संयुक्त राष्ट्र से भारत को मिली राहत, बच्चों पर सशस्त्र संघर्ष के प्रभाव से जुड़ी रिपोर्ट से हटा नाम
संयुक्त राष्ट्र ने बच्चों पर सशस्त्र संघर्ष के प्रभाव से जुड़ी अपनी रिपोर्ट से भारत का नाम हटा दिया है।यूएन प्रमुख एंटोनियो गुटेरस ने कहा कि भारत सरकार ने बच्चों की बेहतर सुरक्षा के लिए कई सकारात्मक कदम उठाए। बता दें 13 साल पहले इस रिपोर्ट में पाकिस्तान और नाइजीरिया जैसे देशों के साथ शामिल भारत का नाम भी शामिल किया गया था।

संयुक्त राष्ट्र, पीटीआई। भारत को संयुक्त राष्ट्र से एक राहत भरी खबर मिली है। यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने बच्चों पर सशस्त्र संघर्ष के प्रभाव को लेकर 13 साल बाद 2023 की वार्षिक रिपोर्ट से भारत का नाम हटा दिया है। उन्होंने कहा कि इस पर चिंता जताने के बाद भारत सरकार ने बच्चों की सुरक्षा के लिए बेहतर उपाय किए।
पाकिस्तान-नाइजीरिया के साथ शामिल था भारत
संयुक्त राष्ट्र महासचिव की रिपोर्ट में भारत का नाम पाकिस्तान, नाइजीरिया, कैमरून, फिलीपींस, बुर्किना फासो आदि के साथ 2010 में शामिल किया गया था। इसमें जम्मू-कश्मीर में सशस्त्र समूहों द्वारा लड़कों की भर्ती करना, इसके बाद सुरक्षा बलों द्वारा सशस्त्र समूहों से संबद्धता को लेकर इन्हें हिरासत में लेने का आरोप लगाया गया था।यूएन महासचिव ने पिछले साल अपनी रिपोर्ट में बच्चों की सुरक्षा को लेकर विशेष प्रतिनिधियों के जरिये इस चिंता से निपटने में भारत सरकार के प्रयासों की प्रशंसा की थी।
भारत सरकार ने बच्चों की सुरक्षा को लेकर किए बेहतर उपाय
यूएन महासचिव ने बच्चों पर सशस्त्र संघर्ष के असर को लेकर 2023 की रिपोर्ट में कहा, भारत सरकार द्वारा बच्चों की सुरक्षा को लेकर बेहतर उपाय किए गए इसलिए भारत का नाम इस रिपोर्ट से हटाया जाता है। उन्होंने बच्चों की सुरक्षा को लेकर और काम करने की जरूरत वाले क्षेत्रों की पहचान को लेकर जुलाई, 2022 में तकनीकी मिशन कार्यालय के विशेष प्रतिनिधियों से भारत सरकार के समन्वय का विशेष उल्लेख किया और कहा कि इसके बाद नवंबर 2022 में जम्मू-कश्मीर में बच्चों की सुरक्षा मजबूत करने और शिक्षा देने को लेकर संयुक्त राष्ट्र के साथ मिलकर वर्कशाप का आयोजन किया गया था।
जम्मू-कश्मीर और अन्य राज्यों में सुधरे हालात
यूएन महासचिव ने जम्मू-कश्मीर, छत्तीसगढ़, असम, झारखंड व ओडिशा में बच्चों की सुरक्षा के लिए हुए काम की प्रशंसा की है। गुटेरस ने जम्मू-कश्मीर में जम्मू एंड कश्मीर कमीशन फार प्रोटेक्शन आफ चाइल्ड राइट्स का गठन किए जाने पर भी संतोष जाहिर किया। मालूम हो कि संयुक्त राष्ट्र ने 27,180 गंभीर उल्लंघनों की पुष्टि की, जिनमें से 24,300 मामले 2022 में ही हुए और 2,880 पहले किए गए थे लेकिन केवल 2022 की पुष्टि हुई।
आगे और हो सकता है सुधार
संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने इसके साथ ही अभी और सुधार की जरूरत भी बताई है। इसमें बच्चों की सुरक्षा को लेकर सशस्त्र और सुरक्षा बलों को प्रशिक्षण देना और उन पर घातक और गैर-घातक बल और पैलेट गन का प्रयोग निषिद्ध करना शामिल है। उन्होंने हिरासत में सभी प्रकार के दुर्व्यवहार को रोकने के उपायों के कार्यान्वयन और किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम और यौन अपराधों से बच्चों की सुरक्षा अधिनियम के पूर्ण कार्यान्वयन पर भी जोर दिया।

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