फिर टली वापसी, क्या जल्द धरती पर आ पाएंगी सुनीता विलियम्स? एलन मस्क क्यों हुए असफल, अब क्या होगा
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से सुनीता विलियम्स की वापसी फिर टल गई है। आखिर क्या परेशानियां आईं कि वापसी टल गई। अब आगे कब नासा और एलन मस्क मिलकर सुनीता विलियम्स और उनके साथ बुच विल्मोर की वापसी हो पाएगी। उनके धरती पर आने को लेकर क्या क्या दिक्कतें आ सकती हैं धरती पर आने के बाद वे क्यों कुछ समय पैदल चलने में असमर्थ हो सकती हैं पढ़िए पूरी डिटेल।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अंतरिक्ष से धरती पर सुनीता विलियम्स की वापसी लगभग तय हो गई थी। 12 मार्च के दिन अमेरिकी अंतरिक्ष स्पेस एजेंसी 'नासा' के कैनेडी अंतरिक्ष सेंटर पर सुनीता को वापस लाने के लिए बाकायदा सारी तैयारियां हो चुकी थीं। एलन मस्क की कंपनी 'स्पेसएक्स' के रॉकेट तैयार थे। लेकिन एन वक्त पर लॉन्चिंग को रोक दिया गया। अंतरिक्ष में पिछले 9 महीने से धरती पर वापसी का इंतजार कर रही सुनीता विलियम्स को एक बार फिर निराशा हाथ लगी।
सुनीता विलियम्स को अंतरिक्ष से धरती पर लाने का जिम्मा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 'स्पेसएक्स' के मालिक और अपने दोस्त एलन मस्क को दे रखा है। अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा दी गई इस जिम्मेदारी में एलन मस्क की कंपनी एक बार असफल हो गई। अब फिर सुनीता को वापस लाने के लिए जोरदार कोशिशें जारी हैं।
जब पूरी तैयारी थी, तो क्यों टली वापसी?
- सुनीता विलियम्स को वापस लाने के लिए जो लेटेस्ट प्लान बनाया, उसे ठीक तरह से पूरा नहीं किया जा सका। 'नासा' और एलन मस्क की कंपनी 'स्पेसएक्स' ने मिलकर 9 महीने से अंतरिक्ष में फंसी हुई सुनीता और बुच विल्मोर को वापस लाने की ठानी। इसके लिए स्पेसएक्स ड्रैगन कैप्सूल का उपयोग किया गया है।
- 12 मार्च को फ्लोरिडा में बने नासा के स्पेस सेंटर से रॉकेट 'फाल्कन 9' को लॉन्च किए जाने की पूरी तैयारी थी। इसमें चार एस्ट्रॉनॉट को भी रवाना किया जाना था। जिसमें चार अंतरिक्ष यात्री स्पेस स्टेशन के लिए रवाना होते।
- इनमें दो अमेरिकी और एक एक जापान और रूस के अंतरिक्ष यात्री थे। इन्हें सुनीता और विल्मोर की जगह लेना था।
- स्पेस स्टेशन का हैंडओवर देने के बाद सुनीता और तीन दूसरे सदस्य 16 मार्च को स्पेस स्टेशन से धरती पर आने के लिए रवाना होते। लेकिन दो दिन के लिए यह मिशन टल गया।
फाल्कन 9 रॉकेट में क्या आ गई थी खराबी?
स्पेसएक्स का रॉकेट फाल्कन 9 उड़ने के लिए तैयार था, लेकिन एन वक्त पर ग्राउंड क्लैंप आर्म के साथ हाईड्रोलिक सिस्टम में गड़बड़ हो गई। इस सिस्टम की सहायता से रॉकेट को स्ट्रेट खड़ा किया जाता है। उसी से उड़ान भरने के लिए एनर्जी मिलती है, लेकिन गड़बड़ी की वजह से मिशन को लॉन्चिंग से एक घंटे पहले टाल दिया गया। नासा ने मिशन टलने की जानकारी 'एक्स' पर पोस्ट करके दी।
सुनीता की वापसी को लेकर अब क्या होगा?
- सुनीता विलियम्स को वापस धरती पर लाने के लिए 12 मार्च को जो लॉन्चिंग टली थी। उसमें सिर्फ दो दिनों की देरी हुई है। भारतीय समय के अनुसार 15 मार्च को सुबह 4 बजे के करीब फिर रॉकेट की लॉन्चिंग की जाएगी। नासा भारतीय समयानुसार 16 मार्च की सुबह 7 बजे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से डॉकिंग करेगा।
- इससे पहले 13 मार्च को भी फाल्कन 9 रॉकेट लॉन्चिंग की तैयारी थी, पर मौसम खराब हो गया। इस कारण मिशन टालना पड़ा। तकनीकी समस्याओं को सुलझाने में नासा की टीम जुटी हुई है। यदि भारतीय समयानुसार 16 मार्च को फाल्कन 9 रॉकेट की लॉन्चिंग होती है और सबकुछ सफल रहा तो सुनीता विलियम्स व बुच विल्मोर 19 मार्च तक धरती पर वापस आ सकेंगे।
सुनीता विलियम्स की वापसी की राह में क्या हैं खतरे?
- इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की पृथ्वी से दूरी 400 किलोमीटर है। वायुमंडल हमारी धरती से 100 किमी उंचाई तक है। ऐसे में स्पेस स्टेशन से धरती तक आने में 3 घंटे की अवधि लगती है।
- स्पेस स्टेशन से निकलने के बाद सुनीता और बुच का स्पेसक्राफ्ट वायुमंडल में प्रवेश करेगा। यह प्रक्रिया रिस्की रहेगी।
- वायुमंडल में रीएंट्री के दौरान स्पेसक्राफ्ट की गति 28 हजार किमी प्रतिघंटा से धीमी होना शुरू करेगी। यदि स्पेसक्राफ्ट का कोण सही नहीं रहा, तो यह वायुमंडल में प्रवेश नहीं कर पाएगा। ऐसे में कैप्सूल स्पेस में ही अनिश्चित समय के लिए रह जाएगा।
- 'नासा' के अनुसार दूसरी दिक्कत यह कि स्पेसक्राफ्ट का वायुमंडल में प्रवेश करने के बाद जो घर्षण होगा, उससे उत्सर्जित गर्मी 1500 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा की जो सकती है।
- हालांकि स्पेसक्राफ्ट के आगे टाइल्स और कार्बन फाइलबर कंपोजिट की बनी विशेष हीट शील्ड लगी रहती है। फिर भी तकनीकी खराबी आ गई, तो समस्या हो सकती है।
- लैंडिंग के समय कैप्सूल की रफ्तार 6 किमी प्रति घंटा रहेगी। लैंडिंग होते ही सुनीता और विल्मोर को हेल्थ चेकअप के लिए अस्पताल ले जाया जाएगा।
धरती पर आते ही क्यों पैदल नहीं चल पाएंगी सुनीता?
9 महीने तक सुनीता विलियम्स लगातार स्पेस स्टेशन पर रही। वहां गुरुत्वाकर्षण नहीं है। ऐसे में धरती पर आने के बाद जैसे ही स्पेसक्राफ्ट से एस्ट्रॉनॉट बाहर निकलेंगे, वे ठीक से चलने में असमर्थ रहेंगे। अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण न होने के कारण मसल्स को काम करने की जरूरत ही नहीं पड़ती।
इस कारण उन्हें धरती पर चलने की स्थिति में आने में थोड़ा वक्त लग सकता है।
2006 में एक अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री हैडमाइरी स्टेफेंश्यान पाइपर 12 दिनों तक अंतरिक्ष में रहकर आई। जब स्वागत समारोह के लिए मंच पर आईं तो लड़खड़ाकर गिर गई थीं। ऐसे और भी केसेस आए हैं।
कब गई थीं सुनीता विलियम्स स्पेस स्टेशन?
सुनीता विलियम्स पिछले साल 5 जून को स्पेस मिशन पर गई थीं। उनके साथ बुच विल्मोर भी नासा के इस मिशन पर थे। सुनीता, स्पेसक्राफ्ट की पायलट थीं। वहीं विल्मोर कमांडर थे। वैसे उन्हें 8 दिन में वापस धरती पर आना था, लेकिन स्पेसक्राफ्ट में तकनीकी दिक्कतें आईं तो दोनों वहीं फंस गई और 8 दिन के 9 महीने हो गए।
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