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    'कोई जबरदस्ती नहीं हुई', अरुणाचल की बेटी के साथ शंघाई एयरपोर्ट पर हुए दुर्व्यवहार पर चीन का रिएक्शन

    Updated: Tue, 25 Nov 2025 05:09 PM (IST)

    चीन ने अरुणाचल प्रदेश की महिला के साथ शंघाई एयरपोर्ट पर दुर्व्यवहार के आरोपों को नकारा है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि इमिग्रेशन अधिकारियों ने नियमों का पालन किया। महिला ने दावा किया था कि अरुणाचल प्रदेश जन्मस्थान होने के कारण उनके पासपोर्ट को अवैध घोषित कर दिया गया। चीन ने अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा दोहराया, जबकि भारत ने इस मुद्दे पर कड़ा विरोध जताया और अरुणाचल को अपना अभिन्न अंग बताया।

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    अरुणाचल प्रदेश की महिला के साथ दुर्व्यवहार पर चीन की सफाई।

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चीन ने मंगलवार को इन आरोपों को गलत बताया कि अरुणाचल प्रदेश की एक भारतीय महिला के साथ शंघाई एयरपोर्ट पर दुर्व्यवहार किया गया। चीन ने कहा कि चीनी इमिग्रेशन अधिकारियों ने जो किया वह कानून और नियमों के मुताबिक था।

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    यूके में रहने वाली भारतीय नागरिक पेमा वांगजोम थोंगडोक ने दावा किया कि 21 नवंबर को लंदन से जापान जा रही थीं तब इमिग्रेशन वालों ने उनके पासपोर्ट को सिर्फ इसलिए "इनवैलिड" घोषित कर दिया क्योंकि उसमें अरुणाचल प्रदेश उनका जन्मस्थान लिखा था।

    चीन ने क्या कहा?

    थोंगडोक के साथ हुई इस घटना पर जवाब मांगने पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने दावा किया कि महिला ने जो आरोप लगाए हैं वह गलत हैं और उनके साथ कोई जबरदस्ती नहीं हुई, हिरासत में या परेशान भी नहीं किया गया। माओ ने कहा कि एयरलाइन ने संबंधित व्यक्ति के लिए आराम करने की जगह दी गई। साथ ही पीने और खाने का भी इंतजाम किया गया।

    अरुणाचल प्रदेश को लेकर चीन ने क्या कहा?

    माओ ने कहा, "हमें पता चला है कि चीन के सीमा निरीक्षण प्राधिकरण ने कानूनों और नियमों के अनुसार पूरी प्रक्रिया पूरी की है और संबंधित व्यक्ति के कानूनी अधिकारों और हितों की पूरी तरह से रक्षा की है।" उन्होंने अरुणाचल प्रदेश पर चीन के दावों को भी दोहराया, जिसे वह जंगनान या दक्षिण तिब्बत कहता है।

    उन्होंने कहा, "जंगनान चीन का इलाका है। चीन ने कभी भी भारत द्वारा गैर-कानूनी तरीके से बसाए गए तथाकथित अरुणाचल प्रदेश को नहीं माना।"

    भारत ने सख्त रुख किया अख्तियार

    दिल्ली में सूत्रों ने बताया कि भारत ने घटना वाले दिन ही बीजिंग और दिल्ली दोनों जगहों पर चीन के सामने कड़ा डिमार्शे (एक ऑपचारिक राजनयिक विरोध) दर्ज कराया था।

    भारत ने चीनी पक्ष को साफ-साफ बता दिया कि अरुणाचल प्रदेश "बिना किसी शक के" भारतीय इलाका है और वहां के लोगों को भारतीय पासपोर्ट रखने और उससे यात्रा करने का पूरा हक है। उन्होंने कहा कि शंघाई में भारतीय वाणिज्य दूतावास ने भी इस मामले को स्थानीय स्तर पर उठाया और फंसे हुए यात्री को पूरी मदद दी।

    थोंगडोक ने क्या दावा किया?

    सोशल मीडिया पर कई पोस्ट में थोंगडोक ने कहा कि शंघाई एयरपोर्ट पर चीनी इमिग्रेशन अधिकारियों ने उन्हें 18 घंटे तक इस आधार पर हिरासत में रखा कि उनका पासपोर्ट "इनवैलिड" है क्योंकि उनका जन्मस्थान अरुणाचल प्रदेश है। उन्होंने वह किसी तरह यूके में रहने वाले एक दोस्त के जरिए शंघाई में भारतीय दूतावास से संपर्क किया। इसके बाद दूतावास के अधिकारियों ने उन्हें शंघाई से देर रात की फ्लाइट में चढ़ने में मदद की।

    थोंगडोक ने बताया कि बीजिंग की सोशल मीडिया पॉलिसी ने उनकी मुश्किल और बढ़ा दी, क्योंकि वह पासपोर्ट के मामले में शंघाई या बीजिंग में भारतीय एम्बेसी से घंटों तक कॉन्टैक्ट नहीं कर पाईं, क्योंकि "कोई भी ऐप, यहां तक कि गूगल भी," चीन में काम नहीं करता।

    उन्होंने कहा, "मैंने उनसे कहा कि आप लोग मुझे एक सही, पक्का लिखा हुआ डॉक्यूमेंट दिए बिना मैं इतने लंबे समय तक यहां नहीं रह सकती, जिसमें लिखा हो कि अरुणाचल के होल्डर्स और वहां रहने वालों के लिए इंडियन पासपोर्ट इनवैलिड है... मैंने उनसे कहा कि मुझे एक वकील से बात करनी है और इसलिए उन्होंने मुझे लैंडलाइन दी, जिसका इस्तेमाल मैंने लंदन में अपने दोस्तों से कॉन्टैक्ट करने के लिए किया... जिन्होंने मुझे शंघाई में इंडियन एम्बेसी के नंबर दिलाने में मदद की और तभी मैंने उनसे कॉन्टैक्ट किया।"

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