क्या सुप्रीम कोर्ट तय करेगा ट्रंप की आपात शक्तियों की हद? 5 नवंबर को होगी बड़ी सुनवाई
अमेरिका का सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ की वैधता पर सुनवाई करेगा। ट्रंप ने आपात शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए कई देशों पर टैरिफ लगाए हैं, जिनका निचली अदालतों ने विरोध किया है। अब सुप्रीम कोर्ट को यह तय करना है कि राष्ट्रपति की शक्तियों की कोई सीमा है या नहीं। ट्रंप प्रशासन ने कहा है कि हारने पर टैरिफ लगाने के अन्य तरीके ढूंढेगा।
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ट्रंप की आपात शक्तियों पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला जल्द (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिका का सुप्रीम कोर्ट 5 नवंबर को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ की वैधता के पर सुनवाई शुरू करेगा। टैरिफ का मुद्दा अहम है लेकिन दांव पर होंगी राष्ट्रपति की असीमित शक्तियां। ट्रंप कई तरह की इमरजेंसी के आधार पर असीमित शक्तियों का दावा कर रहे हैं।
भले ही यह शक्तियां सरकार की दूसरी शाखाओं की कीमत पर आएं। आइये समझते हैं कि ट्रंप कैसे आपात शक्तियों का इस्तेमाल करके टैरिफ को एक टूल के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं और इसके कानूनी विरोधाभाष क्या हैं?
ट्रंप के कदम को अवैध बता चुकी हैं निचली अदालतें
ट्रंप ने अमेरिका के शहरों में सुरक्षा बलों को भेजने और गैर अमेरिकी नागरिकों को तय प्रक्रिया के बिना जबरन उनके देश वापस भेजने के लिए 1978 के एक कानून का सहारा लिया। ट्रंप ने इंटरनेशनल इमरजेंसी इकोनामिक पावर्स एक्ट (आइईईपीए) के तहत दुनिया के तमाम देशों पर टैरिफ लगाए हैं।
कानून के ज्यादातर विशेषज्ञों का मानना है कि यह एक्ट उनको ऐसी शक्ति नहीं देता है। इसके अलावा तीन निचली अदालतें भी ट्रंप के टैरिफ के खिलाफ फैसला दे चुकी हैं। अब मामला सुप्रीम कोर्ट के पास है और यह देखना होगा कि वह ट्रंप की आपात शक्तियों पर लगाम लगाता है या नहीं।
इन शक्तियों का दावा कर रहे हैं ट्रंप
अमेरिका का संविधान टैरिफ तय करने की शक्ति राष्ट्रपति को नहीं, बल्कि कांग्रेस को देता है। 1930 के दशक से कांग्रेस ने कई कानून पास किए हैं। इन कानूनों से राष्ट्रपति को मौजूदा टैरिफ को समायोजित करने और अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जरूरी इंडस्ट्री की रक्षा के लिए उनका इस्तेमाल करने का अधिकार मिलता है। ट्रंप ने इस वर्ष जो टैरिफ लगाए हैं, वे पहले के किसी भी राष्ट्रपति के पास रहीं शक्तियों के दायरे से आगे निकल जाते हैं।
स्टील और एल्युमीनियम जैसे खास सेक्टर की वस्तुओं पर ट्रंप के कुछ टैरिफ ट्रेड एक्सपेंशन एक्ट के सेक्शन 232 के तहत हैं, क्योंकि वे सैन्य उद्योगों के लिए जरूरी हैं। लेकिन, कई देशों पर एक जैसे टैरिफ रेट को सही ठहराने के लिए ट्रंप ने इंटरनेशनल इकनोमिक इमरजेंसी पावर्स एक्ट (आइईईपीए) का सहारा लिया है। यह एक्ट राष्ट्रपति को इमरजेंसी घोषित करने के बाद आर्थिक लेन-देन रोकने और संपत्तियों को फ्रीज करने की इजाजत देता है।
इस तरह के कदम आम तौर पर दुश्मन ताकतों या लोगों को निशाना बनाते हैं। अमेरिका के लिए इमरजेंसी का मतलब 'बहुत ज्यादा खतरा, है, जो पूरी तरह से या काफी हद तक देश के बाहर शुरू होता है। दुनिया के हर दूसरे देश पर असर डालने वाले टैरिफ के लिए ट्रंप ने एलान किया कि वस्तुओं के व्यापार में अमेरिका का सालाना व्यापार घाटा राष्ट्रीय सुरक्षा और अर्थव्यवस्था के लिए बहुत बड़ा खतरा है। हालांकि यह व्यापार घाटा 1976 से चल रहा है, और ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान यह और बढ़ गया।
टैरिफ लगाने की शक्तियां नहीं देता आइईईपीए
दो फेडरल कोर्ट और यूएस कोर्ट आफ इंटरनेशनल ट्रेड ने अब तक यह फैसला सुनाया है कि आइईईपीए राष्ट्रपति को टैरिफ लगाने की शक्तियां नहीं देता है। आइईईपीए, 1917 के ट्रे¨डग विद द एनिमी एक्ट में एक बदलाव था, जिसका इस्तेमाल तत्कालीन राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने 1971 में ट्रेड संकट के दौरान 10 प्रतिशत इंपोर्ट टैरिफ लगाने के लिए किया था।
ट्रंप प्रशासन का तर्क है क्योंकि उन टैरिफ को कोर्ट ने सही ठहराया था, इसलिए ट्रंप के टैरिफ भी सही हैं। लेकिन वाटरगेट के बाद इमरजेंसी पावर में सुधार के बाद 1977 में पास हुए आइईईपीए का मकसद राष्ट्रपति की कार्यकारी शक्तियों को सीमित करना था, न कि उसे बढ़ाना।
हाउस कमेटी आन इंटरनेशनल रिलेशंस की एक रिपोर्ट में कहा गया है “इमरजेंसी कोई आम घटना नहीं है यह बहुत असाधारण स्थिति होती है और इसकी अवधि बहुत छोटी होती है, इसे आम समस्याओं के बराबर नहीं माना जाना चाहिए''।
सुप्रीम कोर्ट क्या करेगा
ट्रंप प्रशासन के कानूनी तर्कों की कमजोरी ट्रंप के सार्वजनिक बयानों में दिखती है। उनके बयान एक तरह से ब्लैकमेल करने के प्रयास जैसे दिखते हैं। उनका कहना है कि टैरिफ हटाने से अमेरिका बर्बाद हो जाएगा। ट्रंप का दावा है कि टैरिफ से अरबों डालर का राजस्व आ रहा है और टैरिफ का दबाव डाल कर ही उन्होंने आठ युद्ध खत्म करवाए हैं।
उन्होंने कहा था कि अगर कोर्ट ने टैरिफ हटा दिए तो इसका मतलब है कि उन्होंने हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है। अगर सुप्रीम कोर्ट आइईईपीए टैरिफ को खत्म भी कर देता है, तो भी इस बात की उम्मीद बहुत कम है कि ट्रंप इसे नीति के तौर पर इस्तेमाल करना बंद कर देंगे। यह उनकी पहचान का एक अहम हिस्सा हैं। ट्रंप प्रशासन पहले ही कह चुका है कि अगर वह सुप्रीम कोर्ट में हार जाता है, तो अलग-अलग कानूनों के तहत टैरिफ लगाने के दूसरे तरीके ढूंढेगा जिनका ''समान असर'' होगा। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का महत्व शायद टैरिफ के बारे में न हो, बल्कि इस बारे में हो कि क्या वह राष्ट्रपति की शक्तियों की कोई हद मानता है या नहीं।
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