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    भारतीय मूल के उद्योगपति दर्शन सिंह साहसी की कनाडा में हत्या, बिश्नोई गैंग ने ली जिम्मेदारी

    Updated: Wed, 29 Oct 2025 11:30 PM (IST)

    कनाडा के एबाट्सफोर्ड में सोमवार को भारतीय मूल के व्यवसायी दर्शन सिंह साहसी की घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई। पुलिस को वह घायल अवस्था में मिले। उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्होंने दम तोड़ दिया। वह लुधियाना जिले के दोराहा के मूल निवासी थे। लॉरेंस बिश्नोई गिरोह से जुड़े कनाडा स्थित गैंगस्टर गोल्डी ढिल्लों ने बुधवार को साहसी की हत्या की जिम्मेदारी ली है।

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    भारतीय मूल के उद्योगपति दर्शन सिंह साहसी की कनाडा में हत्या (फोटो- एक्स)

    एएनआई, ओटावा। कनाडा के एबाट्सफोर्ड में सोमवार को भारतीय मूल के व्यवसायी दर्शन सिंह साहसी की घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई। पुलिस को वह घायल अवस्था में मिले। उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्होंने दम तोड़ दिया। वह लुधियाना जिले के दोराहा के मूल निवासी थे।

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    रेंस बिश्नोई गिरोह से जुड़े कनाडा स्थित गैंगस्टर गोल्डी ढिल्लों ने बुधवार को साहसी की हत्या की जिम्मेदारी ली है। ढिल्लों ने फेसबुक पोस्ट में हत्या की जिम्मेदारी लेते हुए कहा कि पीड़ित एक बड़े ड्रग व्यापार में शामिल था और उसने कथित तौर पर गिरोह की पैसों की मांग को नजरअंदाज किया था।

     भारत और कनाडा की पुलिस एजेंसियां इस पोस्ट की सत्यता की पुष्टि का प्रयास कर रही है और विदेशों में सक्रिय बिश्नोई नेटवर्क से इसके संभावित संबंधों की जांच की जा रही है। पुलिस की ओर से अबतक कोई गिरफ्तारी नहीं की गई है।

     जांचकर्ताओं का कहना है कि हमलावर अकेला था। गोलीबारी में कथित रूप से शामिल टोयोटा कोरोला कार की तस्वीर भी जारी की गई है।

     वैंकूवर सन की रिपोर्ट के अनुसार, दर्शन सिंह बहुत ही अच्छे इंसान थे। वे समुदाय के लोगों की काफी मदद करते थे। उनके परिवार में पत्नी, बेटे और बेटी हैं। परिवार ने कहा कि वे किसी भी आपराधिक गतिविधि में शामिल नहीं थे।

     कैनम इंटरनेशनल का नेतृत्व किया

    साहसी 1991 में वैंकूवर चले गए थे। उन्होंने कैनम इंटरनेशनल का नेतृत्व किया, जिसे कपड़ों के विश्व के अग्रणी रिसाइक्लर में से एक माना जाता है। वैंकूवर जाने से पहले दर्शन सिंह साहसी के पास गुजरात के कांडला में एक प्लांट और पानीपत में एक रीसाइक्लिंग यूनिट थी।

    वह पंजाबी साहित्यिक और सांस्कृतिक जगत से भी जुड़े थे। साहसी 2012 से लुधियाना की पंजाबी साहित्य अकादमी के संरक्षक थे और पंजाबी भाषा और विरासत के प्रचार में अपने योगदान के लिए जाने जाते थे।