AUKUS: ट्रंप प्रशासन कर रहा ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के साथ परमाणु पनडुब्बी डील की समीक्षा, इस बात से अमेरिका चिंतित
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का प्रशासन पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन के काल में ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के साथ किए गए सैकड़ों अरब डॉलर के रक्षा समझौते (एयूकेयूएस) की समीक्षा कर रहा है। इस समझौते के तहत ऑस्ट्रेलिया को पारंपरिक हथियारों से लैस परमाणु पनडुब्बियां हासिल करने की अनुमति दी गई थी। यह समीक्षा ब्रिटेन की रक्षा योजना में भी बाधा डाल सकती है।
रॉयटर, वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का प्रशासन पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन के काल में ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के साथ किए गए सैकड़ों अरब डॉलर के रक्षा समझौते (एयूकेयूएस) की समीक्षा कर रहा है। इस समझौते के तहत ऑस्ट्रेलिया को पारंपरिक हथियारों से लैस परमाणु पनडुब्बियां हासिल करने की अनुमति दी गई थी।
पेंटागन के नेतृत्व में की जा रही समीक्षा
पेंटागन के नेतृत्व में की जा रही यह समीक्षा ऑस्ट्रेलिया के लिए चिंता का सबब बन सकती है क्योंकि चीन की सैन्य ताकत में बढ़ोतरी के मद्देनजर वह इन पनडुब्बियों को अपनी सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण मानता है। यह समीक्षा ब्रिटेन की रक्षा योजना में भी बाधा डाल सकती है।
वर्तमान राष्ट्रपति के अमेरिका फर्स्ट एजेंडे के अनुरूप है यह डील
एक अमेरिकी रक्षा अधिकारी ने बताया, ''हम एयूकेयूएस की समीक्षा कर रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पूर्ववर्ती प्रशासन की यह पहल वर्तमान राष्ट्रपति के अमेरिका फर्स्ट एजेंडे के अनुरूप है। एयूकेयूएस के लिए प्रशासन के दृष्टिकोण में किसी भी परिवर्तन के बारे में आधिकारिक चैनलों के माध्यम से उचित समय पर बताया जाएगा।''
चीन की बढ़ती शक्ति के मद्देनजर 2021 में किया गया था यह समझौता
एयूकेयूएस को 2021 में चीन की बढ़ती शक्ति के प्रति साझा चिंताओं को ध्यान में रखते हुए किया गया था। इसे आस्ट्रेलिया को हमलावर परमाणु पनडुब्बियां और हाइपरसोनिक मिसाइलें जैसे अन्य उन्नत हथियार हासिल करने की अनुमति देने के लिए डिजायन किया गया था।
ट्रंप के वरिष्ठ नीतिकारों में इस समझौते के प्रति संदेह रखने वाले प्रमुख व्यक्ति एल्बि्रज कोल्बी हैं, जो पेंटागन में शीर्ष नीति सलाहकार हैं। ब्रिटेन के पॉलिसी एक्सचेंज थिंक-टैंक के साथ 2024 में एक वार्ता में कोल्बी ने चेतावनी दी थी कि अमेरिकी सैन्य पनडुब्बियां दुर्लभ एवं महत्वपूर्ण वस्तु हैं और अमेरिकी उद्योग देश की मांग को पूरा करने के लिए इनका पर्याप्त उत्पादन नहीं कर सकता। ये पनडुब्बियां चीन के साथ किसी भी संघर्ष में अमेरिकी सैन्य रणनीति के केंद्र में होंगी।
केवल छह देश परमाणु पनडुब्बियां संचालित करते हैं
कोल्बी ने कहा, ''मुझे चिंता है कि जब हमें इनकी सबसे अधिक आवश्यकता है, तो हम इन्हें क्यों दे रहे हैं।'' गौरतलब है कि केवल छह देश परमाणु पनडुब्बियां संचालित करते हैं जिनमें अमेरिका, ब्रिटेन रूस, चीन, फ्रांस और भारत शामिल हैं।
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