आतंकी हमले के दस साल पूरे: मुंबई हमले में कार्रवाई को तैयार थे अमेरिकी कमांडो
अमेरिकी कमांडो भारतीय धरती पर उतर ही नहीं पाए, उनका विमान हवा में रहा और वे उसी से वापस चले गए।
वाशिंगटन, प्रेट्र। मुंबई में नवंबर, 2008 को हुए आतंकी हमले में आतंकियों को मारने के लिए अमेरिका ने अपनी स्पेशल कमांडो की टीम भारत भेजी थी, लेकिन वह टीम जब भारत पहुंची उससे पहले ही भारतीय सुरक्षा बलों ने आतंकियों को मारकर हालात पर काबू पा लिया था। यह जानकारी मुंबई हमले के समय व्हाइट हाउस में आपातस्थिति से निपटने के लिए बनी कमेटी के सदस्य अनीश गोयल ने दी है।
पहुंचने से पहले ही भारतीय जांबाजों ने मार गिराए आतंकी
मुंबई में हुए आतंकी हमले में कई अमेरिकी नागरिकों समेत कई देशों के लोग होटलों और विभिन्न ठिकानों में फंस गए थे। उनमें से कुछ मारे भी गए। मुंबई में जब कई दिन तक सुरक्षा बलों का ऑपरेशन जारी रहा तो अमेरिका के तत्कालीन बुश प्रशासन ने इसमें शामिल होने की रूपरेखा बनाई और स्पेशल कमांडो की एक टीम भारत के लिए रवाना की। यह टीम भारत के नजदीक स्थित एक अमेरिकी सैन्य अड्डे से भेजी गई थी, लेकिन इस टीम के भारत पहुंचने और कार्रवाई के लिए औपचारिक अनुमति दिए जाने से पहले ही भारतीय सुरक्षा बलों ने ऑपरेशन को पूरा कर लिया था।
मुंबई आतंकी हमले के दस साल पूरे
आतंकी हमले में 166 लोग मारे गए थे। हमले को पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के दस आतंकियों ने अंजाम दिया था। इनमें से एक अजमल कसाब को महाराष्ट्र पुलिस ने जिंदा पकड़ लिया था। गोयल ने कहा, कमांडो भेजे जाने की जानकारी साझा करने से वह थोड़ा हिचक रहे थे, लेकिन हमले के दस साल पूरे हो जाने पर वह इसके लिए मन बना पाए।
26 नवंबर, 2008 के दिन की याद करते हुए गोयल ने बताया कि वह अच्छा सप्ताहांत था। तभी सूचना आई कि मुंबई में आतंकियों ने हमला कर दिया है और मौके पर फंसे लोगों में कुछ अमेरिकी नागरिक भी हैं। इसके बाद इलाके में मौजूद अमेरिकी स्पेशल कमांडो की टीम को जल्द मुंबई भेजने का निर्णय लिया गया। बाद में अमेरिका ने हमले की फॉरेंसिक जांच में सहयोग का प्रस्ताव भी किया था। आतंकी हमले से निपटने के लिए अमेरिका भारत की हर तरह की मदद के लिए तैयार था।
गोयल ने बताया कि शुरुआत में भारतीय अधिकारी अमेरिकी सहायता लेने से हिचक रहे थे। क्योंकि उन्हें लग रहा था आतंकियों से निपटना उनकी जिम्मेदारी है, लेकिन जब ऑपरेशन कई दिन खिंचा तब वे अमेरिकी मदद लेने के लिए तैयार हुए, लेकिन जब तक औपचारिकताएं पूरी होतीं तब तक भारतीय कमांडो कार्रवाई को पूरा कर चुके थे। नतीजा यह हुआ कि अमेरिकी कमांडो भारतीय धरती पर उतर ही नहीं पाए, उनका विमान हवा में रहा और वे उसी से वापस चले गए।