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    रूस के मिग-21 से चीन ने कैसे बनाया था जे-7 फाइटर जेट? बांग्लादेश क्रैश के बाद चर्चा में आई कहानी

    Updated: Tue, 22 Jul 2025 10:45 AM (IST)

    चीन में निर्मित एफ-7 लड़ाकू विमान ढाका में दुर्घटनाग्रस्त हो गया जिससे 27 लोगों की जान चली गई। एफ-7 जिसे ग्रैंडपा फाइटर जेट कहा जाता है मूल रूप से 1960 में रूस के सहयोग से बनाया गया था। वर्तमान में बांग्लादेश सहित कई देश इसका उपयोग करते हैं। यह जे-7 का उन्नत संस्करण है जिसे चीन ने मिग-21 की तर्ज पर विकसित किया था।

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    चीन का एफ-7 और रूस का मिग-21 फाइटर जेट। फाइल फोटो

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चीन में बना एफ-7 लड़ाकू विमान बीते दिन ढाका के स्कूल से टकरा कर क्रैश हो गया। इस हादसे में 27 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। एफ-7 लड़ाकू विमान को 'ग्रैंडपा फाइटर जेट' (Grandpa Fighter Jet) भी कहा जाता है। इसे चीन ने 1960 में रूस (तब सोवियत संघ) के साथ मिलकर बनाया था।

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    वर्तमान में बांग्लादेश के अलावा पाकिस्तान, ईरान, म्यांमार, नामीबिया, नाइजीरिया, उत्तर कोरिया, श्रीलंका, सुडान, तंजानिया और जिम्बॉम्बे समेत कई देश एफ-7 विमानों का इस्तेमाल करते हैं।

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    जे-7 का एडवांस वर्जन है एफ-7

    बांग्लादेश के पास कुल 36 एफ-7 फाइटर जेट हैं। वहीं, 120 एफ-7 के साथ पाकिस्तान के पास सबसे ज्यादा फाइटर जेट हैं। हालांकि, चीन ने ज्यादातर एअरक्राफ्ट या तो अमेरिका से कॉपी करके बनाए हैं या फिर रूस से। एफ-7 फाइटर जेट भी इस अपवाद से परे नहीं है। चीन का एफ-7 जेट काफी हद तक मिग-21 से मिलता-जुलता है।

    बांग्लादेश एअरफोर्स में शामिल एफ-7 फाइटर जेट।

    1961 में शुरू हुई कहानी

    दरअसल चीन का एफ-7 फाइटर जेट जे-7 लड़ाकू विमान का एडवांस वर्जन है और जे-7 को चीन ने रूस के मिग-21 की तर्ज पर ही बनाया था, या यूं कहें कि धोखे से रूस से चुराया था। 1961 में चीन के माओ ने सोवियत के निकिता के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें मिग-21 को चीन में बनाने का प्रस्ताव शामिल था।

    चीन और रूस के रिश्ते बिगड़े

    इस समझौते के अंतर्गत मिग-21 फाइटर जेट को कुछ तकनीकी दस्तावेजों के साथ चीन भेज दिया गया। हालांकि बाद में कुछ कारणों से रूस ने यह करार तोड़ दिया। मगर तब तक बहुत देर हो चुकी थी। रूसी मिग-21 और उसके सीक्रेट दस्तावेज चीन के हाथ लग चुके थे। रूस ने चीन पर मिग-21 की जानकारी रखने का आरोप लगाया, लेकिन चीन ने दस्तावेजों में तकनीकी जानकारी शामिल होने का दावा सिरे से खारिज कर दिया।

    1964 में चीन ने बनाया जे-7

    1964 में चीन ने उन्हीं दस्तावेजों और मिग-21 की मदद से जे-7 एअरक्राफ्ट तैयार किया। यह एअरक्राफ्ट दिखने में बिल्कुल मिग-21 की तरह था। हालांकि, चीन के इंजीनियरों ने इसके कंपोनेंट्स में थोड़े बहुत बदलाव कर दिए थे, जिससे यह मिग-21 की हूबहू कॉपी न लगे। कुछ ही समय में मिग-21 को टक्कर देने वाले जे-7 फाइटर जेट चीनी आर्मी की शान बन गए और इनकी मांग दुनिया के कई देशों में बढ़ने लगी।

    भारतीय वायुसेना का हिस्सा रूसी मिग-21 फाइटर जेट।

    कई देशों को दिया फाइटर जेट

    चीन ने मध्य पूर्व, एशिया और अफ्रीका के कई देशों में इन फाइटर जेट्स को बेचना शुरू कर दिया, जिससे चीनी का रक्षा निर्यात परवान चढ़ा और इससे चीनी अर्थव्यस्था को अरबों का फायदा हुआ। समय के साथ जे-7 फाइट जेट अपग्रेड होता गया और आज इसका एडवांस वर्जन एफ-7 के नाम से जाना जाता है।

    भारतीय वायुसेना में शामिल हुआ मिग-21

    भारत ने 1963 में रूस से मिग-21 खरीदे थे। मिग-21 को उड़ती कील कहा जाता है, जो हवा में अपने सटीक प्रहार के लिए जाना जाता है। रूस ने 1955 में पहली बार मिग-21 को बनाया था। भारत के पास अभी भी मिग-21 के 2 स्क्वाड्रन मौजूद हैं। वैसे तो मिग-21 अपने सेफ्टी रिकॉर्ड्स के लिए जाना जाता है, मगर दो बार यह एअरक्राफ्ट क्रैश भी हो चुका है। वहीं, अब भारतीय वायुसेना में तेजस एअरक्राफ्ट मिग-21 की जगह ले रहा है।

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