Trump Tariff On India: 'यूक्रेन में शांति के लिए भारत पर लगाया टैरिफ', US कोर्ट में ट्रंप प्रशासन ने दी अजीब दलील
Trump Tariff On India डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने टैरिफ मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। प्रशासन ने जजों से मामले की शीघ्र सुनवाई का आग्रह किया है। उनका कहना है कि राष्ट्रपति को संघीय कानून के तहत टैरिफ लगाने का व्यापक अधिकार है। ट्रंप प्रशासन का तर्क है कि यूक्रेन में शांति स्थापित करने के लिए भारत के खिलाफ रूसी तेल खरीद पर टैरिफ महत्वपूर्ण है।

पीटीआई, वॉशिंगटन। मनमाने तरीके से भारत समेत कई देशों पर टैरिफ थोपने वाले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का प्रशासन टैरिफ मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। प्रशासन ने जजों से इस मामले पर शीघ्र सुनवाई का अनुरोध किया और कहा कि राष्ट्रपति को संघीय कानून के तहत व्यापक टैरिफ लगाने का अधिकार है।
ट्रंप प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट में यह दलील दी है कि यूक्रेन में शांति के लिए राष्ट्रपति के प्रयास के तहत रूसी तेल खरीद को लेकर भारत के खिलाफ टैरिफ महत्वपूर्ण है। पिछले सप्ताह अमेरिकी अपीलीय अदालत से टैरिफ मामले में झटका लगा था।
ट्रंप के ज्यादातर टैरिफ गैरकानूनी
अदालत ने ट्रंप के ज्यादातर टैरिफ को गैरकानूनी करार दिया था और कहा था कि राष्ट्रपति ने अपनी सीमाओं का उल्लंघन करते हुए टैरिफ लगाए, जो कि अवैध हैं। हालांकि, अदालत ने टैरिफ पर रोक नहीं लगाई और 14 अक्टूबर तक सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने का मौका दिया। ट्रंप प्रशासन ने बुधवार को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में अपीलीय अदालत के फैसले को पलटने की अपील की।
अमेरिका आर्थिक तबाही के कगार
सॉलिसिटर जनरल डी जॉन सायर ने कोर्ट में दाखिल दस्तावेज में कहा, 'राष्ट्रपति और उनके कैबिनेट अधिकारियों ने यह पाया है कि टैरिफ शांति और अभूतपूर्व आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा दे रहे हैं। टैरिफ अधिकार से इनकार करने से हमारे देश को कारोबारी प्रतिशोध का सामना करना पड़ेगा और अमेरिका आर्थिक तबाही के कगार पर पहुंच जाएगा।'
कोर्ट में दाखिल 251 पेज की अपील
कोर्ट में दाखिल 251 पेज की अपील में यह दलील दी गई है कि यूक्रेन में रूस के युद्ध के करण पहले से मौजूद राष्ट्रीय आपातकाल से निपटने के लिए रूसी ऊर्जा उत्पादों की खरीद को लेकर भारत के खिलाफ टैरिफ लगाया गया है। यह यूक्रेन में शांति को लेकर राष्ट्रपति के प्रयासों का एक महत्वपूर्ण पहलू है।
अपीलीय अदालत ने यह सुनाया था फैसला
अपीलीय अदालत के 29 अगस्त को ट्रंप के टैरिफ के खिलाफ फैसला सुनाया था। वॉशिंगटन डीसी में अपीलीय अदालत ने 7-4 से ट्रंप के खिलाफ निर्णय देते हुए कहा था कि राष्ट्रपति ने 1977 के इंटरनेशनल इमरजेंसी इकोनामिक पावर्स एक्ट का इस्तेमाल पारस्परिक टैरिफ लगाने के लिए किया, लेकिन यह कानून ट्रंप को टैरिफ लगाने का असीमित अधिकार नहीं देता।
अदालत ने अपने फैसले में उल्लेख किया कि कानून में न तो टैरिफ का उल्लेख है और न ही इसमें ऐसी प्रक्रियात्मक सुरक्षाएं हैं जो टैरिफ लगाने की राष्ट्रपति की शक्ति पर स्पष्ट सीमाएं निर्धारित करती हों। ट्रंप ने अदालत के इस निर्णय पर दुख व्यक्त किया था और कोर्ट को पक्षपातपूर्ण बताया था।
टैरिफ केस में हार से होगा भारी नुकसान: ट्रंप
समाचार एजेंसी रायटर के अनुसार, ट्रंप ने बुधवार को व्हाइट हाउस में पत्रकारों से कहा कि अगर उनका प्रशासन सुप्रीम कोर्ट में टैरिफ केस हार जाता है तो देश को भारी नुकसान का सामना करना पड़ेगा। क्योंकि अमेरिका को यूरोपीय संघ, जापान और दक्षिण कोरिया समेत कई देशों के साथ किए गए समझौतों को रद करना पड़ सकता है। हालांकि उन्होंने यह भरोसा जताया कि इस मामले में उनके प्रशासन को जीत मिलेगी।
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