लंच नहीं, ट्रंप-मुनीर के बीच हुई बिग डील! क्या है पाकिस्तान में Trump फैमिली का क्रिप्टो बिजनेस प्लान?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान के आर्मी चीफ आसिम मुनीर से व्हाइट हाउस में क्रिप्टो कारोबार पर डील फाइनल की। पाकिस्तान सरकार ने ट्रंप परिवार की वर्ल्ड लिबर्टी काउंसिल के साथ 17,000 करोड़ रुपये के क्रिप्टो बिजनेस का करार किया है, जिसे मुनीर संभालेंगे क्योंकि ट्रंप को सेना पर अधिक भरोसा है। इस डील में ट्रंप और शहबाज शरीफ के बेटे भी शामिल हैं, जिससे सियासी परिवारों को फायदा होगा। विशेषज्ञों को चिंता है कि पाकिस्तान क्रिप्टो का उपयोग आतंकी फंडिंग के लिए कर सकता है।

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और उनकी फैमिली पाकिस्तान क्रिप्टो बिजनेस ने निवेश करने की प्लानिंग में है। (फोटो सोर्स: जागरण ग्राफिक्स)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Trump) का पाकिस्तान प्रेम जगजाहिर है। हाल में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान के आर्मी चीफ आसिम मुनीर को लंच पर व्हाइट हाउस बुलाया था।
भारत सहित पूरी दुनिया को यह बात समझ नहीं आ रही थी कि आखिर अमेरिकी राष्ट्रपति ने लंच के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की जगह आर्मी चीफ मुनीर को ही क्यों बुलाया? इसका जवाब न तो अमेरिका ने दिया न ही पाकिस्तान ने लेकिन दोनों की मुलाकात के पीछे के राज का पर्दाफाश हो चुका है।
दरअसल, पाकिस्तान में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हिस्से का क्रिप्टो कारोबार आर्मी चीफ फील्ड मार्शल आसिम मुनीर संभालेंगे। लंच के पीछे ट्रंप का उद्देश्य मुनीर के साथ क्रिप्टो डील फाइनल करना था।
पाकिस्तान सरकार ने 17,000 करोड़ रुपए के क्रिप्टो बिजनेस का ट्रंप परिवार के स्वामित्व वाली वर्ल्ड लिबर्टी काउंसिल के साथ टेकओवर करार किया है। मुनीर अब पाकिस्तान में क्रिप्टो बिजनेस की बागडोर अपने हाथ में लेंगे। दरअसल, ट्रंप को पाकिस्तान के राजनीतिक लीडर पर भरोसा नहीं है। ट्रंप का मानना है कि आर्मी लीडरशिप के हाथ में कमान रहने से क्रिप्टो में निवेश सुरक्षित रहेगा।
सूत्रों के मुताबिक, ट्रंप- मुनीर में क्रिप्टो डील में पाक मूल के अमेरिकी बिजनेसमैन साजिद तरार अहम किरदार हैं। रिपब्लिकन पार्टी से जुड़े तरार फाइनेंस और रियल एस्टेट फर्म मैक्सिमस इन्वेस्टमेंट ग्रुप चलाते हैं। ट्रंप कुनबे का पाकिस्तान में क्रिप्टो बिजनेस चलाने में तरार एक अहम भूमिका निभाएंगे।
आसिम मुनीर, पाकिस्तान के आर्मी चीफ के अलावा एक बिजनेसमैन भी हैं। आसिम मुनीर का लगभग सवा दो लाख करोड़ रुपए का बिजनेस है। फौजी फाउंडेशन, आर्मी वेलफेयर ट्रस्ट और डिफेंस हाउसिंग अथॉरिटी जैसे संगठन में मुनीर व्यापार करता है।
सिर्फ मुनीर ही नहीं, पूर्व चीफ जावेद बाजवा और परवेज कयानी सहित कई अन्य रिटायर्ड अफसरों का बिजनेस भी पाकिस्तान, दुबई सहित कई देशों में फैला हुआ है।
क्रिप्टो करंसी का कारोबार पनपने से अमेरिका और पाकिस्तान के सियासी परिवारों को जबरदस्त फायदा मिलेगा। जानकारी के मुताबिक, पाकिस्तान ने क्रिप्टो करंसी के कारोबार के लिए वर्ल्ड लिबर्टी काउंसिल (डब्ल्यूएलसी) नामक कंपनी के साथ करार किया है। ट्रंप और उनकी फैमिली की इस कंपनी में 60 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सेदारी है। ट्रंप के सलाहकार जाकरी विटकॉफ के बेटे स्टीव भी डब्ल्यूएलएफ में निवेश है।
इस कंपनी का देखरेख ट्रंप के दो बेटे और शहबाज शरीफ के दो बेटे मिलकर करेंगे।
पहले बात की जाए ट्रंप के दोनों बेटों की।
ट्रंप के बड़े बेटे ट्रंप जूनियर का डब्ल्यूएलएफ में 25 फीसदी हिस्सेदारी है। वो ही पाकिस्तान में क्रिप्टो कारोबार को लीड करेंगे।
ट्रंप के छोटे बेटे एरिक ट्रंप का डब्ल्यूएलसी में 15% हिस्सेदारी है। वो क्रिप्टो कारोबार की रूटीन निगरानी करेंगे।
इतना ही नहीं, ट्रंप की बेटी इवांका के पति जेड कुशनर का काम अमेरिका से इन्वेस्टमेंट को पाकिस्तान में डाइवर्ट करना होगा।
अब बात की जाए शहबाज शरीफ के बेटे की।
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के बेटे सलमान शरीफ पंजाब प्रांत के बड़े उद्योगपति हैं। वो पाकिस्तान में बड़ी तादाद में सोलर पैनल इंपोर्ट करवाते हैं। वहीं, पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री के सबसे छोटे बेटे हुसैन नवाज लाहौर में सलमान के साथ क्रिप्टो ऑफिस में पार्टनर हैं।
यह जगजाहिर है कि पाकिस्तान आतंकियों को फंडिंग करता है। फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स लगातार पाकिस्तान पर निगरानी रखता आया है। जानकारों की मानें तो पाकिस्तान क्रिप्टो करंसी में आतंकी फंडिंग कर FATF को गच्चा दे सकता है।
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