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    दुनियाभर में अवैध केंद्रों के जरिये अपने नागरिकों पर नजर रख रहा चीन, मानवाधिकार संगठनों की चिंता बढ़ी

    By AgencyEdited By: Krishna Bihari Singh
    Updated: Wed, 28 Sep 2022 10:02 PM (IST)

    चीन की सरकार ने अपने विरोधियों पर नकेल कसने के लिए तमाम कदम उठा रखे हैं। समाचार एजेंसी एएनआइ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि चीन ने विरोधियों की निगरानी के लिए दुनिया भर में अवैध केंद्र स्थापित कर रखे हैं।

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    चीन के एक कदम से मानवाधिकार संगठनों की चिंता बढ़ गई है।

    बीजिंग, एएनआइ। चीन सरकार ने अपने विरोधियों पर नकेल कसने एवं उनकी निगरानी के लिए दुनिया भर में अवैध केंद्र स्थापित कर रखे हैं। इनमें कनाडा और आयरलैंड जैसे विकसित देश शामिल हैं। हालांकि चीन इस केंद्रों का उद्देश्य विदेश में रहने वाले अपने नागरिकों की सहायता करना बताता है। लेकिन इन केंद्रों की मौजूदगी से चीनी नागरिकों के उत्पीड़न की आशंका को लेकर मानवाधिकार संगठनों की चिंता बढ़ गई है।

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    चुनावों को भी प्रभावित करता है चीन

    स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कनाडा में फूजौ पब्लिक सेक्यूरिटी ब्यूरो (पीएसबी) से जुड़े ऐसे कई अनौपचारिक सर्विस स्टेशन स्थापित हैं। इनमें कम से कम तीन ग्रेटर टोरंटो क्षेत्र में हैं। खुफिया जर्नलिज्म रिपोर्टिका के अनुसार, इन अवैध केंद्रों के जरिये वह कुछ चुनिंदा देशों में चुनावों को भी प्रभावित करता है। फूजौ पुलिस का कहना है कि ऐसे 30 स्टेशन 21 देशों में खोले गए हैं।

    मानवाधिकारों को लेकर उठाए जाते रहे हैं सवाल

    यूक्रेन, फ्रांस, स्पेन, जर्मनी और ब्रिटेन जैसे देशों में चीनी केंद्रों के लिए ऐसी व्यवस्था है और इनमें से अधिकांश देशों के नेता सार्वजनिक मंचों पर चीन के खराब मानवाधिकार रिकार्ड पर सवाल उठाते हैं और खुद उस मुद्दे का हिस्सा हैं। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि कम्युनिस्ट पार्टी सुरक्षा के नाम पर अपने विरोधियों को प्रताडि़त करने का काम करती है।

    केंद्रों के जरिये निगरानी करती है सरकार

    अगर किसी विदेशी चीनी नागरिक पर शक होता है तो चीन में उसके परिवार को परेशान किया जाता है। चीन सरकार इन अवैध केंद्रों के जरिये निगरानी करती है। संदिग्ध गतिविधि वाले नागरिकों को बलपूर्वक वापस चीन भेज दिया जाता है। ऐसे लोगों को नजरबंदी शिविरों में रखा जाता है।

    बहाने बनाता है चीन

    वहीं, इस पर चीन का कहना है कि वह इन शिविरों में उन्हें व्यावसायिक कौशल को निखारता है। यह उनकी कट्टरपंथी सोच पर नकेल कस उनमें सकारात्मक सोच विकसित करना है। चीनी अधिकारी ने 2019 में कहा था इन शिविरों में ज्यादातर प्रशिक्षु स्नातक थे। संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार मामलों की उच्चायुक्त मिशेल बचलेट ने हाल में इन केंद्रों का दौरा किया था।

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