भारतीयों के लिए मुश्किल देश बना अमेरिका, ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में अब तक वीजा नियमों में कौन से बदलाव हुए?
अमेरिका भारतीयों के लिए मुश्किल होता जा रहा है। ट्रम्प के दूसरे कार्यकाल में वीजा नियमों में बदलाव से भारतीयों के लिए वहां रहना कठिन हो गया है। एच-1बी वीजा प्राप्त करना मुश्किल हो गया है, ग्रीन कार्ड में देरी हो रही है, और यात्रा प्रतिबंधों ने भी मुश्किलें बढ़ा दी हैं। छात्र वीजा नियमों को भी सख्त किया गया है।

डोनल्ड ट्रंप। (फाइल)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पिछले कुछ महीनों से ट्रंप प्रशासन यूएस वीजा सिस्टम में लगातार बदलाव कर रहा है। इसमें विदेशी ड्राइवरों के लिए वर्कर वीजा पर रोक लगाने से लेकर आटोमैटिक वर्क परमिट रिन्यूअल खत्म करना शामिल है।
आइये जानते हैं ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में अब तक वीजा नियमों में कौन से बदलाव हुए हैं और भारतीय इससे कैसे प्रभावित हुए हैं।
वर्कर वीजा पर रोक
प्रेसिडेंट डोनल्ड ट्रंप ने 21 अगस्त को अचानक ट्रक ड्राइवरों को अमेरिका का वीजा देने पर रोक लगा दी देना। यह कदम एक जानलेवा दुर्घटना के बाद उठाया गया, जिसमें गैर कानूनी तरीके से अमेरिका में रह रहा भारतीय ड्राइवर शामिल था। यह घटना राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बनी।
फेडरल आंकड़ों के अनुसार, 2000 और 2021 के बीच अमेरिका में विदेश में जन्मे ट्रक ड्राइवरों की संख्या दोगुनी से अधिक हो गई है। आधे से ज्यादा विदेशी ड्राइवर लैटिन अमेरिका से आते हैं, लेकिन भारत और पूर्वी यूरोपीय देशों से आने वाले ड्राइवर भी काफी संख्या में हैं। विदेशी ड्राइवरों के लिए वर्कर वीजा पर रोक लगने से भारतीय प्रभावित होंगे क्योंकि कई लोगों ने पहले ही नौकरी से जुड़ी प्रक्रिया में निवेश कर दिया होगा।
न्यू स्टूडेंट वीजा पालिसी अगस्त में ट्रंप प्रशासन नई यूएस स्टूडेंट वीजा पालिसी का प्रस्ताव रखा। इसके तहत एफ वीजा पर आने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्रों और जे वीजा के लिए एक तय समय तय की बात कही गई है। जे वीजा कल्चरल एक्सचेंज प्रोग्राम में आने वाले विजटिर्स को काम करने की अनुमति देता है।
इस प्रस्ताव से अंतरराष्ट्रीय छात्रों, एक्सचेंज वर्कर्स और विदेशी पत्रकारों के लिए मुश्किलें खड़ी हो गईं। अब उन्हें अमेरिका में अगर रहना है तो वीजा की अवधि बढ़ाने के लिए आवेदन करना होगा। अब स्टूडेंट और एक्सचेंज वीजा चार साल से अधिक नहीं चलेंगे। हालांकि इस साल भारत से अमेरिका आने वाले छात्रों की संख्या पहले ही आधी हो गई, लेकिन नए कदम से भारतीय छात्रों की संख्या में और कमी आएगी।
कड़े किए गए इंटरव्यू
अपाइंटमेंट के नियम 6 सितंबर को यूएस स्टेट डिपार्टमेंट ने गैर प्रवासी वीजा आवेदकों के लिए अपने नियम अपडेट किए और इंटरव्यू अपाइंटमेंट के नियम कड़े कर दिए। डिपार्टमेंट ने कहा कि गैर प्रवासी वीजा लिए आवेदक को अपने देश में यूएस दूतावास या कान्सुलेट में अपना वीजा इंटरव्यू शेड्यूल करना चाहिए। जो लोग अपने देश के बाहर ऐसा करते हैं, उन्हें वीजा के लिए क्वालिफाई करने में मुश्किल होगी। 
नए नियमों में यह भी कहा गया है कि वीजा इंटरव्यू और आवेदन के लिए दी गई फीस वापस नहीं की जाएगी। इसका मतलब है कि भारतीय आवेदकों को अपने इंटरव्यू अपाइंटमेंट भारत में ही शेड्यूल करने होंगे। पहले, वे भारत में अपाइंटमेंट की तारीख के लंबे इंतजार से बचने के लिए विदेश में अपाइंटमेंट बुक कर सकते थे। अब उनको इसके लिए महीनों इंतजार करना होगा।
एच-1बी वीजा की फीस बढ़ी 19 सितंबर को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एच-1बी वीजा की फीस बढ़ाकर 1,00,000 डालर करीब 90 लाख रुपये करने का आदेश जारी किया। यह आदेश 21 सितंबर से लागू हुआ। एच-1बी वीजा, एक गैर-प्रवासी कार्यक्रम है, जो अमेरिका की कंपनियों को आइटी, इंजीनियरिंग, मेडिसिन और साइंस जैसे खास क्षेत्रों में विदेशी वर्कर को नियुक्त करने की इजाजत देता है।
यह आम तौर पर तीन साल के लिए जारी किया जाता है, जिसे छह साल तक बढ़ाया जा सकता है। यह वर्कर को कंपनी में काम करते हुए अमेरिका में कानूनी तौर पर रहने और काम करने की अनुमति देता है।
फेडरल डाटा के मुताबिक, अमेरिका हर साल लाटरी के जरिये 85,000 एच-1बी वीजा जारी करता है। इन वीजा धारकों में से 70 प्रतिशत भारतीय हैं। अभी करीब 3 लाख हाई-स्किल्ड भारतीय वर्कर एच-1बी वीजा पर अमेरिका में रह रहे हैं। एक स्टडी 'द अदर वन परसेंट' के मुताबिक, एच-1बी वीजा कार्यक्रम की वजह से ही भारतीय अमेरिकी समुदाय अमेरिका में सबसे ज्यादा पढ़े लिखे और कमाई करने वाले समूह के तौर पर उभरा है।
वीजा कार्यक्रम ने भारतीय कंपनियों को अमेरिका में नए टेक प्रोफेशनल को लाने का मौका भी दिया, ताकि उन्हें उस जगह का अनुभव मिल सके, जहां उनके ज्यादातर क्लाइंट रहते हैं। आटोमैटिक वर्क परमिट रिन्यूअल खत्म ट्रंप प्रशासन ने बुधवार 29 अक्टूबर को वर्क वीजा रिन्यूअल की शर्तों में बदलाव की घोषणा की है, जिसका असर विदेशी वर्कर खासकर भारतीय पेशेवरों पर पड़ेगा।
डिपार्टमेंट आफ होमलैंड सिक्योरिटी के नए नियम के अनुसार, अगर एक्सपायरी डेट से विदेशी वर्कर उनके वीजा रिन्यूअल को मंजूरी नहीं मिलती है, तो विदेशी पेशेवरों का वर्क आथराइजेशन खत्म हो जाएगा। पहले ज्यादातर विदेशी पेशेवरों को उनके वर्क परमिट की अवधि खत्म होने के बाद भी अमेरिका में रहने की अनुमति थी, बशर्ते उन्होंने वीजा रिन्यूअल के लिए आवेदन किया हो।
स्त्रोत: जागरण रिसर्च

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