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    दक्षिण चीन सागर में द्वीपों पर बीजिंग के सैनिक अड्डे से क्षेत्र के देशों को खतरा, मिसाइल प्रणाली के साथ ही लड़ाकू जेट किए तैनात

    By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By:
    Updated: Sun, 10 Apr 2022 06:28 PM (IST)

    अमेरिकी हिंद-प्रशांत कमांडर एडमिरल जोन सी एक्यिुइलिनो ने कहा कि चीन ने अपनी क्षमता बढ़ाई है। फरवरी में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के एक पोत ने आस्ट्रेलियाई वायुसेना के विमान पर लेजर से प्रहार किया था ।

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    इससे क्षेत्र के अन्य देशों के लिए उत्पन्न हो गया है खतरा

    बीजिंग, एजेंसी। चीन ने दक्षिण चीन सागर में द्वीपों पर तीन सैनिक अड्डे बनाए हैं। पोत रोधी और विमान रोधी मिसाइल प्रणाली, लेजर और जाम करने वाले गजेट से अड्डों को लैस करने के अलावा बीजिंग ने वहां लड़ाकू जेट भी तैनात किए हैं। इससे क्षेत्र के अन्य देशों के लिए खतरा उत्पन्न हो गया है।

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    अमेरिकी हिंद-प्रशांत कमांडर एडमिरल जोन सी एक्यिुइलिनो ने कहा कि चीन ने अपनी क्षमता बढ़ाई है। फरवरी में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के एक पोत ने आस्ट्रेलियाई वायुसेना के विमान पर लेजर से प्रहार किया था।

    ताइवान के एडीआइजेड में चार चीनी विमानों ने किया प्रवेश

    बीजिंग के चार सैन्य विमान शुक्रवार को ताइवान के हवाई रक्षा पहचान क्षेत्र (एडीआइजेड) में प्रवेश कर गए। अप्रैल महीने में चीन के विमानों ने सातवीं बार उल्लंघन किया है।

    पेंटागन ने कहा, अब हिंद महासागर पर है नजर

    संशोधनवादी और प्रतिशोध की नीतियां रखने वाला चीन अब हिंद महासागर पर नजरें जमाए बैठा है। अमेरिकी रक्षा मुख्यालय पेंटागन की रिपोर्ट के अनुसार, अफ्रीका के पूर्वी तट पर स्थित देशों में बीजिंग अपने सैनिक अड्डे निर्मित करना चाहता है। इस योजना में पाकिस्तान एक योग्य प्रत्याशी है। अफ्रीका के केन्या, मोजांबिक और तंजानिया जैसे देशों के बंदरगाह चीन की सूची में शामिल हैं।

    ताइवान को लेकर चीन और अमेरिका में बढ़ रही तनातनी

    वहीं, दूसरी ओर चीन और ताइवान के बीच संबंध तनावपूर्ण हैं। चीन ताइवान पर पूर्ण संप्रभुता का दावा करता है। जबकि दोनों पक्ष सात दशकों से अधिक समय से अलग-अलग शासित हैं, इस तथ्य के बावजूद भी चीन संप्रभुता का दावा करता है। ताइवान देश चीन के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित है जिसमें लगभग दो करोड़ 40 लाख लोगों रहते हैं। दूसरी ओर, ताइपे ने अमेरिका सहित अन्य देशें के साथ रणनीतिक संबंधों को बढ़ाकर चीनी आक्रामकता का मुकाबला किया है, जिसका बीजिंग द्वारा बार-बार विरोध किया गया है। चीन ने धमकी दी है कि ताइवान की आजादी का मतलब युद्ध है।