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    खतरे में जस्टिन ट्रूडो की कुर्सी! 'अपनों' ने ही दिया धोखा, बचने के लिए क्या हैं विकल्प

    कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो के पास अब ज्यादा दिन नहीं बचे हैं। 27 जनवरी को कनाडा की संसद का शीत अवकाश समाप्त हो रहा है। इस दिन संसद का नया सत्र शुरू होगा और इसी सत्र में खालिस्तान समर्थक और न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता जगमीत सिंह अविश्वास प्रस्ताव लाने का एलान किया है। ट्रूडो की सरकार पहले से ही अल्पमत में है।

    By Jagran News Edited By: Swaraj Srivastava Updated: Sat, 21 Dec 2024 11:11 AM (IST)
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    कनाडा में अगले साल अक्टूबर में फेडरल इलेक्शन होने हैं (फोटो: जागरण)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कनाडा में अगले साल अक्टूबर में फेडरल इलेक्शन होने हैं। लेकिन इससे पहले ही प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को बड़ा झटका लगा है। उनके पूर्व सहयोगी और न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता जगमीत सिंह ने ट्रूडो के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का एलान कर दिया है।

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    कनाडा में जस्टिन ट्रूडो की लोकप्रियता लगातार गिर रही है। ओपिनियन पोल में ट्रूडो के नेतृत्व वाली लिबरल पार्टी को करारी हार मिलने की संभावना जताई जा रही है। अब अविश्वास प्रस्ताव का एलान जस्टिन ट्रूडो के लिए दोहरे झटके जैसा है।

    अब कनाडाई प्रधानमंत्री के पास बस कुछ विकल्प बचे हैं:

    • ट्रूडो के पास पहला विकल्प इस्तीफे का है। अगर वह पद छोड़ देते हैं, तो लिबरल पार्टी अंतरिम प्रधानमंत्री को कमान सौंप सकती है। इसके बाद पार्टी नेताओं की मीटिंग में सर्वसम्मति से नये चेहरे का चुनाव किया जा सकता है। क्योंकि ट्रूडो के नेतृत्व में चुनाव लड़ना पार्टी के लिए बुरे नतीजे वाला फैसला साबित हो सकता है।
    • जस्टिन ट्रूडो ये कई बार कह चुके हैं कि वह इस्तीफा नहीं देंगे। ऐसे में दूसरा विकल्प उन्हें जबरन पद से हटाए जाने का है। हालांकि लिबरल पार्टी में ट्रूडो को हटाए जाने के लिए कोई आधिकारिक तय नियम-कायदे नहीं है। लेकिन उनके मंत्रिमंडल के सदस्य उन्हें हटने के लिए कह सकते हैं।
    • इन दोनों विकल्पों के अलावा तीसरा विकल्प सरकार गिर जाने का है। कनाडा के हाउस ऑफ कॉमन्स में बजट और अन्य खर्चों के लिए सदन का विश्वास हासिल करना होता है। ऐसे में अगर यहां वोट हुए, तो सरकार गिर सकती है।
    • कनाडा में सत्ता की सुप्रीम पावर गवर्नर जनरल के हाथ में होती है। उसे किंग चार्ल्स का प्रतिनिधि माना जाता है। गवर्नर जनरल मैरी सिमॉन भी ट्रूडो को उनके पद से हटा सकती हैं। हालांकि अगर ट्रूडो सदन में बहुमत साबित करने में कामयाब हो जाते हैं, तो मैरी सिमॉन की ऐसा करने की संभावना न के बराबर है।
    • जस्टिन ट्रूडो की सरकार पहले से ही अल्पमत में है। उसे पहले जगमीत सिंह की न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी का समर्थन था। लेकिन अब ट्रूडो चाहें, तो वह दूसरी पार्टियों का समर्थन जुटा सकते हैं। कनाडा में एक महीने के शीतकालीन अवकाश के बाद संसद सत्र 27 जनवरी से शुरू होगा।

    लिबरल पार्टी के 153 सदस्य

    कनाडा के निचले सदन में कुल 338 सदस्य हैं। इसमें लिबरल पार्टी के आधे से कम यानी महज 153 सदस्य हैं। जिन एनडीपी ने अविश्वास प्रस्ताव लाने का एलान किया है, उसके 25 सदस्य है।

    हाल ही में उप प्रधानमंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। खुद ट्रूडो की पार्टी में उनके खिलाफ 60 सदस्य खड़े हो गए हैं। ऐसे में अल्पमत वाली ट्रूडो सरकार के लिए संसद सत्र काफी मुश्किल भरा हो सकता है।

    जिनके लिए लड़े, उनसे ही मिला धोखा

    कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो अलग-अलग मौकों पर भारत के खिलाफ जहर उगलते रहे हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि कनाडा में उनकी सरकार को खालिस्तान समर्थक नेताओं का समर्थन मिला हुआ था।

    जिन खालिस्तान समर्थकों के लिए ट्रूडो दिन-रात भारत पर बयानबाजी कर रहे थे, अब उन्हीं मे से एक जगमीत सिंह की पार्टी अविश्वास प्रस्ताव लाने वाली है। कनाडा ने भारत पर खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में साजिश रचने का आरोप लगाया था।

    लेकिन भारत सरकार की तरफ से बार-बार मांगने के बाद भी कनाडा ने अपने आरोपों के पक्ष में कोई सबूत पेश नहीं किए। एक सवाल के लिखित जवाब में विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने कहा था कि इस तरह के नैरेटिव द्विपक्षीय रिश्ते के लिए हानिकारक हो सकते हैं।