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    काफी रोचक है ध्रुवीय और भूरे भालुओं का इतिहास, इतने लाख वर्ष पहले इनकी अलग-अलग प्रजाति बनने लगी थी

    By Sanjay PokhriyalEdited By:
    Updated: Tue, 14 Jun 2022 01:26 PM (IST)

    Polar Bears Newsओस्लो यूनिवर्सिटी के प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय में रखा गया है। नए डाटासेट के आधार पर शोधकर्ताओं का अनुमान है कि 13 से 16 लाख वर्ष पहले ध्रुवीय और भूरे भालू की अलग-अलग प्रजाति बनने लगी थी।

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    बफेलो यूनिवर्सिटी के विज्ञानियों ने किया विस्तृत शोध, इसे नेशनल एकेडमी आफ साइंस में किया गया है प्रकाशित

    वाशिंगटन, एएनआइ : ध्रुवीय और भूरे भालू के क्रमिक विकास का इतिहास काफी दिलचस्प है। बफेलो यूनिवर्सिटी के विज्ञानियों ने इस दिशा में विस्तृत शोध किया है। यह नया शोध डाटासेट पर आधारित है, जिसमें प्राचीन ध्रुवीय भालू के दांत और डीएनए पर गहन शोध किया गया है। अलग प्रजाति होने के बाद भी इन जानवरों का आपस में संसर्ग होता रहा। बफेलो यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर चार्लोट लिंडक्विस्ट बताते हैं कि इस प्रजाति के विकास की प्रक्रिया जटिल रही है। ध्रुवीय और भूरे भालू की पृथक प्रजाति बनने में लंबा वक्त लगा। इनके आनुवंशिक लक्षणों को प्राचीन जीनोम के माध्यम से समझा जा रहा है।

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    विज्ञानियों को ध्रुवीय और भूरे भालू के अंत: प्रजनन के प्रमाण मिले हैं। इससे पता चलता है कि दोनों के क्रमिक विकास की प्रक्रिया हजारों वर्ष पुरानी है। यह अन्य शोधकर्ताओं के अध्ययन को उलट है कि जीव प्रवाह यूनिडायरेक्शनल रहा है और पिछले हिमयुग के चरम के आसपास भूरे भालू में जा रहा था। यह अध्ययन नेशनल एकेडमी आफ साइंस में प्रकाशित किया गया है।

    आर्कटिक अनुकूलित ध्रुवीय भालू की अवधारणा भूरे भालू की आनुवंशिक को प्राप्त करती है। प्रतिकूल जलवायु में निवास करते वाले ध्रुवीय भालू आनुवंशिक रूप से भूरे भालू के निकटतम रहे हैं। जैसे-जैसे दुनिया का तापमान बढ़ता गया, धु्रवीय और भूरे भालू उन जगहों पर टकराते गए जहां दोनों के लिए मौसम अनुकूल बनता गया। उनके साझा विकासवादी इतिहास ने ही विज्ञानियों को इसमें दिलचस्पी प्रदान की। इंटरब्रीडिंग की प्रक्रिया यहां से शुरू हुई। विज्ञानियों के विश्लेषण में धु्रवीय और भूरे भालू के जीनोम में संकरण के सुबूत मिलते हैं। पहले के शोध में इसके विपरीत बातें सामने आई थीं। यह रोमांचक ही है कि कैसे डीएनए प्राचीन जीवन इतिहास को प्रकट करता है। जीन प्रवाह की दिशा को समझने को लेकर विज्ञानियों ने व्यापक शोध किया। इसके लिए जलवायु परिवर्तन, पारिस्थितिकी तंत्र आदि को भी ध्यान में रखा गया।

    मनुष्य की तरह भालुओं के क्रमिक विकास को समझना इतना आसान नहीं था। नए अध्ययन में जीनोमिक शोध से पता चलता है कि स्तनधारी जीवों के विकास की प्रक्रिया जटिल रही है और इतनी आसानी से विकासवादी इतिहास को प्रस्तुत नहीं करते। इस शोध के लिए 64 आधुनिक धु्रवीय और भूरे भालुओं को शामिल किया गया। अलास्का ऐसी जगह है जहां दोनों प्रजातियां बहुतायत में उपलब्ध हैं। टीम ने एक ध्रुवीय भालू के लिए नया और पूर्ण जीनोम तैयार किया जो नार्वे के स्वालबार्ड द्वीपसमूह में एक लाख 15 हजार से एक लाख 30 हजार वर्ष पहले रहता था। प्राचीन धु्रवीय भालू के डीएनए को सबफासिल जबड़े की हड्डी से जुड़े दांतों से लिया गया। इसे अब ओस्लो यूनिवर्सिटी के प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय में रखा गया है। नए डाटासेट के आधार पर शोधकर्ताओं का अनुमान है कि 13 से 16 लाख वर्ष पहले ध्रुवीय और भूरे भालू की अलग-अलग प्रजाति बनने लगी थी।