युवाओं में कोविड के अधिक खतरे के लिए वायु प्रदूषण भी जिम्मेदार, श्वसन संक्रमण के खतरों को बढ़ा सकते हैं मौजूद प्रदूषक
वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन में पाया है कि हवा में मौजूद प्रदूषकों के कारण कोरोना से संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है। वैज्ञानिकों की मानें तो यदि हवा की गुणवत्ता ठीक कर दी जाए तो इसके काफी फायदे हो सकते हैं।

लंदन, आइएएनएस। युवाओं पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि यातायात से संबंधित कुछ वायु प्रदूषकों के संपर्क में आने से सार्स सीओवी-2 वायरस से संक्रमित होने का खतरा ज्यादा हो जाता है। 'जेएएमए नेटवर्क ओपन' में प्रकाशित इस अध्ययन में सकारात्मक परीक्षण से दो दिन पहले पार्टिकुलैट मैटर (पीएम)-10 व पीएम-2.5 तथा एक दिन पहले ब्लैक कार्बन के संपर्क में आने और कोरोना पाजिटिव होने के संबंधों का उल्लेख किया गया है।
वायु प्रदूषण भी जिम्मेदार
हालांकि, शोधकर्ताओं को संक्रमण के जोखिम व नाइट्रोजन आक्साइड के बीच कोई संबंध नहीं मिला। स्वीडन स्थित करोलिंस्का इंस्टीट्यूट के पर्यावरण चिकित्सा संस्थान में एसोसिएट प्रोफेसर ओलेना ग्रुजिवा ने कहा, 'हमारे अध्ययन निष्कर्ष सुबूत प्रदान करते हैं कि कोविड संक्रमण के लिए वायु प्रदूषण भी जिम्मेदार है और अगर हवा की गुणवत्ता ठीक कर दी जाए तो इसके काफी फायदे हो सकते हैं।'
प्रदूषक बढ़ा सकते हैं समस्या
बाहरी हवा में मौजूद प्रदूषक इन्फ्लूएंजा व सार्स जैसे श्वसन संक्रमण के खतरों को बढ़ा सकते हैं। अध्ययनों में यह भी पता चला है कि खराब वायु गुणवत्ता वाले क्षेत्रों में कोविड-19 के अधिक मामले सामने आए। हालिया अध्ययन में शोधकर्ताओं ने स्वीडन के स्टाकहोम में नवयुवाओं के घर के आसपास वायु प्रदूषण के संपर्क में आने की आशंकाओं और पीसीआर टेस्ट में सार्स सीओवी-2 पाजिटिव पाए जाने के आंकड़ों का गहनता से विश्लेषण किया। इसमें 425 नवयुवाओं को शामिल किया गया था, जो मई 2020 से मार्च 2021 के अंत तक कोविड पाजिटिव पाए गए थे।
कोविड रोधी वैक्सीन जरूरी
वहीं समाचार एजेंसी पीटीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक बच्चों के कोरोना से संक्रमित होने की आशंकाओं को लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि अधिकांश बच्चे हल्के तौर पर बीमार होते हैं। यही नहीं लक्षण के आधार पर इलाज किए जाने से ये जल्द ठीक भी हो जाते हैं। विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि टीके के पात्र बच्चों को कोविड रोधी वैक्सीन जरूर दी जानी चाहिए।
असमान टीकाकरण चिंताजनक
यही नहीं जान हाप्किन्स के वैज्ञानिकों का कहना है कि असमान टीकाकरण पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। समाचार एजेंसी पीटीआइ के मुताबिक जब तक दुनियाभर में सभी लोगों का टीकाकरण नहीं हो जाता है तब तक कोरोना से सुरक्षा पर जोखिम बना रहेगा। ऐसे में जब कोरोना के नए वैरिएंट सामने आ रहे हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी समय के साथ कमजोर पड़ने लगती हो तो लोगों का पूर्ण टीकाकरण और बूस्टर डोज बेहद जरूरी हो गया है।
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