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    US China Tension: अमेरिका ने प्रशांत द्वीप समूह के देशों से मजबूत किए रिश्‍ते, चीन की उम्‍मीदों पर फि‍रा पानी

    By AgencyEdited By: Krishna Bihari Singh
    Updated: Sun, 23 Oct 2022 07:19 PM (IST)

    प्रशांत द्वीपों से अमेरिकी नजदीकियों ने चीन के इस तरह के कदमों को रोकने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई है। आलम यह है कि चीन के खिलाफ वाशिंगटन शिखर सम्मेलन के साथ अमेरिकी-प्रशांत साझेदारी बयानबाजी से आगे बढ़ गई है।

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    अमेरिका ने चीन के डेबिट ट्रैप के काट की रणनीति अपनाई है।

    वाशिंगटन, एएनआइ। इस साल मार्च में एक रिपोर्ट लीक हुई थी जिसमें दावा किया गया था कि चीन सोलोमन द्वीप में अपनी सैन्‍य मौजूदगी बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है। रिपोर्ट में कहा गया था कि चीन सोलोमन द्वीप में अपना नौसैनिक बेस खोलने के लिए एक गुप्त समझौता कर रहा है। अब समाचार एजेंसी एएनआइ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि प्रशांत द्वीपों से अमेरिकी नजदीकियों ने चीन के इस तरह के कदमों को रोकने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई है।

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    एक दूसरे से साझा की चिंताएं

    नीति अनुसंधान समूह पोरेग (Research group Poreg) की रिपोर्ट में कहा गया है कि बाइडन प्रशासन ने बिना किसी भेदभाव के प्रशांत द्वीपवासियों से संपर्क किया और आपसी चिंताओं को एकदूसरे से साझा किया। बीते छह महीनों में बाइडन प्रशासन प्रशांत द्वीप समुदाय की चिंताओं को दूर करने के साथ ही सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए एक मददगार के तौर पर उभरा है। अमेरिका ने जलवायु परिवर्तन से निपटने और मत्स्य पालन को अतिक्रमण से बचाने की दिशा में कदम बढ़ाया है।

    बयानबाजी से आगे बढ़े रिश्‍ते

    पोरेग (Research group Poreg) की रिपोर्ट के मुताबिक बाइडन प्रशासन ने प्रशांत द्वीप समुदाय की चिंताओं को दूर करते हुए कार्रवाई शुरू की है। अमेरिका की ओर से 810 मिलियन अमेरिकी डालर से अधिक की सहायता की घोषणा है। बीते एक दशक में अमेरिका ने प्रशांत द्वीप समूह को लगभग 1.5 अरब अमेरिकी डालर की आर्थिक मदद दी है। आलम यह है कि चीन के खिलाफ वाशिंगटन शिखर सम्मेलन के साथ अमेरिकी-प्रशांत साझेदारी बयानबाजी से आगे बढ़ गई है।

    प्रशांत द्वीपीय देशों की चिंताओं पर दिया ध्‍यान

    पोरेग की रिपोर्ट के अनुसार, दो दिवसीय वाशिंगटन शिखर सम्मेलन में सोलोमन द्वीप समूह की मौजूदगी से चीन को करारा झटका लगा है। इस शिखर सम्मेलन से 11 सूत्रीय घोषणापत्र सामने आया था। इस घोषणा पत्र में प्रशांत द्वीप समूह के देशों में सुरक्षा से लेकर मत्स्य पालन तक सब कुछ चीन के नियंत्रण में लाने की योजना का विरोध किया गया। चीन के खिलाफ अमेरिका को यह सफलता इसलिए मिली क्‍योंकि राष्‍ट्रपति जो बाइडन ने प्रशांत द्वीप देशों के प्रमुख मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया।

    समर्थन हासिल करने में कामयाब रहा अमेरिका

    मालूम हो कि मई महीने में चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने (Chinese Foreign Minister Wang Yi) ने दस द्वीपीय राष्ट्रों के साथ बैठक की अध्यक्षता की थी। चीन विदेश मंत्री इन राष्‍ट्रों को एक सुरक्षा समझौते पर लाने की कोशिश कर रहे थे। सोलोमन द्वीप समूह, किरिबाती, समोआ, फिजी, टोंगा, वानुअतु, पापुआ न्यू गिनी, कुक आइलैंड्स, नीयू और माइक्रोनेशिया के नेताओं ने बड़े ध्यान से वांग यी (Wang Yi) की बात सुनी। चीन के लिए यह अल्पकालिक उत्साह था क्योंकि इन दस मुल्‍कों में से आठ ने अब अमेरिका का पक्ष लिया है।

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