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    भारतीय किसानों पर आफत ट्रंप का टैरिफ, मगर पाकिस्तान की मौज; जानिए कैसे भरेगा पड़ोसी मुल्क का खजाना

    Updated: Sat, 09 Aug 2025 07:16 PM (IST)

    अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय बासमती चावल पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाने से कुल टैक्स 50% हो गया है। इससे अमेरिकी बाजार में भारतीय बासमती महंगा होगा और पाकिस्तान को फायदा मिलेगा क्योंकि वहां से आने वाले चावल पर कम टैरिफ है। भारत से अमेरिका को लगभग 3 लाख मीट्रिक टन बासमती चावल का निर्यात होता है।

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    ट्रंप का भारत को झटका बासमती चावल पर लगाया 50% टैक्स (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय बासमती चावल पर अतिरिक्त 25% टैरिफ लगा दिया है, जो पहले से लागू 25% रेसिप्रोकल टैरिफ के ऊपर है। जिससे कुल टैक्स अब 50% हो गया है।

    इस फैसले से भारतीय बासमती चावल अमेरिका में महंगा हो जाएगा और पाकिस्तान को इससे फायदा मिलेगा, क्योंकि वहां से आने वाली बासमती पर केवल 19% टैरिफ लगता है।

    अमेरिकी बाजार में बासमती चावल की कुल मांग लगभग 5 लाख मीट्रिक टन है, जिसमें भारत 3 लाख मीट्रिक टन (करीब 350 मिलियन डॉलर मूल्य) निर्यात करता है। जबकि, पाकिस्तान 1.8 मीट्रिक टन भेजता है।

    नए टैक्स के क्या होगा दाम?

    फिलहाल, भारतीय बासमती की औसत कीमत 1200 डॉलर प्रति मीट्रिक टन है। लेकिन, नए टैक्स के बाद यह 1800 डॉलर हो जाएगी, जबकि पाकिस्तान की बासमती 1450 डॉलर प्रति टन में उपलब्ध होगी।

    पंजाब भारत में सबसे ज्यादा बासमती चावल उत्पादक राज्य है, जो कुल उत्पादन का 40% देता है। इसके बाद हरियाणा और अन्य राज्य आते हैं। वित्त वर्ष 2023-24 में भारत ने 59.42 लाख मीट्रिक टन निर्यात किया, जिसमें अमेरिका की हिस्सेदारी करीब 3 लाख मीट्रिक टन रही। नए टैरिफ से भारत की अमेरिकी बाजार में हिस्सेदारी 50% से 80% तक घट सकती है।

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    पंजाब में कितनी होती है बासमती की खेती?

    बासमती की खेती पंजाब में 2015-16 के 7.63 लाख हेक्टेयर से घटकर 2024-25 में 6.39 लाख हेक्टेयर रह गई। पिछले साल बासमती की कीमत 4500 रुपये प्रति क्विंटल थी, जो घटकर 3500-3600 रुपये हो गई। अगर स्थिति खराब रही तो यह और गिरकर 3000 रुपये तक आ सकती है।

    किन-किन राज्यों के किसानों पर पड़ेगा असर

    निर्यातकों का कहना है कि अमेरिका में मांग घटने से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी यूपी में खरीद मूल्य कम होगा। इससे किसानों की आमदनी पर सीधा असर पड़ेगा। स्थानीय थोक बाजार में भी दाम 71 रुपये किलो से घटकर 62 रुपये किलो हो गए हैं। खुदरा कीमत भी घट सकती है।

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