हिमालय की गोद में चीन बना रहा 'वाटर बम', क्या भारत के लिए है खतरे की घंटी?
चीन तिब्बत में यारलुंग त्सांगपो नदी पर सबसे बड़े हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है, जिसे 'मदर ऑफ ऑल डैम्स' कहा जा रहा है। एक्सपर्ट्स ने भारत में ...और पढ़ें

चीन तिब्बत में बना रहा है विशाल हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट (सांकेतिक फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चीन तिब्बत में यारलुंग त्सांगपो नदी पर अब ताल के सबसे बड़े हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। इसे 'मदर ऑफ ऑल डैम्स' कहा जा रहा है।
एक्सपर्ट्स ने चेतावनी दी है कि इस कदम से भारत में नदी के निचले इलाकों में पानी की सुरक्षा, इकोलॉजी और लोगों की आजीविका को गंभीर खतरा आ सकता है।
चीन तिब्बत में बना रहा है विशाल हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट
यारलुंग त्सांगपो नदी ही भारत में ब्रह्मपुत्र के नाम से जानी जाती है, ऊपरी इलाकों में किसी भी बड़े दखल से लाखों लोगों पर सीधा असर पड़ सकता है। जो इसके प्राकृतिक बहाव पर निर्भर हैं। CNN के अनुसार, प्रस्तावित $168 बिलियन का हाइड्रोपावर सिस्टम बांधों, जलाशयों, सुरंगों और भूमिगत पावर स्टेशनों के एक जटिल नेटवर्क के जरिए ऊंचाई में 2,000 मीटर की भारी गिरावट का इस्तेमाल करेगा।
भारत के लिए चिंता महज पर्यावरण से जुड़ी नहीं है। अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने चेतावनी दी थी कि इस प्रोजेक्ट का इस्तेमाल 'टिकिंग वॉटर बम' के तौर पर किया जा सकता है, जिसमें चीन ब्रह्मपुत्र में छोड़े जाने वाले पानी के समय और मात्रा को कंट्रोल कर सकता है। अचानक पानी छोड़ने से बाढ़ आ सकती है, जबकि पानी रोकने से जरूरी समय में नदी का बड़ा हिस्सा सूख सकता है।
भारत में ब्रह्मपुत्र के निचले इलाकों में खतरा
विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने अगस्त में इस प्रोजेक्ट पर एक बयान जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि सरकार ब्रह्मपुत्र नदी से जुड़े घटनाक्रमों पर लगातार नजर रख रहे हैं। भारत सरकार ने तिब्बत में यारलुंग त्सांगपो (ब्रह्मपुत्र नदी के ऊपरी हिस्से) नदी के निचले हिस्सों में चीन द्वारा मेगा डैम प्रोजेक्ट के निर्माण शुरू होने की खबरों पर ध्यान दिया है।
विदेश मंत्रालय ने राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में कहा था, 'यह प्रोजेक्ट सबसे पहले 1986 में सार्वजनिक किया गया था और तब से चीन में इसकी तैयारियां चल रही हैं।' विदेश मंत्रालय ने कहा कि सरकार इस क्षेत्र में भारतीय हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
सरकार रख रही है घटनाक्रमों पर लगातार नजर
बयान में कहा गया है, 'सरकार ब्रह्मपुत्र नदी से जुड़े सभी डेवलपमेंट पर ध्यान से नजर रखती है, जिसमें चीन की हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट बनाने की योजनाएं भी शामिल हैं। हमारे हितों की रक्षा के लिए जरूरी कदम उठाती है, जिसमें निचले इलाकों में रहने वाले भारतीय नागरिकों के जीवन और आजीविका की सुरक्षा के लिए निवारक और सुधारात्मक उपाय शामिल हैं।'
ब्रह्मपुत्र का ज्यादातर पानी भारत के अंदर मानसून की बारिश और सहायक नदियों से आता है। हालांकि, CNN की रिपोर्ट में विशेषज्ञों का दावा है कि ऊपरी इलाकों में छेड़छाड़ से नदी की प्राकृतिक लय बिगड़ सकती है। यहां तक कि सीमित बदलाव भी असम और अरुणाचल प्रदेश में उपजाऊ बाढ़ के मैदानों, मछली पालन और भूजल रिचार्ज को प्रभावित कर सकते हैं।
चीन ने इन चिंताओं को खारिज कर दिया है, क्योंकि चीनी विदेश मंत्रालय ने जोर देकर कहा है कि निचले देशों पर कोई बुरा असर नहीं पड़ेगा। प्रोजेक्ट के तकनीकी पैमाने ने भी डर बढ़ा दिया है।

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