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    US: ओक्लाहोमा सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात को लेकर दो कानूनों को पलटा, कहा- ये असंवैधानिक है

    Oklahoma Abortion Laws ओक्लाहोमा के सुप्रीम कोर्ट ने दो गर्भपात-प्रतिबंध कानून को असंवैधानिक बताते हुए बड़ा फैसला सुनाया है। जजों ने तर्क दिया कि एक महिला को चिकित्सकीय आपात स्थिति की आवश्यकता के बिना अपने जीवन को संरक्षित करने के लिए गर्भावस्था को समाप्त करने का संवैधानिक अधिकार है।

    By AgencyEdited By: Mahen KhannaUpdated: Thu, 01 Jun 2023 09:53 AM (IST)
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    Oklahoma Abortion Laws ओक्लाहोमा के सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला।

    ओक्लाहोमा, एएनआई। Oklahoma Abortion Laws अमेरिका के राज्य ओक्लाहोमा के सुप्रीम कोर्ट ने दो गर्भपात-प्रतिबंध कानून को असंवैधानिक बताते हुए बड़ा फैसला सुनाया है। हालांकि, कोर्ट के इस फैसले का 1910 के कानून पर कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला है, जो अभी भी अधिकांश राज्यों में गर्भपात पर प्रतिबंध लगाता है।

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    चिकित्सा आपातकाल के मामले में अपवाद थे कानून

    सुप्रीम कोर्ट में आज जिन कानूनों को पलटा गया, वे नागरिक कानून थे जो उन्हें लागू करने के लिए निजी नागरिक मुकदमों पर निर्भर थे। दोनों कानूनों ने "चिकित्सा आपातकाल" के मामले में अपवाद स्थापित किए थे, इसलिए कोर्ट ने इसे असंवैधानिक बताया। 

    न्यायाधीशों ने दिया ये तर्क

    सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों ने इस कानून को 6-3 के फैसले से पलटा है। न्यू यॉर्क टाइम्स के अनुसार,  जजों ने तर्क दिया कि एक महिला को चिकित्सकीय आपात स्थिति की आवश्यकता के बिना, अपने जीवन को संरक्षित करने के लिए गर्भावस्था को समाप्त करने का संवैधानिक अधिकार है।

    ओक्लाहोमा में कानूनों का हुआ था विरोध

    ओक्लाहोमा उन रिपब्लिकन नेतृत्व वाले राज्यों में से एक है, जिसने पिछले साल रो बनाम वेड को पलटने के अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद गर्भपात पर रोक लगाने की मांग की थी। हालांकि, इसके विरोध में कई केस दर्ज किए गए और कई मामलों की सुनवाई राज्य के सर्वोच्च न्यायालयों द्वारा की गई। 

    ये अदालतें गर्भपात की पहुंच का निर्धारण करने में महत्वपूर्ण मध्यस्थ के रूप में उभरी, साथ ही देश की गर्भपात संबंधी बहस में एक नया राजनीतिक मोर्चा भी बन गया था। दूसरी ओर कुछ राज्यों के न्यायालयों ने फैसला सुनाया है कि गर्भपात के अधिकार उनके राज्य के संविधानों द्वारा संरक्षित हैं।

    कानूनी जटिलताओं पर भी जोर

    कोर्ट के फैसले ने कानूनी जटिलताओं पर भी जोर दिया, जिसमें कहा गया कि कैसे गर्भपात प्रतिबंध और अपवादों की व्याख्या उन परिस्थितियों में की जा सकती है जहां एक महिला का जीवन खतरे में है। रिपोर्ट के अनुसार, अन्य राज्यों में गर्भपात करवाने वाले डॉक्टरों ने दावा किया कि कानून का उल्लंघन किए बिना रोगियों की देखभाल करना मुश्किल था।