Wheat Export Ban: केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने वैश्विक खाद्य असुरक्षा पर जताई चिंता, भारत ने मदद के लिए उठाए कदम
केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने बुधवार को न्यूयार्क में वैश्विक खाद्य सुरक्षा-काल टू एक्शन पर उच्च स्तरीय मंत्रिस्तरीय बैठक को संबोधित करते हुए वैश्विक खाद्य असुरक्षा पर चिंता व्यक्त की। यूक्रेन युद्ध सहित कई मुद्दों दिया जोर।
न्यूयार्क, एएनआइ। केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने बुधवार को न्यूयार्क में 'वैश्विक खाद्य सुरक्षा-काल टू एक्शन' पर उच्च स्तरीय मंत्रिस्तरीय बैठक को संबोधित करते हुए वैश्विक खाद्य असुरक्षा पर चिंता व्यक्त की। न्यूयार्क में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने इस बैठक की अध्यक्षता की। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कोरोना महामारी और रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष ने विकासशील देशों को प्रभावित किया है। पिछले कुछ सालों में ऊर्जा और कमोडिटी की कीमतों में बढ़ोतरी हुई और वैश्विक रसद आपूर्ति श्रृंखलाओं में व्यवधान आया है।
India expresses concern over global food insecurity, underlines need of collective work to alleviate sufferings of most affected
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रचनात्मक बातचीत से निकले युद्ध का हल
यूक्रेन संघर्ष का जिक्र करते हुए मुरलीधरन ने कहा कि संघर्ष से अन्य बातों के साथ-साथ पैदा होने वाली खाद्य सुरक्षा चुनौतियों के लिए रचनात्मक प्रतिक्रिया की जरूरत है। उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संबंधित नेतृत्व के साथ चर्चा करते हुए दोनों पक्षों के बीच रचनात्मक बातचीत के माध्यम से एक राजनयिक समाधान निकालने पर जोर दिया है।
उन्होंने आगे कहा, 'हमने खाद्य, ऊर्जा और वित्त (जीसीआरजी) पर एक वैश्विक संकट प्रतिक्रिया समूह की स्थापना की महासचिव की पहल पर ध्यान केंद्रित किया है। हम तत्काल प्रभाव से खाद्य निर्यात प्रतिबंधों से मानवीय सहायता के लिए विश्व खाद्य कार्यक्रम द्वारा भोजन की खरीद को छूट देने के महासचिव के आह्वान की सराहना करते हैं।'
भारत ने मदद के लिए उठाए कदम
केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि गेहूं की वैश्विक कीमतों में अचानक वृद्धि ने खाद्य सुरक्षा और पड़ोसी देशों और अन्य कमजोर देशों को खतरे में डाल दिया है। मुरलीधरन ने कहा, 'हम यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि खाद्य सुरक्षा पर इस तरह के प्रतिकूल प्रभाव को प्रभावी ढंग से कम किया जाए। अपनी समग्र खाद्य सुरक्षा का प्रबंधन करने और पड़ोसी और अन्य कमजोर विकासशील देशों की जरूरतों का समर्थन करने के लिए, हम 13 मई, 2022 को गेहूं के निर्यात के संबंध में कुछ उपायों की घोषणा की है।'
मुरलीधरन ने कहा कि इन उपायों ने उन देशों को अनुमोदन के आधार पर निर्यात की अनुमति दी गई, जिन्हें अपनी खाद्य सुरक्षा मांगों को पूरा करने की आवश्यकता है। उन्होंने आगे कहा कि यह संबंधित सरकारों के अनुरोध पर किया जाएगा और इस तरह की नीति यह सुनिश्चित करेगी कि भारत उन लोगों को सही मायने में खाद्य मुहैया कराएगा जिन्हें सबसे ज्यादा जरूरत है।
श्रीलंका की साहयता कर रहा है भारत
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत 50,000 मीट्रिक टन गेहूं अफगानिस्तान को दान कर रहा है। उन्होंने आगे कहा कि म्यांमार के लिए, भारत ने अपना मानवीय समर्थन जारी रखा है, जिसमें 10,000 टन चावल और गेहूं का अनुदान भी शामिल है।
श्रीलंका के आर्थिक संकट को देखते हुए मुरलीधरन ने कहा, 'हम इस कठिन समय के दौरान खाद्य सहायता सहित श्रीलंका की भी सहायता कर रहे हैं। वसुधैव कुटुम्बकम, (दुनिया एक परिवार है) और हमारी नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी के हमारे लोकाचार को ध्यान में रखते हुए, हम अपने पड़ोसियों की जरूरत की घड़ी में उनकी मदद करना जारी रखेंगे और हमेशा उनके साथ खड़े रहेंगे।'