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    WHO से बाहर, BRICS को धमकी, ICC पर प्रतिबंध, वैश्विक संस्थाओं पर नकेल कसकर क्या पाना चाहते हैं डोनाल्ड ट्रंप?

    Donald Trump डोनाल्ड ट्रंप लगातार वैश्विक संस्थाओं पर सख्ती बरत रहे हैं। पहले WHO से बाहर BRICS को धमकी फिर ICC पर प्रतिबंध जैसे एलान के बाद अब ट्रंप गाजा पर कब्जा करने की बात कह रहे हैं। ये सब करके वे दुनिया को क्या संदेश देना चाहते हैं। ऐसी प्रेशर डिप्लोमेसी के पीछे उनका कारोबारी दिमाग है या और कुछ? इस पर क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

    By Deepak Vyas Edited By: Deepak Vyas Updated: Tue, 11 Feb 2025 07:19 PM (IST)
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    डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति बनते ही वैश्विक संस्थाओं को खुलेआम चेतावनी दे डाली है।

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति बनते ही वैश्विक संस्थाओं को खुलेआम चेतावनी दे डाली है। राष्ट्रपति पद संभालते ही पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO से अलग हुए। फिर ब्रिक्स देशों को डॉलर को प्रभावित करने का आरोप लगाकर 100 फीसदी टैरिफ लगाने की चेतावनी दी। उसके बाद ICC यानी अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय पर यह कहकर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया कि ICC अपनी ताकत का गलत उपयोग करता है। सवाल यह उठता है कि आखिर ट्रंप दुनिया की संस्थाओं पर नकेल कसकर क्या हासिल करना चाहते हैं?

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    'अमेरिका फर्स्ट' के नारे के साथ सत्ता में वापस आए डोनाल्ड ट्रंप आते ही अपनी कठोर विदेश नीति से लगातार नए फैसले लेते जा रहे हैं। आते ही उन्होंने सबसे पहले नागरिकता कानून में संशोधन करने की बात कही। उन्होंने अवैध प्रवासियों को चुन चुनकर उनके देशों में भेजने के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए। इस पर अमल भी होने लगा।

    इसके बाद WHO से खुद को बाहर करने के फैसले पर हस्ताक्षर कर डाले। WHO, UNHRC, UNRWA, पेरिस जलवायु समझौते से भी अमेरिका को अलग कर लिया। फिर आईसीसी पर बैन लगा दिया। अब गाजा पर 'कब्जे' की बात कर रहे हैं।

    • संयुक्त राष्ट्र को चलाने वाले नियमित बजट की 22 फीसदी राशि अमेरिका वहन करता है।
    • शांति प्रयासों के लिए अमेरिका संयुक्त राष्ट्र के कुल खर्च का 25 फीसदी हिस्सा उठाता है। इस सूची में चीन का दूसरा स्थान है।

    ICC पर क्यों लगा दिया प्रतिबंध?

    • हाल ही में अमेरिकी यात्रा पर गए इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने वांटेड घोषित कर दिया। इसके जवाब में ट्रंप ने आईसीसी पर बैन लगाने के आदेश दे डाले। ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल में भी ICC की कार्यप्रणाली पर असंतोष जताया था।
    • ICC पर ताजा प्रतिबंध के पीछे यूएस का तर्क है कि इंटरनेशनल कोर्ट ने इजरायल के खिलाफ जो कार्रवाई की है वह 'निराधार' है। ट्रंप सरकार ने अपने निर्देश में कहा है कि आईसीसी' बिना किसी वैलिड आधार के अमेरिकी कर्मचारियों, इजरायल व अमेरिकी सहयोगियों के खिलाफ अपने अधिकार का उपयोग कर जांच की।

    WHO से बाहर होने के पीछे क्या तर्क?

    • अमेरिका ने विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO से बाहर का फैसला इसलिए लिया क्योंकि उसका मानना है कि को​रोना के समय WHO ठीक से काम नहीं कर पाया। अमेरिका यह भी मानता है कि WHO चीन की तरफदारी करता है।
    • स्वास्थ्य संगठन को ​अमेरिका से वार्षिक फंड यानी अनुदान के रूप में मोटी राशि मिलती है। साल 2022 23 में 128 करोड़ डॉलर की मदद की। ट्रंप प्रशासन का तर्क है कि WHO राशि का उपयोग ठीक तरीके से नहीं करता है।
    • अमेरिका का मानना है कि 'अमेरिका फर्स्ट' की नीति के तहत ट्रंप की पॉलिसी WHO को दी जाने वाली राशि का उपयोग अपने देश में करके लाभ हासिल करना चाहती हैं।

    पेरिस जलवायु समझौते से US क्यों हुआ आउट?

    • ट्रंप ने पेरिस जलवायु समझौते से खुद को इलग कर लिया। दरअसल, पेरिस क्लाइमेट एग्रीमेंट के प्रति ट्रंप की शुरू से ही नाराजगी रही है। ट्रंप का तर्क रहा कि चीन और भारत जैसे देश ज्यादा कार्बन उत्सर्जन करते हैं, इन्हें रोकने में पेरिस क्लाइमेट एग्रीमेंट के नियम सफल नहीं हुए।
    • ट्रंप ने तो यहां तक तर्क दिया कि यह समझौता गलत दिशा में भटक गया है। इसलिए अमेरिका को ऐसे समझौतों की कोई जरूरत नहीं है। पेरिस समझौते से अमेरिका को हमेशा यह डर रहा कि इससे अमेरिकी उद्योग धंधों पर असर पड़ेगा। नौकरियां कम हो जाएंगी। ट्रंप ऐसी शर्तों को अमेरिकी हितों के विपरीत मानते रहे हैं।

    UNHRC से बाहर होने के पीछे ट्रंप प्रशासन का क्या है तर्क?

    UNHRC यानी संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से भी ट्रंप ने हाल ही में अलग होने की घोषणा कर दी। साथ ही मानवाधिकार परिषद को ​दी जाने वाली आर्थिक सहायता पर भी रोक लगा दी। इजरायल हमास युद्ध के बीच ट्रंप का मानना है कि UNHRC इजरायल के खिलाफ बायस्ड है और पूर्वाग्रह रखता है।

    ट्रंप ने UNESCO और UNRWA पर भी उठा दिए सवाल

    राष्ट्रपति ट्रंप ने UNESCO में भी अमेरिका की क्या भूमिका है, इसकी समीक्षा का आदेश दिया है। UN की संस्था के रूप में काम करने वाली संस्था UNRWA फलस्तीनी शरणार्थियों के लिए काम करती है। इजरायल ने आरोप लगाया है कि UNRWA हमास के आतंकियों को पनाह देती है। इजरायली पीएम नेतन्याहू ने भी UNRWA पर बायस्ड होने के आरोप लगाए हैं। इन सबके बाद ट्रंप ने UNRWA से अलग होना ही उचित समझा।

    ट्रंप की 'आई मी और मायसेल्फ' की नीति दुनिया के लिए चैलेंज

    सीनियर जर्नलिस्ट और अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ राशिद किदवई ने बताया

    ट्रंप की 'उटपटांग' बातों से दुनिया के लोगों को अब उनसे कोई उम्मीद नहीं है।रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन हो या चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग, वैश्विक नेताओं के बीच उनकी छवि अच्छी नहीं बन रही है। क्योंकि हर देश और वैश्विक संस्थाओं का आत्मसम्मान होता है।

    ट्रंप अपने आदेशों और निर्णयों से वैश्विक मंच पर सौदेबाजी कर रहे हैं, जबकि पहले आइडियोलॉजी पर बात होती थी। ट्रंप अब ग्लोबल कॉज पर नहीं, बल्कि 'आई मी और मायसेल्फ' पर काम कर रहे हैं। चीन, भारत सहित दुनिया के देश ट्रंप की ऐसी कूटनीति से कैसे डील करेंगे, यह एक बड़ा चैलेंज है।