ प्रवृत्ति का प्रतीक है जिसमें चीन पहले चोरी करके फिर सीनाजोरी करने पर उतर आता है। कोविड संकट के दौरान डेटा छिपाकर चीन ने अपनी यही प्रवृत्ति दर्शाई है। दुनिया के लिए यह तय करना मुश्किल है चीन द्वारा शून्य कोविड नीति बंद किए जाने के बाद कितने चीनी नागरिक वायरस संक्रमण से मारे गए हैं। 
    कई विश्लेषकों का कहना है कि चीन की लगभग 80 फीसदी आबादी कोविड से संक्रमित हुई और दस से पंद्रह लाख लोग इससे मारे गए। उनका कहना है कि पश्चिमी देशों की तुलना में चीन की मृत्यु दर अधिक रही होगी क्योंकि यहां हर्ड इम्युनिटी बिल्कुल नहीं थी और चीन के घरेलू टीके प्रभावी नहीं हैं।

    एक की मौत त्रासदी है, लाखों की मौत सिर्फ एक आंकड़ा है

    चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग देश की कोविड नीति पर खामोश हैं। ऐसा इसलिए है कि उनके पास इस बारे में कहने के लिए कुछ नहीं है। 2020 से 2022 तक चीन ने कोविड नियंत्रण के लिए अरबों युआन खर्च किए। मात्र पीसीआर परीक्षण पर 29 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक खर्चा किया गया, लेकिन यह सारा खर्च व्यर्थ रहा और देश को अभूतपूर्व कोविड संकट का सामना करना पड़ा। 
    एएनआई को मिली जानकारी के अनुसार चीन में बेरोजगारी बढ़ रही है और कई विदेशी कंपनियां अपने उत्पादन को चीन से दूर भारत और वियतनाम जैसे देशों में ले गई हैं। एवरग्रांडे जैसी बड़ी कंपनियों पर अरबों डॉलर का बकाया है। आम लोग इस बारे में चिंतित हैं कि वे अपने घरों की किश्तें कैसे चुका पाएंगे। इस पूरे प्रकरण से यह साबित हुआ है कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग किसी भी कीमत पर चीन पर अपना नियंत्रण बरकरार रखना चाहते हैं, फिर इसके लिए भले ही लोगों को घरों में कैद रहना पड़े या अपनी जान से हाथ धोना पड़े। जोसेफ स्टालिन ने एक बार कहा था "एक व्यक्ति की मृत्यु त्रासदी है। एक लाख की मौत एक आंकड़ा है।"

    अमेरिका से बिगाड़े रिश्ते

    अगर अमेरिका के ऊपर उड़ने वाले चीनी गुब्बारे की बात करें तो चीन अमेरिका के एयरस्पेस का उल्लंघन कर रहा था। फिर भी चीन ने माफी मांगने या विवाद को खत्म करने की कोशिश करने के बजाय इस पर नाराजगी जताई कि अमेरिका ने उसका गुब्बारा नष्ट कर दिया। पश्चिमी देशों को कथित सबक सिखाने के लिए चीन यूक्रेन के विरुद्ध रूस की सहायता देने की कोशिश कर सकता है। यूक्रेन में तेजी से जीत हासिल करने में विफल रहा रूस अब बिल्कुल चीन पर निर्भर हो गया और चीन अमेरिका और पश्चिमी देशों के विरुद्ध ब्लॉक बनाने के लिए रूस का उपयोग कर सकता है।

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