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    US News: विदेश भेजे जाने वाले धन पर कर लगाने की तैयारी में ट्रंप प्रशासन, अमेरिका में रह रहे भारतीयों पर पड़ेगा असर

    By Agency Edited By: Jeet Kumar
    Updated: Sat, 17 May 2025 07:14 AM (IST)

    अमेरिका के ट्रंप प्रशासन ने विदेश भेजे जाने वाले धन (रेमिटेंस) पर पांच प्रतिशत कर लगाने का फैसला किया है। माना जा रहा है कि अगर ऐसा होता है तो इसका सीधा असर उन प्रवासी भारतीयों पर पड़ेगा जो वहां से अपने घर पैसा भेजते हैं। यह शुल्क हर उस प्रवासी पर लागू होगा जो ग्रीन कार्ड होल्डर या एच1बी वीजा पर काम करने वहां गया है।

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    ट्रंप प्रशासन ने विदेश भेजे जाने वाले धन (रेमिटेंस) पर पांच प्रतिशत कर लगाने का फैसला किया है

    पीटीआई, नई दिल्ली। अमेरिका के ट्रंप प्रशासन ने विदेश भेजे जाने वाले धन (रेमिटेंस) पर पांच प्रतिशत कर लगाने का फैसला किया है। माना जा रहा है कि अगर ऐसा होता है तो इसका सीधा असर उन प्रवासी भारतीयों पर पड़ेगा, जो वहां से अपने घर पैसा भेजते हैं।

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    प्रस्तावित शुल्क अमेरिकी नागरिकों पर लागू नहीं होगा

    दरअसल, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप रेमिटेंस पर पांच प्रतिशत उत्पाद शुल्क लगाना चाहता है। यह शुल्क हर उस प्रवासी पर लागू होगा, जो ग्रीन कार्ड होल्डर या एच1बी वीजा पर काम करने वहां गया है। माना जा रहा है कि इससे लगभग चार करोड़ प्रवासी प्रभावित होंगे। प्रस्तावित शुल्क अमेरिकी नागरिकों पर लागू नहीं होगा।

    रेमिटेंस से भारत को मिलने वाला धन

    आरबीआई के मार्च बुलेटिन के अनुसार, रेमिटेंस से भारत को मिलने वाला धन 2010-11 के 55.6 अरब डॉलर से दोगुना होकर 2023-24 में 118.7 अरब डॉलर हो गया है।

    बुलेटिन के अनुसार, 2023-24 में भारत को मिले कुल रेमिटेंस में अमेरिकी हिस्सेदारी सबसे ज्यादा 27.7 प्रतिशत रही। 2020-21 में यह 23.4 प्रतिशत था। 27.7 प्रतिशत हिस्सेदारी लगभग 32.9 अरब डॉलर के रेमिटेंस के बराबर है। 32.9 अरब डालर पर अगर पांच प्रतिशत कर लगता है तो यह लागत 1.64 अरब डॉलर होगी।

    रेमिटेंस की लागत में दो हिस्से शामिल होते हैं

    आरबीआई के लेख में कहा गया है कि रेमिटेंस की लागत में दो हिस्से शामिल होते हैं। लेनदेन के किसी भी चरण में लिया जाने वाला शुल्क और स्थानीय मुद्रा से प्राप्तकर्ता देश की मुद्रा में विनिमय दर।

    लेख में यह भी कहा गया है कि रेमिटेंस के तौर पर आने वाला धन मुख्य रूप से परिवार के भरण-पोषण के लिए होता है और सीमा पार धन भेजने की लागत का सामाजिक-आर्थिक प्रभाव पड़ता है, इसलिए इस लागत को कम करना एक दशक से अधिक समय से वैश्विक स्तर पर एक महत्वपूर्ण नीतिगत एजेंडा रहा है।

    भारत 2008 से ही रेमिटेंस पाने वाले शीर्ष देशों में से एक

    विश्व बैंक के अनुसार, भारत 2008 से ही रेमिटेंस पाने वाले शीर्ष देशों में से एक है। वैश्विक रेमिटेंस में इसकी हिस्सेदारी 2001 में लगभग 11 प्रतिशत से बढ़कर 2024 में लगभग 14 प्रतिशत हो गई है।

    विश्व बैंक ने दिसंबर 2024 में एक ब्लाग में कहा था कि 2024 में जिन देशों को सबसे ज्यादा रेमिटेंस मिला है, उसमें 129 अरब डॉलर के साथ भारत शीर्ष पर है। इसके बाद मैक्सिको (68 अरब डॉलर), चीन (48 अरब डॉलर), फिलीपींस (40 अरब डॉलर) और पाकिस्तान (33 अरब डॉलर) का स्थान है।

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