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    'एक अफसोस रह गया...', 9 साल पीएम रहने के बाद जस्टिन ट्रूडो को किस बात का पछतावा?

    Updated: Tue, 07 Jan 2025 02:41 PM (IST)

    जस्टिन ट्रूडो ने पीएम पद से इस्तीफे का एलान कर दिया।इसके साथ ही कहा कि उन्हें एक मलाल रह गया। जस्टिन ट्रूडो ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा इस साल देश में होने वाले आम चुनाव से पहले उन्हें पद छोड़ना पड़ा है। इस वजह से उन्हें एक बात का पछतावा रह गया। ट्रूडो ने कहा वो चुनाव की प्रक्रिया में बदलाव चाहते हैं।

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    जस्टिन ट्रूडो ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में किया एलान (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कनाडा के 23वें प्रधान मंत्री और एक दशक से अधिक समय तक लिबरल पार्टी के नेता रहे जस्टिन ट्रूडो ने अपने इस्तीफे का एलान किया है। लगभग 9 साल तक अपने कार्यकाल में रहने के बाद ओटावा में एक खचाखच भरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में, 53 साल के नेता ने अपनी उपलब्धियों, चुनौतियों और एक अनोखे अफसोस पर भी बात की।

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    जस्टिन ट्रूडो ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, इस साल देश में होने वाले आम चुनाव से पहले उन्हें पद छोड़ना पड़ा है। इस वजह से उन्हें एक बात का पछतावा रह गया।

    देश को अगले चुनाव में एक सही विकल्प मिलना ही चाहिए

    ट्रूडो ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अपना बयान दिया।

    अगर मुझे किसी बात का पछतावा है, खासकर जब हम इस चुनाव के करीब पहुंच रहे हैं। तो मैं चाहता हूं कि हम इस देश में अपनी सरकारों को चुनने के तरीके को बदल सकें ताकि लोग एक ही बैलेट पेपर पर अपना दूसरा या तीसरा विकल्प चुन सकें। उन्होंने कहा वो चुनाव की प्रक्रिया में बदलाव चाहते हैं। ट्रूडो ने आगे कहा, देश को अगले चुनाव में एक सही विकल्प मिलना ही चाहिए।

    क्यों पीछे हटे ट्रूडो?

    • जब उन्होंने 2015 में लिबरल्स को पहली बार जीत दिलाई, तो ट्रूडो को एक प्रगतिशील की मशाल लेकर चलने वाला बताया गया।
    • ट्रूडो ने कई वादे किए जलवायु कार्रवाई और लैंगिक समानता जैसे मुद्दों की वकालत की।
    • बढ़ती लीविंग कॉस्ट और अपनी ही पार्टी के अंदर पनपे असंतोष के अलावा कई मुद्दों पर आलोचना का सामना करते हुए, ट्रूडो ने एक कठिन चुनाव अभियान का सामना करने के बजाय पीछे हटने का विकल्प चुना।

    कैसा वोटिंग सिस्टम चाहते थे ट्रूडो?

    ट्रूडो चाहते थे, देश में रैकिंग सिस्टम के हिसाब से वोटिंग हो। उनके प्लान के मुताबिक, वोटों की गिनती के बाद अगर किसी उम्मीदवार को बहुमत नहीं मिला तो इसके बाद उस उम्मीदवार को चुनाव की दौड़ से हटा दिया जाता, जिन्हें वोटर्स ने सबसे कम ऑप्शन के तौर पर चुना है, और उनके बैलट दूसरे स्थान पर रहने वाले उम्मीदवार के मुताबिक ट्रांसफर कर दिए जाते हैं। ये प्रोसेस तब तक चलता जब तक कि किसी एक उम्मीदवार 50 फीसदी प्लस वन वोटों के साथ जीत नहीं जाता।

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