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    नहीं बिकेगा 'ताज होटल'! रतन टाटा की कंपनी ने बता दिया सच; कैसे एक अपमान से शुरू हुई थी कहानी

    Updated: Fri, 19 Sep 2025 07:59 AM (IST)

    न्यूयॉर्क स्थित ताज के पियरे होटल के बिकने की अटकलों पर अब विराम लग गया है। टाटा ग्रुप की कंपनी इंडियन होटल्स कंपनी लिमिटेड ने कहा है कि होटल उनके पास केवल लीज पर उपलब्ध है और इसका मालिकाना हक कंपनी के पास नहीं है। आईएचसीएल ने कहा कि ऑपरेशन पहले की तरह ही जारी रहेगा।

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    इंडियन होटल्स कंपनी लिमिटेड ने कहा है कि होटल का मालिकाना हक उसके पास नहीं है

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मुंबई में स्थित ताज होटल सिर्फ देश की आन-बान-शान ही नहीं है, बल्कि ये टाटा परिवार की वो विरासत है, जिसने अपने अंदर एक लंबा इतिहास समेटा हुआ है। इस होटल को टाटा ग्रुप की होटल चेन इंडियन होटल्स कंपनी लिमिटेड यानी आईएचसीएल मैनेज करती है।

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    आईएचसीएल के सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि अमेरिका, मिडिल ईस्ट और यूके समेत दुनिया के कई देशों में होटल्स का संचालन करती है। पहले खबरें आई थीं कि अमेरिका के न्यूयॉर्क स्थित आईएचसीएल का होटल बिकने वाला है, लेकिन अब इन अटकलों पर विराम लग गया है। आईएचसीएल ने इस दावे को खारिज कर दिया है और इसे महज अटकलबाजी बताया है।

    कंपनी ने खारिज किया दावा

    दरअसल न्यूयॉर्क टाइम्स ने दावा किया था कि अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में सेंट्रल पार्क के सामने स्थित ताज का पियरे होटल लगभग 2 बिलियन डॉलर में बिक सकता है। रिपोर्ट में कहा गया था कि इसके लिए सऊदी अरब का एक प्रमुख परिवार कुछ फाइनेंस दे सकता है। लेकिन इंडियन होटल्स कंपनी लिमिटेड ने अब इस दावे को खारिज कर दिया है।

    फाइनेंशियल टाइम्स के मुताबिक, आईएचसीएल ने कहा है कि उनके पास न्यूयॉर्क के पियरे होटल का मालिकाना हक नहीं है। कंपनी ने कहा कि होटल का लीज अधिकार हमारे पास है और ऑपरेशन पहले की तरह ही जारी है। कंपनी ने मीडिया में आई खबरों को भ्रामक और अटकलबाजी बताया है।

    ताज होटल का इतिहास

    इस कहानी की शुरुआत जमशेदजी टाटा के समय से होती है। तब बॉम्बे के काला घोड़ा इलाके में वाटसन्स नाम का होटल हुआ करता था। इस होटल में भारतीयों की एंट्री नहीं थी। एक बार जब जमशेदजी टाटा वहां पहुंचे, तो उन्हें दरवाजे पर ही रोक लिया गया। ये बात उन्हें चुभ गई थी और उसी दिन उन्होंने संकल्प लिया था कि बॉम्बे में एक वर्ल्ड क्लास होटल बनाएंगे।

    1889 में जमशेदजी टाटा ने इसका एलान कर दिया और इस तरह ताज होटल की नींव पड़ी। ताज होटल के लिए दुनिया के अलग-अलग कोने से सामान मंगवाया गया। पेरिस से बॉलरूम के लिए खंभे, जर्मनी से लिफ्ट और अमेरिका से पंखे इत्यादि। जब ताज पूरी तरह बनकर तैयार हुआ, तो उस समय इसकी कुल लागत 26 लाख रुपये आई थी।

    धीरे-धीरे ये होटल सिर्फ भारत ही नहीं, दुनिया के लिए एक आइकॉन बन गया। आज दुनियाभर में ताज होटल की 100 से ज्यादा चेन है और इसके ऑपरेशन की जिम्मेदारी टाटा ग्रुप की कंपनी इंडियन होटल्स प्राइवेट लिमिटेड के पास है।

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