ट्रंप-क्लास युद्धपोत: अमेरिकी नौसेना की 'गोल्डन फ्लीट' योजना... चीन को रोकने का दांव या महंगा जोखिम?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 22 दिसंबर 2025 कोमार-ए-लागोमें 'गोल्डनफ्लीट' की घोषणा की, जिसमें नई 'ट्रंप-क्लास' बैटलशिप श्रेणी का केंद्रबिंदु है ...और पढ़ें

ट्रंप ने 22 दिसंबर 2025 को मार-ए-लागो में 'गोल्डन फ्लीट' की घोषणा की (फोटो- रॉयटर)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 22 दिसंबर 2025 को मार-ए-लागो में 'गोल्डन फ्लीट' की घोषणा की, जिसमें नई 'ट्रंप-क्लास' बैटलशिप श्रेणी का केंद्रबिंदु है। ये 880 फुट लंबे, 35,000 टन वजनी युद्धपोत हाइपरसोनिक मिसाइलें, रेलगन, लेजर हथियार और परमाणु क्रूज मिसाइलें से लैस होंगे।
पहला जहाज USS Defiant होगा, जिसे "अब तक का सबसे शक्तिशाली" बताया गया है। योजना का उद्देश्य अमेरिकी जहाज निर्माण को पुनर्जीवित करना, नौसेना की संख्या बढ़ाना और मुख्य रूप से चीन की तेजी से बढ़ती नौसैनिक शक्ति (370+ जहाजों वाली दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना) को रोकना है।
चीन अमेरिका की तुलना में कहीं अधिक तेजी से जहाज बना रहा है
चीन अमेरिका की तुलना में कहीं अधिक तेजी से जहाज बना रहा है। उसकी नौसेना संख्या के हिसाब से कहीं अधिक बड़ी है। बीजिंग को रोकने के लिए वाशिंगटन को अधिक मारक क्षमता, लंबी मारक क्षमता और बेहतर टिकाऊपनवाले जहाजों की आवश्यकता है। लेकिन आलोचकों का तर्क है कि ट्रंप का समाधान चीन की वास्तविक रणनीति से सीधे तौर पर टकरा सकता है।
पीपुल्स लिबरेशन आर्मी डीएफ-26 मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल का इस्तेमाल करती है, जिसे "वाहक नाशक" उपनाम दिया गया है, जिसे लंबी दूरी से बड़े अमेरिकी युद्धपोतों पर हमला करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
हालांकि, आलोचक इसे जोखिम भरा मानते हैं अमेरिकी शिपयार्डों की पुरानी क्षमता, कार्यबल की कमी, अप्रमाणित तकनीकें (जैसे रेलगन जो पहले बंद हो चुकी) और उच्च लागत के कारण देरी व बजट ओवररन की आशंका है।
आधुनिक युद्ध में चीन निकल सकता है आगे
आधुनिक युद्ध में बड़े जहाज चीन की 'कैरियर किलर' मिसाइलों (DF-26) के आसान निशाने बन सकते हैं, जबकि विशेषज्ञ छोटे, विकेंद्रीकृत और मानवरहित जहाजों को बेहतर विकल्प बताते हैं।
सफलता और असफलता
यदि सफल हुई, तो यह अमेरिकी वर्चस्व की पुनर्स्थापना होगी; अन्यथा, पेंटागन के संसाधनों की बर्बादी। योजना शुरू में 2 जहाजों से शुरू होकर 20-25 तक पहुंचने की है, लेकिन कांग्रेस की मंजूरी और तकनीकी बाधाएं बड़ा सवाल हैं।
क्या ट्रंप का बेड़ा समुद्र में उतर पाएगा
प्रशासन अमेरिकी जहाज निर्माण को पुनर्जीवित करने, शिपयार्डों का विस्तार करने और धीमी गति से काम करने वाले ठेकेदारों को दंडित करने के लिए कर छूट का उपयोग करने की योजना बना रहा है।
ट्रंप ने एक नया जहाज निर्माण कार्यालय बनाया है और अगले सप्ताह रक्षा कंपनियों के साथ बैठक करेंगे। लेकिन अगर 2030 के दशक में भी ट्रंप-श्रेणी का युद्धपोत लॉन्च होता है, तो भी यह कांग्रेस द्वारा निर्धारित आवश्यकताओं कोपूरा करने में विफल हो सकता है।
यहां हो सकती है परेशानी
आलोचकों का कहना है कि यह मिसाइल-केंद्रित होगा और इसमें पिछले युद्धपोतों की पारंपरिक मारक क्षमता का अभाव होगा - फिर भी यह उन विकेंद्रीकृत, टिकाऊ क्षमताओं को प्रदान नहीं करेगा जिन्हें कई विशेषज्ञ आवश्यक मानते हैं। इसके अलावा कानूनी मुद्दे भी हैं: समुद्र में परमाणु क्रूज मिसाइलों की तैनाती रूस के साथ मौजूदा अप्रसार समझौतों का उल्लंघन कर सकती है - जो एक और राजनयिक समस्या है। और तकनीक भी अभी पूरी तरह से तैयार नहीं है।
उदाहरण के लिए, रेल गन को इसलिए बंद कर दिया गया क्योंकि वह बहुत अधिक बिजली की खपत करती थी और भरोसेमंद नहीं थी। लेजर अधिक व्यावहारिक हैं, लेकिन व्यापक उपयोग में आने में अभी कई साल लगेंगे।
ये हैं चिंताजनक मुद्दे
- चीन के खिलाफ निवारक: संख्या और गति में आगे निकलते चीन को चुनौती देने की रणनीति
- तकनीकी और वित्तीय चुनौतियां: अप्रमाणित हथियारों और शिपयार्ड क्षमता की कमी से घिरी योजना
- आलोचकों की चिंता: आधुनिक युद्ध में बड़े युद्धपोतों की उपयोगिता पर सवाल
- भविष्य की अनिश्चितता: क्या USS Defiant समय पर और बजट में बन पाएगा?

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