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    हार्वर्ड विश्वविद्यालय मामले में ट्रंप प्रशासन ने लिया यू-टर्न, कहा- गलती से भेजा था पत्र; मतभेद भी आए सामने

    Donald Trump हार्वर्ड विश्वविद्यालय को पत्र लिखकर डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन घिर गया है। एक हफ्ते बाद ट्रंप प्रशासन ने अपनी सफाई दी और कहा कि गलती से यह पत्र भेजा गया था। वहीं सूत्रों के मुताबिक यह खत स्वास्थ्य एवं मानव सेवा विभाग के कार्यकारी महाधिवक्ता सीन केवेनी ने भेजा था। वे यहूदी विरोधी कार्य बल के सदस्य भी हैं।

    By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Sun, 20 Apr 2025 01:30 PM (IST)
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    अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप। ( फोटो- रॉयटर्स )

    डिजिटल डेस्क, वाशिंगटन। पिछले शुक्रवार यानी 11 अप्रैल को ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड विश्वविद्यालय को एक पत्र भेजा था। इसमें प्रवेश और पाठ्यक्रम के अलावा विश्वविद्यालय की फंडिंग को रोकने का उल्लेख था। विश्वविद्यालय में विरोध प्रदर्शन के बीच ट्रंप प्रशासन ने यह फैसला लिया था। मगर एक हफ्ते बाद ही ट्रंप प्रशासन ने माना किया हार्वर्ड विश्वविद्यालय को गलती से अनधिकृत पत्र भेजा गया था।

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    सीन केवेनी ने भेजा था पत्र

    ट्रंप प्रशासन के एक अधिकारी ने हार्वर्ड से संपर्क किया और बताया कि यहूदी विरोध पर व्हाइट हाउस के टास्क फोर्स से मिलने वाला पत्र नहीं भेजा जाना चाहिए था। दो अन्य अधिकारियों ने बताया कि यह अनधिकृत था। तीन अन्य लोगों ने बताया कि हार्वर्ड विश्वविद्यालय को यह पत्र स्वास्थ्य एवं मानव सेवा विभाग के कार्यकारी महाधिवक्ता सीन केवेनी ने भेजा था। वे यहूदी विरोधी कार्य बल के सदस्य भी हैं।

    पत्र पर कायम है प्रशासन

    व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि प्रशासन पत्र पर कायम है। उन्होंने बातचीत न करने पर हार्वर्ड को दोषी ठहराया। व्हाइट हाउस की वरिष्ठ नीति रणनीतिकार मे मेलमैन ने कहा, "हार्वर्ड के वकीलों ने गलत व्यवहार किया। उन्होंने फोन नहीं उठाया और यहूदी विरोधी टास्क फोर्स के सदस्यों से बात नहीं की। अब हार्वर्ड खुद को पीड़ित दिखाने का अभियान चला रहा है।

    समय से पहले भेजा गया पत्र

    न्यूयॉर्क टाइम्स की खबर के मुताबिक पत्र भेजने के पीछे की वजह अभी स्पष्ट नहीं है। वहीं तीन लोगों ने पुष्टि की है कि पत्र की सामग्री प्रामाणिक थी। हालांकि ट्रंप प्रशासन के भीतर विरोधाभास है कि इसे कैसे गलत तरीके से संभाला गया। व्हाइट हाउस के कुछ अधिकारियों का मानना था कि पत्र समय से पहले भेजा दिया था।

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