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    अमेरिका: पादरी और उनकी पत्नी पर चर्च के सदस्यों के साथ यौन शोषण करने का आरोप, 10 साल तक की ऐसी हरकत

    Updated: Tue, 13 May 2025 10:34 AM (IST)

    अमेरिकी पादरी और उनकी पत्नी पर 10 साल तक चर्च के सदस्यों को गुलाम बनाकर काम करवाने का आरोप लगा है। साथ ही काम के साथ-साथ उन पर यौन शोषण का भी आरोप है। संघीय अभियोजकों ने कहा कि न्यू जर्सी के एक स्वयंभू पादरी और उसकी पत्नी ने चर्च के सदस्यों को लगभग 10 साल तक गुलामी और यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर किया

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    पत्नी पर चर्च के सदस्यों के साथ यौन शोषण का आरोप

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिकी के न्यूजर्सी से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। अमेरिकी पादरी और उनकी पत्नी पर 10 साल तक चर्च के सदस्यों को गुलाम बनाकर काम करवाने का आरोप लगा है। साथ ही काम के साथ-साथ उन पर यौन शोषण का भी आरोप है।

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    संघीय अभियोजकों ने कहा कि न्यू जर्सी के एक स्वयंभू पादरी और उसकी पत्नी ने चर्च के सदस्यों को लगभग 10 साल तक गुलामी और यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर किया,और उनसे कहा कि अगर वे नहीं माने तो भगवान उन्हें दंडित करेंगे।

    60 साल के कपल ने किया ऐसा काम

    बता दें 60 साल के ट्रेवा एडवर्ड्स और उनकी 63 साल की पत्नी क्रिस्टीन पर ये आरोप लगा है। अमेरिकी अटॉर्नी कार्यालय ने कहा कि 60 साल की ट्रेवा एडवर्ड्स और उनकी 63 साल की पत्नी क्रिस्टीन ने कमजोर स्थानीय लोगों को अपने ऑरेंज अपार्टमेंट बिल्डिंग में जीसस इज लॉर्ड बाय द होली घोस्ट चर्च में आकर्षित किया, साथ ही उन्हें भोजन और नींद पूरी नहीं करने दी। इसके साथ ही समुदाय में कठिन काम करने के लिए मजबूर किया

    अभियोजकों ने एक बयान में ये बात कही है, 'प्रतिवादियों ने पीड़ितों को यह विश्वास दिलाया कि यदि वे मेहनत नहीं करेंगे तो वे ईश्वर की कृपा खो देंगे।'

    दिन में केवल एक बार दिया जाता था खाना

    प्रतिवादियों ने पीड़ितों को अलग-थलग कर दिया, उनके संचार और ठिकानों पर नजर रखी, और उन्हें विश्वास दिलाया कि गैर-सदस्य दुष्ट हैं या शैतान के वश में हैं। एडवर्ड्स ने कथित तौर पर अपने भर्ती किए गए दास श्रम बल की सेवाओं का ठेका दिया, लेकिन सारी आय अपने पास रख ली, उन्हें दिन में केवल एक बार भोजन दिया और उन्हें काम और प्रार्थना के सख्त नियम पर रखा।

    संघीय अधिकारियों ने इस मामले में कहा कि कपल ने कथित तौर पर 2011 से 2020 तक क्रूर योजना को चलाया। अभियोजकों ने कहा कि उन्होंने 'ऐसे पीड़ितों की पहचान की और उन्हें भर्ती किया जो अपने निजी जीवन में संघर्षों का सामना कर रहे थे, जिसमें वित्तीय और पारिवारिक संघर्ष भी शामिल थे, जबकि ट्रेवा एडवर्ड्स ने उन्हें बताया कि उन्हें इस बात का अंदेशा था कि वो सीधे गोल्ड से संवाद कर सकता था।

    दोनों को हिरासत में रखा गया

    अधिकारियों ने बताया कि आरोप लगाए जाने के बाद दोनों को हिरासत में लिया गया था। यह तुरंत स्पष्ट नहीं है कि उन्होंने कोई वकील रखा है या अभी भी संघीय हिरासत में हैं। अभियोजकों ने कहा कि अगर दोषी ठहराया जाता है, तो दोनों को श्रम साजिश के आरोपों में अधिकतम 20 साल से लेकर आजीवन कारावास की सजा हो सकती है।