कनाडा के इस फैसले से चीन को लगेगी तीखी मिर्ची, हाउस ऑफ कामंस में पेश किया गया था 'स्वायत्त निर्णय' का प्रस्ताव
कनाडा के हाउस ऑफ कामंस ने सोमवार को एक प्रस्ताव पास किया जिसमें तिब्बत को स्वायत्त निर्णय लेने के अधिकार का समर्थन किया गया। कनाडा तिब्बत कमेटी (सीटीसी) ने एक्स पोस्ट में कहा है कि यह बताते हुए खुशी हो रही है कि कनाडा की संसद ने तिब्बत के खुद निर्णय लेने के अधिकार का समर्थन करते हुए सर्वसम्मति से प्रस्ताव को पारित किया है।

एएनआई, ओटावा। कनाडा के हाउस ऑफ कामंस ने सोमवार को एक प्रस्ताव पास किया, जिसमें तिब्बत को स्वायत्त निर्णय लेने के अधिकार का समर्थन किया गया। संसद सदस्य एलेक्सिस ब्रुनेले-डुसेप की ओर से लाए गए प्रस्ताव का सांसदों ने सर्वसम्मति से समर्थन किया।
कनाडा तिब्बत कमेटी ने क्या कहा?
कनाडा तिब्बत कमेटी (सीटीसी) ने एक्स पोस्ट में कहा है कि यह बताते हुए खुशी हो रही है कि कनाडा की संसद ने तिब्बत के खुद निर्णय लेने के अधिकार का समर्थन करते हुए सर्वसम्मति से प्रस्ताव को पारित किया है। चीन और तिब्बत के रिश्ते काफी जटिल और तनावपूर्ण रहे हैं। चीन तिब्बत पर अपना दावा पेश करता आ रहा है और इसे आंतरिक भूभाग मानता है। हालांकि, दलाई लामा और तिब्बत की निर्वासित सरकार पूर्ण स्वतंत्रता की वकालत करती आ रही है।
कब से है तिब्बत पर चीन का नियंत्रण?
तिब्बत पर चीन का नियंत्रण 1950 के दशक से है, जब चीनी सैनिकों ने इस क्षेत्र में प्रवेश किया था। 1951 के 17 सूत्रीय समझौते ने तिब्बत को चीन में शामिल करने को एक औपचारिक रूप दिया। हालांकि, तिब्बती तर्क देते आ रहे हैं कि दबाव के तहत इस पर हस्ताक्षर किया गया था। चीनी शासन के अंतर्गत तिब्बत को बीजिंग द्वारा लागू की गई विवादास्पद नीतियों के साथ राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक नियंत्रण का सामना करना पड़ा है।
मानवाधिकारों के हनन, धार्मिक स्वतंत्रता पर प्रतिबंध और सांस्कृतिक आत्मसात करने के प्रयासों की रिपोर्टों के कारण तिब्बती अक्सर खुद को हाशिए पर और उत्पीड़ित महसूस करते हैं।
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