चीन में ईसाइयों पर अब तक की सबसे सख्त कार्रवाई, 30 हिरासत में
चीन में ईसाइयों के खिलाफ अब तक की सबसे सख्त कार्रवाई की गई है, जिसमें 30 लोगों को हिरासत में लिया गया है। यह कार्रवाई धार्मिक स्वतंत्रता पर बढ़ते प्रत ...और पढ़ें

चीन में ईसाई समुदाय पर सरकार की सख्ती। (प्रतीकात्मक)
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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चीन में ईसाई समुदाय पर सरकार की सख्ती एक बार फिर तेज होती दिख रही है। अक्टूबर की शुरुआत में देश के अलग-अलग हिस्सों से जायन चर्च से जुड़े करीब 30 पादरियों और चर्च सदस्यों को हिरासत में लिया गया, जबकि 18 लोगों को गिरफ्तार दिखाया गया है।
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के मुताबिक, यह पिछले कई वर्षों में चीनी ईसाइयों पर सबसे व्यापक कार्रवाई मानी जा रही है और आशंका है कि यह केवल शुरुआत है। हालांकि, इसके पीछे सरकार के सख्त निर्देशों का पालन न करना भी वजह मानी जा रही है।
चीन का संविधान धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है, लेकिन व्यवहार में सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी सभी धार्मिक संगठनों से सरकारी पंजीकरण और कड़े राजनीतिक नियंत्रण की अपेक्षा करती है। जो समूह ऐसा नहीं करते, उन्हें भूमिगत तरीके से पूजा करनी पड़ती है। गिरफ्तार किए गए लोगों में सबसे प्रमुख जायन चर्च के मुख्य पादरी जिन मिंगरी (एज्रा) हैं। उन्होंने 2007 में बीजिग में इस चर्च की स्थापना एक अपंजीकृत इंजील चर्च के रूप में की थी।
बताया जाता है कि उन्होंने अब तक जायन चर्च का पंजीकरण नहीं कराया है। 2018 में बीजिंग स्थित जायन चर्च को बंद कर दिया गया था, जिसके बाद चर्च ने ऑनलाइन गतिविधियों पर जोर दिया। लेकिन सरकार अब ऑनलाइन धार्मिक उपदेशों पर भी शिकंजा कस रही है। जायन चर्च के सदस्यों पर “सूचना नेटवर्क के अवैध इस्तेमाल'' का आरोप लगाया गया है। ये एक ऐसा प्रावधान है, जिसके तहत अब बिना अनुमति धार्मिक गतिविधियों को भी शामिल किया जा रहा है।
पादरी जिन मिंगरी ने यूट्यूब और वीचैट जैसे मंचों के जरिए ऑनलाइन उपदेश दिए और चर्च को डिजिटल रूप से विस्तार दिया। कोरोना महामारी के दौरान यह नेटवर्क तेजी से बढ़ा और दर्जनों शहरों में छोटे समूह बनने लगे।
परिवार के अनुसार, बीते तीन वर्षों से सरकारी निगरानी बढ़ती जा रही थी और संभावित बड़े अभियान की आशंका के चलते बातचीत का रिकार्ड रखा गया था। अब इस कार्रवाई ने उन आशंकाओं को सच साबित कर दिया है।

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