'पाकिस्तान वैश्विक आतंकवाद का केंद्र', UN में जयशंकर की पाक को खरी-खरी; पहलगाम हमले का भी किया जिक्र
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पाकिस्तान को वैश्विक आतंकवाद का केंद्र बताया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा कि भारत ने आतंकवाद से अपने नागरिकों की रक्षा की है। जयशंकर ने पहलगाम हमले का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत ने आतंकवादियों को न्याय के दायरे में लाने के लिए कार्रवाई की।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शनिवार को पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए उसे वैश्विक आतंकवाद का केंद्र करार दिया। संयुक्त राष्ट्र महासभा में उपस्थित वैश्विक नेताओं को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि भारत ने आतंकवाद से अपने लोगों की रक्षा करने के अधिकार का इस्तेमाल किया है। उन्होंने पहलगाम में पाकिस्तान समर्थित आतंकी हमले के बाद भारत की कार्रवाई पर भी जोर दिया।
विदेश मंत्री ने कहा-भारत को आजादी के बाद से ही यह चुनौती झेलनी पड़ी है, क्योंकि हमारा पड़ोसी देश दशकों से वैश्विक आतंकवाद का केंद्र रहा है। प्रमुख अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी हमलों की जड़ें उसी देश में होती हैं। संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकियों की सूची में भी उसी देश के नागरिक शामिल हैं। सीमा पार से हुई बर्बरता का हालिया उदाहरण इस साल अप्रैल में पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों की हत्या है।
भारत ने अपनी जनता को आतंकवाद से बचाने के अधिकार इस्तेमाल किया और इसके साजिशकर्ताओं और अपराधियों को न्याय के दायरे में लाने का काम किया। अमेरिका का नाम लिए बिना जयशंकर ने कहा कि टैरिफ में उतार-चढ़ाव और बाजार तक पहुंच में अनिश्चितता के कारण दुनियाभर के देशों के लिए जोखिम कम करना एक जरूरी कदम बन गया है। व्यापार की बात करें तो गैर-बाजार प्रथाओं ने नियमों और व्यवस्थाओं को प्रभावित किया। इसका नतीजा यह हुआ कि दुनिया को शोषण का सामना करना पड़ा।
यूक्रेन और गाजा में संघर्ष समाप्त करने की अपील
जयशंकर ने यूक्रेन और गाजा में संघर्ष समाप्त करने की अपील की और शांति बहाल करने में मदद करने वाले किसी भी कदम का समर्थन करने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा, हममें से हर किसी के पास शांति और समृद्धि में योगदान देने का मौका है।
संघर्षों में प्रत्यक्ष रूप से शामिल नहीं होने वाले लोग भी इसके असर को महसूस कर रहे हैं। जो देश सभी पक्षों से बातचीत कर सकते हैं, उन्हें समाधान खोजने के लिए और प्रयास करना चाहिए। यूक्रेन और पश्चिम एशिया में दो बड़े संघर्ष चल रहे हैं। इसके अलावा ऐसे कई अन्य क्षेत्र हैं, जो खबरों में भी नहीं आते।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया आतंकवाद की स्वीकारोक्ति
भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में एस. जयशंकर के भाषण पर प्रतिक्रिया देने पर पाकिस्तान पर निशाना साधा और कहा कि इस्लामाबाद की यह प्रतिक्रिया लंबे समय से सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने की हरकत स्वीकार करने जैसी है। जयशंकर के संबोधन के बाद पाकिस्तान ने जवाब देने के अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए भारत पर आतंकवाद को लेकर झूठे आरोप लगाकर पाकिस्तान की छवि धूमिल करने का आरोप लगाया।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया का जवाब देते हुए भारत के स्थायी मिशन में द्वितीय सचिव रेंताला श्रीनिवास ने कहा, यह महत्वपूर्ण है कि जिस पड़ोसी का नाम नहीं लिया गया, उसने फिर भी जवाब देकर सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने की अपनी दीर्घकालिक नीति को स्वीकार कर लिया है। पाकिस्तान की बदनामी खुद ही सब कुछ बता रही है। कई आतंकी घटनाओं में उसके हाथ साफ तौर पर दिखाई देते हैं।
भारत बड़ी जिम्मेदारियां उठाने के लिए तैयार
एएनआइ के अनुसार, जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार पर जोर देते हुए कहा कि इसकी स्थायी और अस्थायी, दोनों सदस्य संख्या बढ़ानी चाहिए और भारत बड़ी जिम्मेदारियां उठाने के लिए तैयार है।
विदेश मंत्री ने कहा-संयुक्त राष्ट्र की विश्वसनीयता में कमी का मुख्य कारण सुधारों का विरोध है। अधिकांश सदस्य बदलाव चाहते हैं, लेकिन प्रक्रिया को परिणाम में बाधा बनाया जा रहा है। यह जरूरी है कि हम इस नकारात्मक सोच को दूर करें और सुधारों को गंभीरता से अपनाएं। उन्होंने यह भी बताया कि भारत ने संकट की घड़ी में अपने पड़ोसियों की जरूरतों को पूरा किया है।
दुनिया को वैश्विक कार्यबल की जरूरत, नई व्यापार व्यवस्थाएं उभरेंगी
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि दुनिया को बड़े पैमाने पर वैश्विक कार्यबल की जरूरत होगी और अनिश्चितताओं के बावजूद नई व्यापार व्यवस्थाएं उभरकर सामने आएंगी। उन्होंने वैश्विक समीकरणों में बदलाव के बीच आर्थिक संबंधों में विविधता लाने के लिए लैटिन अमेरिका और कैरेबियाई देशों के साथ भारत की बढ़ती भागीदारी पर जोर दिया।
न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र से इतर आब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के कार्यक्रम में जयशंकर को कहा कि अनिश्चितताओं के बावजूद व्यापार अपना रास्ता बनाता रहेगा। दुनिया को वैश्विक कार्यबल की जरूरत होगी। हम नई व्यापार व्यवस्थाएं, प्रौद्योगिकी, कनेक्टिविटी और कार्यस्थल माडल देखेंगे, जो कम समय में वैश्विक परि²श्य को बहुत अलग बना देंगे।
(समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)
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