किम से तीसरी शिखर वार्ता को तैयार हैं ट्रंप, लेकिन इसकी सफलता पर लगा है प्रश्नचिह्न!
सिंगापुर और हनोई शिखर वार्ता के बाद अब डोनाल्ड ट्रंप किम जोंग उन से तीसरी शिखर वार्ता को भी तैयार हैं। हालांकि इसकी सफलता पर अभी से प्रश्नचिह्न भी लगा हुआ है।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। सिंगापुर और हनोई वार्ता के बाद अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप उत्तर कोरिया के प्रमुख किम जोंग उन से तीसरी शिखर वार्ता कर सकते हैं। इस शिखर वार्ता के लिए वह काफी हद तक तैयार हैं। इसका जिक्र भी उन्होंने खुद ओवल हाउस में पत्रकारों से बात करते हुए किया है। आपको बता दें कि दोनों नेताओं के बीच हनोई शिखर वार्ता को अधूरे में ही खत्म कर दिया गया था। हालांकि, ट्रंप इसको विफल नहीं मान रहे हैं। उनका कहना है कि सिंगापुर की तरह ही यह वार्ता भी अच्छे माहौल में हुई थी। उन्होंने पत्रकारों से यहां तक कहा है कि वह छोटी नहीं, बल्कि बड़ी डील की तरफ आगे बढ़ना चाहते हैं। यह बड़ी डील परमाणु हथियारों के निर्माण पर पूरी तरह से रोक और इन हथियारों के खात्मे को लेकर है। वह इससे अधिक कुछ और नहीं चाहते हैं। उन्होंने साफ कर दिया है कि वह कोरियाई प्रायद्वीप को पूरी तरह से परमाणु हथियारों से मुक्त देखना चाहते हैं।
आपको यहां पर ये भी बता दें कि इन दिनों दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे अमेरिका की यात्रा पर हैं। ट्रंप ने उत्तर केारिया को लेकर जो भी बयान दिया है वह मून के सामने ही दिया है। राष्ट्रपति ट्रंप ने इस दौरान ये भी साफ कर दिया है कि वह उत्तर कोरिया पर किसी भी तरह के नए प्रतिबंध नहीं लगाना चाहते हैं। इसकी वजह उत्तर कोरिया से अमेरिका के बेहतर होते संबंध हैं। उत्तर कोरिया से रिश्तों और वार्ता की बात करें तो दक्षिण कोरिया में स्टेट डिपार्टमेंट के पूर्व अधिकारी जोसेफ यून का कहना है कि उत्तर कोरिया वर्तमान में काफी विचलित स्थिति में है। उनका मानना है किम एक अच्छा मौका चूक गए हैं।
बहरहाल, अभी तक की दो शिखर वार्ताओं की बात करें तो इनमें दोनों देशों के प्रमुखों के बीच हाथ मिलाने से ज्यादा कुछ नहीं मिला है। ऐसा इसलिए, क्योंकि पिछले वर्ष सिंगापुर वार्ता में भी दोनों नेताओं के बीच कुछ सहमति तो जरूर बनी थी, लेकिन समझौते पर आकर बात अटक गई थी। हनोई में तो किम ने साफ तौर पर मेज पर कुछ शर्तों के साथ अपनी बात शुरू की थी। उनकी पहली शर्त उत्तर कोरिया से सभी प्रतिबंध हटाने को लेकर थी, जिसपर ट्रंप पूरी तरह से असहमत थे और वार्ता अधूरी छोड़कर चले गए थे। उन्होंने उस वक्त कहा था कि इस शर्त के साथ वार्ता को आगे बढ़ाना बेमानी था, लिहाजा उन्होंने वहां से चले जाना बेहतर समझा। ऐसे में इन दोनों के बीच की संभावित तीसरी मुलाकात किसी समझौते पर पहुंच पाएगी कहना मुश्किल ही है।
इतना ही नहीं, यदि दोनों शिखर वार्ताओं पर गौर करें तो उस दौरान अमेरिकी सैटेलाइट से मिली तस्वीरों ने भी वार्ताओं को विफल बनाने का काम किया है। दरअसल, सिंगापुर हो या हनोई दोनों ही वार्ता के आसपास अमेरिकी खुफिया विभाग सैटेलाइट इमेज के जरिए यह प्रमाणित करने की कोशिश की कि किम वार्ता के साथ-साथ अपने परमाणु कार्यक्रम को भी आगे बढ़ा रहे हैं। इसके अलावा अमेरिका ने सैटेलाइट इमेज के जरिए चीन से लगती सीमा पर दो इमारतों को भी संदिग्ध बताते हुए वार्ता की सफलता पर प्रश्नचिह्न लगा दिया था। वहीं, हनोई वार्ता के बाद अमेरिका ने भी उत्तर कोरिया पर ताजे प्रतिबंध लगाए थे। इसके अलावा इसकी जद में कहीं न कहीं चीन भी आ गया था। यह सब कुछ यूं तो हनोई वार्ता के बाद हुआ है, लेकिन इसका असर भविष्य में होने वाली वार्ता पर जरूर दिखाई देगा।
फेसबुक के सिरमौर बने पीएम मोदी, दुनिया के दिग्गज नेताओं को पछाड़कर बने नंबर-1
जानें आखिर इस एक बड़े कदम से न्यूजीलैंड में कैसे रुकेंगी क्राइस्टचर्च जैसी घटनाएं