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    धरती पर वापस लौटा Soyuz MS-22 कैप्सूल, Meteorite के टकराने से क्राफ्ट का बाहरी रेडिएटर हुआ क्षतिग्रस्त

    कैप्सूल के कूलेंट रिसाव के बाद इसमें मौजूद एस्ट्रोनॉट्स की सुरक्षा अंतरिक्ष अधिकारियों के लिए बड़ी चुनौती थी। चालक दल को लाइफबोट रिप्लेसमेंट कैप्सूल से सुरक्षित निकाला गया और फिर चालक रहित क्षतिग्रस्त कैप्सूल को कजाकिस्तान में सुरक्षित नीचे उतारा गया।

    By AgencyEdited By: Piyush KumarUpdated: Tue, 28 Mar 2023 08:47 PM (IST)
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    कैप्सूल सोयूज एमएस-22 सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर लौट आया है। (फोटो सोर्स: एपी)

    मॉस्को,एपी। रूस का चालक रहित स्पेस कैप्सूल सोयूज एमएस-22 सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर लौट आया है। इस कैप्सूल का कूलेंट लीक हो गया था। यह अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन से जुड़ा हुआ था। रूसी अंतरिक्ष अधिकारियों का दावा है कि किसी छोटे उल्कापिंड के टकराने से क्राफ्ट का बाहरी रेडिएटर क्षतिग्रस्त हो गया और इससे कूलेंट का रिसाव होने लगा।

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    (फोटो सोर्स: एपी) 

    बिना चालक दल के जमीन पर आया यान

    कैप्सूल के कूलेंट रिसाव के बाद इसमें मौजूद एस्ट्रोनॉट्स की सुरक्षा अंतरिक्ष अधिकारियों के लिए बड़ी चुनौती थी। चालक दल को लाइफबोट रिप्लेसमेंट कैप्सूल से सुरक्षित निकाला गया और फिर चालक रहित क्षतिग्रस्त कैप्सूल को कजाकिस्तान में सुरक्षित नीचे उतारा गया।

    यह अपने निर्धारित समय शाम 5:45 को धरती पर पहुंचा। इस दौरान आसमान साफ था। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि चालक दल के सदस्य, नासा के फ्रैंक रुबियो, रूस के सर्गेई प्रोकोपयेव और दिमित्री पेटेलिन को क्षतिग्रस्त सोयुज में वापस लाना काफी जोखिम भरा होता।

    ऐसी आशंका थी कि कूलेंट के बिना केबिन का तापमान काफी बढ़ सकता है और इससे कंप्यूटर्स एवं अन्य उपकरणों को नुकसान पहुंच सकता है और चालक दल को अत्यधिक तापमान का सामना करना पड़ेगा।

    (फोटो सोर्स: एपी)

    छह महीने के बजाय एक साल तक स्पेस में रहेंगे एस्ट्रोनॉट्स

    अब तीनों चालक अतिरिक्त छह महीने अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन में रहेंगे। वे सितंबर में नए सोयुज यान से पृथ्वी पर वापस आएंगे। पहले उन्हें मार्च में पृथ्वी पर लौटना था। इस तरह इन्हें छह महीने के बजाय एक वर्ष तक अंतरिक्ष में रहना होगा।

    इससे पहले फरवरी में रूसी प्रोग्रेस MS-21 स्पेस कार्गो शिप में भी कूलेंट का रिसाव पाया गया था। ऐसा संदेह जताया रहा है कि इसके निर्माण में कोई खामी थी। हालांकि रूस की सरकारी स्पेस कॉर्पोरेशन रोसकोसमोस ने निर्माण खामी से इनकार किया है और दावा किया है कि दोनों घटनाएं उल्कापिंडों के टकराने से हुई हैं।