Canada: खालिस्तानियों का नया कांड, गुरुद्वारे में ही बना लिया फर्जी दूतावास; कार्नी शासन में भी नहीं थमीं हरकतें
खालिस्तानी आतंकी निज्जर की हत्या के बाद से बिगड़े दोनों देशों के रिश्ते एक बार फिर पटरी पर लौट रहे हैं। इसी बीच कनाडा में इन संबंधों को बेपटरी करने की साजिश के तहत खालिस्तानी चरमपंथियों की ओर से रिपब्लिक ऑफ खालिस्तान के नाम से एक फर्जी दूतावास खोला है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली: भारत और कनाडा के बीच लंबे समय से चली आ रही रिश्तों तल्खी अब धीरे-धीरे कम हो रही है। कनाडा में नई सरकार के गठन के बाद दोनों देशों के राजनयिक संबंध फिर से पटरी पर लौट रहे हैं। इसी बीच कनाडा से ऐसी तस्वीर सामने आई है जो इन संबंधों को फिर से बेपटरी कर सकते हैं।
कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया में कट्टरपंथी सिख तत्वों ने 'रिपब्लिक ऑफ खालिस्तान' के नाम से एक दूतावास खोला है। यह दूतावास सरे में गुरु नानक सिख गुरुद्वारे के एक हिस्से में बनाया गया है।
ये वही गुरुद्वारा है जिसका नेतृत्व एक समय खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर करता था। उसकी हत्या के बाद से ही भारत और कनाडा के रिश्तों में तल्खी आ गई थी। बता दें कि निज्जर को इसी गुरुद्वारे की पार्किंग के पास गोली मारी गई थी।
निज्जर समर्थकों ने खोला 'खालिस्तानी दूतावास'!
सूत्रों के मुताबिक, इस दूतावास को निज्जर समर्थकों ने सांकेतिक रूप में खोला है। इसे 'खालिस्तानी रेफरेंडम' की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है जिस आतंकी संगठन 'सिख फॉर जस्टिस' (SFJ) कराना चाहता है। भारतीय सुरक्षा एजेंसियां इस पर नजरें बनाए हुई हैं।
कौन रच रहा रिश्तों को डिरेल करने की साजिश?
इस 'दूतावास' को दोनों देशों के बीच रिश्ते सुधारने की कोशिश को डिरेल करने की साजिश के रुप में देखा जा रहा है, जिसमें साल की शुरुआत में जी7 समिट के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कनाडा ने नवनिर्वाचित पीएम मार्क कार्नी के बीच मुलाकात शामिल है।
दोनों देशों ने निज्जर की हत्या और पूर्व कनाडाई पीएम ट्रूडो के आरोपों से शुरू हुए कूटनीतिक विवादों को पीछे रखकर आगे बढ़ने में रुचि दिखाई है। भारत ने शुरु से ही निज्जर की हत्या में किसी भी तरह की भूमिका से साफ इनकार किया है।
भारत के खिलाफ कनाडा की धरती के इस्तेमाल पर जताई चिंता
नई दिल्ली ने लंबे समय से इस बात को लेकर अपनी चिंता जताई कि खालिस्तानी तत्व भारत के खिलाफ कनाडा की धरती का इस्तेमाल कर रहे हैं और ओटावा की ओर से उनके खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया जा रहा है।
भारत के लिए सांकेतिक खालिस्तानी 'दूतावास' एक और उदाहरण है कि कनाडा उन चरमपंथी समूहों के खिलाफ एक्शन लेने में विफल रहा है, जिन्हें वो अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा मानता है। यह मुद्दा उसने 1985 में एयर इंडिया बम विस्फोट के बाद से बार-बार उठाया है, जिसमें 329 लोग मारे गए थे।
कनाडाई एजेंसी ने स्वीकारी चरमपंथ से खतरे की बात
बता दें कि भारत की चेतावनी अब कनाडा की खुफिया आंकलनों में गूंज रही है। जून महीने में कनाडाई सिक्योरिटी एंड इंटेलिजेंस सर्विस (CSIS) ने पहली बार सार्वजनिक रूप से कनाडा की धरती से एक्टिव खालिस्तानी चरमपंथियों से होने वाले खतरे को स्वीकार किया था।
CSIS ने अपनी सालाना रिपोर्ट में बताया कि कनाडा स्थित चरमपंथी संगठन (CBKE) देश में राजनीतिक रूप से प्रेरित हिंसक उग्रवाद का लंबे समय से स्त्रोत बने हुए हैं।
हालांकि, 2024 में सीबीकेई से जुड़ी किसी भी हमले की कोई जानकारी नहीं मिली है लेकिन एजेंसी ने चेतावनी दी है कि ऐसे तत्व विदेशों में हिंसा, वित्तपोषण और साजिशें रचने में लगे रहेंगे।
यह पहली बार था जब कनाडाई अधिकारियों ने खालिस्तान आंदोलन के संबंध में आधिकारिक तौर पर 'चरमपंथ' शब्द का इस्तेमाल किया।
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