अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट का ट्रंप के पक्ष में फैसला, अब US में जन्मसिद्ध नागरिकता के लिए आगे क्या होगा? खड़े हुए कई सवाल
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने जन्मसिद्ध नागरिकता समाप्त करने के लिए कार्यकारी आदेश जारी किया था जिसके खिलाफ मुकदमे दायर किए गए। सुप्रीम कोर्ट ने ट्रम्प प्रशासन के पक्ष में निर्णय दिया। इस फैसले से कई सवाल उठे हैं खासकर अवैध प्रवासियों के बच्चों की नागरिकता को लेकर। 22 डेमोक्रेटिक राज्यों ने आदेश के खिलाफ केस दायर किए थे।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अपने कार्यकाल के पहले दिन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जन्मसिद्ध नागरिकता समाप्त करने के लिए एक कार्यकारी आदेश जारी किया, जोकि अमेरिका में जन्मे सभी बच्चों को नागरिकता प्रदान करता है। यह अधिकार संविधान में 160 वर्षों से निहित है।
इस आदेश को चुनौती देने वाले मुकदमे दायर किए गए और कई राज्यों के न्यायाधीशों ने इसे रोकने के लिए निषेधाज्ञाएं जारी कीं। हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने ट्रंप प्रशासन के पक्ष में निर्णय दिया, जिससे आदेश लागू होने का रास्ता साफ हो गया।
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उठे कई सवाल
इससे कई सवाल उठते हैं जैसे कि क्या कुछ राज्यों में अवैध रूप से रहने वाले प्रवासियों के बच्चों को नागरिकता का अधिकार होगा? क्या ऐसे माता-पिता के बच्चों को निर्वासित किया जा सकता है? 22 राज्यों, जहां डेमोक्रेटिक सरकारें है, वहां जन्मसिद्ध नागरिकता आदेश के खिलाफ केस दायर किए गए थे।
निर्णय के संभावित प्रभावों पर चर्चा जारी है
इसके विपरीत 28 राज्यों में जहां आदेश को चुनौती नहीं दी गई, अवैध रूप से रहने वाले प्रवासियों के बच्चों को अमेरिकी नागरिकता से वंचित किया जा सकता है। बता दें कि कई प्रवासी अधिकार समूहों ने इस आदेश के खिलाफ आपातकालीन रोक लगाने की मांग की है। इस निर्णय के संभावित प्रभावों पर चर्चा जारी है।
अब अगले कदम को लेकर लेकर फैली अनिश्चितता
बता दें कि अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों ने जन्मसिद्ध नागरिकता नीति को चुनौती देने वाले मामलों को निचली अदालतों में वापस भेज दिया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, निचली अदालतों यह तय करना होगा कि नए फैसले का पालन करने के लिए अपने आदेशों को कैसे तैयार किया जाए।
बता दें कि कार्यकारी आदेश कम से कम 30 दिनों के लिए अवरुद्ध रहता है। ऐसा इसलिए जिससे निचली अदालतों और पक्षों को अगले कदमों को सुलझाने का समय मिल जाता है।
माना जा रहा है कि इस मामले में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यह संभावना खुली रह गई है कि नीति को चुनौती देने वाले समूह अभी भी सामूहिक मुकदमों के माध्यम से राष्ट्रव्यापी राहत प्राप्त कर सकते हैं। बताया जा रहा है कि फैसले के कुछ ही घंटों बाद, मैरीलैंड और न्यू हैम्पशायर में ट्रम्प के आदेश को रोकने के लिए दो सामूहिक मुकदमे दायर किए गए।
विरोधियों ने दी है ये चेतावनी
वहीं, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप आदेश के विरोधियों ने चेतावनी दी कि इससे राज्यों में नीतियों में गड़बड़ी पैदा हो जाएगी, जिससे राष्ट्रव्यापी राहत के बिना अराजकता और भ्रम की स्थिति पैदा हो जाएगी।
बता दें कि अमेरिका में शरणार्थियों और प्रवासियों का समर्थन करने वाली गैर-लाभकारी संस्था ग्लोबल रिफ्यूज के अध्यक्ष और सीईओ कृष ओ'मारा विग्नराजा ने कहा कि जन्मसिद्ध नागरिकता एक सदी से भी अधिक समय से संवैधानिक कानून रही है। उनका कहना है कि निचली अदालतों को उस अधिकार को समान रूप से लागू करने की क्षमता से वंचित करके, न्यायालय ने अराजकता, असमानता और भय को आमंत्रित किया है। (इनपुट एपी के साथ)
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