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    Shubhanshu Shukla बने एस्ट्रोनॉट नंबर 634, अंतरिक्ष में किसकी करेंगे खोज? जानिए Mission Axiom 4 में अब तक क्या-क्या हुआ

    Updated: Thu, 26 Jun 2025 09:00 PM (IST)

    ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला पृथ्वी से बाहर जाने वाले दूसरे भारतीय हैं। इससे पहले विंग कमांडर राकेश शर्मा स्पेस में गए थे। शुभांशु शुक्ला का मिशन एक्सिओम स्पेस के चौथे निजी अंतरिक्ष यात्री उड़ान का हिस्सा हैं। 

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    शुभांशु शुक्ला का अंतरक्षि मिशन

    जेएनएन, डिजिटल डेस्क। भारत के अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला गुरुवार (26 जून, 2025) को इंटरनेशनल स्पेस सेंटर पहुंचकर इतिहास रच दिया है। उन्होंने बुधवार (25 जून, 2025) को फ्लोरिडा में नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से उड़ान भरी थी। स्पेस में पहुंचने वाले वो दूसरे भारतीय अंतरिक्ष यात्री बन गए हैं। शुक्ला इसरो और नासा के सहयोग से आयोजित एक्सिओम स्पेस के अंतरिक्ष मिशन के हिस्सा हैं।

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    इस मिशन की कमान नासा की अनुभवी अंतरिक्ष यात्री पैगी व्हिटसन संभाल रही हैं। अंतरिक्ष यान उस समय अंतरिक्ष स्टेशन से जुड़ा जब वो उत्तरी अटलांटिक महासागर के ऊपर से गुजर रहा था। उस समय भारत के समय के मुताबिक शाम के 4 बजकर 1 मिनट का समय हो रहा था। पेगी व्हिटसन ने शुभांशु को स्पेस स्टेशन पर आने के लिए एस्ट्रोनॉट नंबर 634 का बैच लगाया। तो आइए जानते हैं, शुभांशु शुक्ला के ऐतिहासिक अंतरिक्ष मिशन, इसकी टाइमलाइन और रिचर्स प्लान के बारे में।

    मिशन की टाइमलाइन

    • बुधवार, 25 जून को सुबह 10 बजे एक्सिओम स्पेस और स्पेसएक्स के जरिए लॉन्च कवरेज शुरू हुई।
    • सुबह 11.10 पर नासा ने NASA+ पर अपना लाइव कवरेज शुरु की।
    • दोपहर 12.01 पर फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से इसका प्रक्षेपण किया गया।
    • दोपहर 12.15 पर कक्षीय प्रविष्टि पूरी हुई।
    • गुरुवार, 26 जून को दोपहर 2.30 पर NASA+, एक्सिओम स्पेस पर अंतरिक्ष यात्रियों के इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंचने की कवरेज शुरू हुई।
    • 4.30 पर आई.एस.एस. के हार्मोनी मॉड्यूल के साथ टारगेटेड डॉकिंग।

    स्पेस में क्या करेंगे शुभांशु शुक्ला

    • शुक्ला का ये मिशन सिर्फ सिंबोलिक नहीं बल्कि साइंटिफिक भी है। 14 दिनों के दौरान वो अंतरिक्ष में पोषण, खाद्य स्थिरता के साथ साथ बीज पुनर्जनन पर केंद्रित कई अत्याधुनिक प्रयोग करेंगे।
    • मेथी और मूंग जैसे भारत के खाद्य पदार्थों पर प्रयोग।
    • अध्ययन किया जाएगा कि सूक्ष्मगुरुत्व में ये बीच कैसे अंकुरित होते हैं।
    • इन बीजों को पृथ्वी पर वापस लाया जाएगा और उनकी व्यहार्यता जानने के लिए कई पीढ़ियों तक इनकी खेती की जाएगी।

    भारत को कैसे होगा फायदा?

    इस मिशन से इसरो के गगनयान मिशन को सीधे तौर पर फायदा मिलने की उम्मीद है। इस मिशन के तहत इंसानों को 2027 में अंतरिक्ष में भेजने की योजना है। शुभांशु शुक्ला की ये यात्रा न सिर्फ भारत-अमेरिका अंतरिक्ष संबंधों को मजबूत करेगी बल्कि भारत को अंतरिक्ष अनुसंधान में भी मजबूती देगी। शुक्ला का ये मिशन 14 दिनों तक चलेगा।

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