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    बहुत शातिर है चीन! खुद को बड़े नुकसान से बचाकर ताइवान की आर्थिक कमर तोड़ना चाहता है ड्रैगन, जानें- क्‍या है पूरा मामला

    ताइवान विश्‍व में सबसे बड़ा सेमिकंडक्‍टर चिप बनाने वाला देश है। इसका उपयोग सभी तरह की अत्‍याधुनिक चीजों को बनाने में किया जाता है। चीन ने ताइवान पर जो प्रतिबंध लगाए हैं उसमें इसका जिक्र नहीं किया गया है।

    By Kamal VermaEdited By: Updated: Fri, 26 Aug 2022 10:33 AM (IST)
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    ताइवान विश्‍व में सबसे बड़ा सेमिकंडक्‍टर चिप बनाने वाला देश है।

    ताइपे (एजेंसी)। मौजूदा समय में चीन को विश्‍व का सबसे शातिर देश कहना कोई गलत नहीं होगा। ऐसा इसलिए क्‍योंकि चीन ताइवान को अपनी मेनलैंड में मिलाने के लिए हर तरह की चाल चल रहा है। सेना का डर दिखाने से लेकर आर्थिक प्रतिबंध लगाने तक चीन वो सब कुछ कर रहा है जो इसके लिए जरूरी है। लेकिन वहीं दूसरी तरफ चीन ने ये भी सुनिश्चित किया है कि इससे उसको कोई नुकसान नहीं होना चाहिए। इसलिए ही चीन ने ताइवान पर इंपोर्ट बैन तो लगाया है लेकिन कुछ खास चीजों पर ही ये बैन लगाया गया है। 

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    सेमिकंडक्‍टर चिप बनाने में ताइवान दुनिया में सबसे आगे 

    आपको बता दें कि ताइवान विश्‍व में सबसे बड़ा सेमिकंडक्‍टर चिप बनाने वाला देश है। चीन के लगाए गए प्रतिबंधों की वजह से जहां ताइवान को कुछ नुकसान होना तय है वहीं चीन भी इससे अपने को अलग नहीं कर सकेगा। मौजूदा समय में सेमिकंडक्‍टर चिप का इस्‍तेमाल पूरी दुनिया में अत्‍याधुनिक उत्‍पादों को बनाने के लिए किया जाता है। मौजूदा समय में चीन में इतना सामर्थ्‍य नहीं है कि वो इस बाबत होने वाली अपनी घरेलू जरूरतों को पूरा कर सके। यही वजह है कि चीन ने ताइवान पर जो प्रतिबंध लगाए हैं उसमें ये शामिल नहीं है। 

    अपना नुकसान नहीं करना चाहता है चीन

    चीन में ताइवान सरकार द्वारा चलाए जाने वाले अकादमी सिनिसिया की रिसर्च फैलो क्रिस्टिना लाई का कहना है कि चीन ने ताइवान से निर्यात होने वाली हर चीज पर प्रतिबंध नहीं लगाया है। सेमिकंडक्‍टर चिप को उसने इस प्रतिबंध से अलग रखा है। वो जानता है कि इससे उसको नुकसान हो सकता है और वो अपनी जरूरत को पूरा नहीं कर सकता है। चीन प्रतिबंधों से खुद का नुकसान नहीं करना चाहेगा।

    चीन ताइवान से करता है कुल 28 फीसद आयात

    ताइवान यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर फेन-शी-पिंग का कहना है कि ताइवान को किसानों के हितों को ध्‍यान में रखते हुए कोई बड़ा फैसला लेना चाहिए, जिससे उनके नुकसान को बचाया या कम किया जा सके। गौरतलब है कि ताइवान चीन का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर भी यही है। चीन अपने कुल आयात का करीब 28 फीसद चीजों का आयात ताइवान से ही करता है।

    जानकारों की राय

    जानकारों का कहना है कि चीन द्वारा ताइवान पर लगाए गए आर्थिक प्रतिबंध काफी हद तक आंशिक हैं, लेकिन ये भी सच है कि इसकी मार सबसे अधिक यहां के छोटे और बड़े कारोबारी ही झेल रहे हैं। उनके मुताबिक अब इनके फलों का चीन भेजना दूसरे देश के माध्‍यम से ही हो सकता है। लेकिन इसका असर यहां के किसानों को मिलने वाली कीमतों पर जरूर पड़ेगा। मुमकिन है कि ये उनके लिए नुकसान का सौदा हो। हालांकि, अपने फलों को चीन न भेजे जाने से जो नुकसान ताइवान के किसानों को होगा उसकी तुलना में ये नुकसान कम ही होगा। इसमें यहां के किसान कम मुनाफा या फिर केवल अपनी लागत ही निकाल सकेंगे।

    Inside Story: चीन के ताइवान पर लगाए इंपोर्ट बैन से छोटे कारोबारियों को सताने लगी है बड़े नुकसान की चिंता