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    स्किन कैंसर के इलाज की जगी उम्मीद, येल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं विकसित कर रहे इंजेक्शन

    By TaniskEdited By:
    Updated: Fri, 05 Feb 2021 09:01 AM (IST)

    कैंसर की पहचान ही अंतिम चरण में हो पाती है और मरीजों का बचना मुश्किल हो जाता है। इसके इलाज के लिए आम तौर पर सर्जरी किया जाता है। ट्यूमर या कैंसर कोशिक ...और पढ़ें

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    नैनोपार्टिकल्स को ट्यूमर तक पहुंचाकर खत्म की जा सकती हैं कैंसर कोशिकाएं।

    न्यूयॉर्क, आइएएनएस। विश्वभर में होने वाली असमय मौतों के सबसे बड़े कारकों में कैंसर भी शामिल है। इस बीमारी की सबसे बड़ी चुनौती इसकी समय रहते पहचान की है। ज्यादातर मामलों में इसकी पहचान ही अंतिम चरण में हो पाती है और मरीजों को बचाना डॉक्टरों के लिए मुश्किल हो जाता है। इसके इलाज के लिए आम तौर पर सर्जरी का तरीका अपनाया जाता है, जिसमें ट्यूमर या कैंसर कोशिकाओं को काटकर अलग कर दिया जाता है। अब अमेरिकी शोधकर्ता इसके इलाज का विकल्प तलाश रहे हैं।

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    इसकी कड़ी विज्ञानी एक ऐसा इंजेक्शन विकसित कर रहे हैं, जिसके जरिये नैनोपार्टिकल्स को ट्यूमर तक पहुंचाकर कैंसर कोशिकाओं को मारा जा सकता है। शोधकर्ताओं का दावा है कि यह तरीका खास तौर पर स्किन (त्वचा) कैंसर के इलाज की दिशा में गेम चैंजर साबित हो सकता है। इस संबंध में एक अध्ययन जर्नल प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस में प्रकाशित हुआ है। इसमें कहा गया है कि इंजेक्शन आधारित थेरेपी कैंसर के इलाज में कारगर हो सकती है। इसके जरिये एक ही बार में कई ट्यूमर्स को निशाना बनाया जा सकता है।

    शोधकर्ताओं के अनुसार, ट्यूमर के इलाज के लिए इसमें इंजेक्शन के जरिये पॉलीमर -आधारित नैनोपार्टिकल्स भेजे जाते हैं। ये पार्टिकल्स कीमोथेरेपी एजेंट से लैस होते हैं। शोधकर्ताओं ने कहा, इलाज की इस प्रक्रिया की एक खास बात यह है कि ये नैनोपार्टिकल्स बायोएडिसिव होते हैं यानी ये शरीर में प्रवेश करने के बाद ट्यूमर से बंध जाते हैं और धीरे-धीरे कैंसर कोशिकाओं को मारना शुरू कर देते हैं। हालांकि यह प्रक्रिया थोड़ा समय लेती है लेकिन काफी प्रभावी है।

    ऐसे काम करते हैं नैनो पार्टिकल्स

    येल यूनिवर्सिटी से इस अध्ययन के सह-लेखक मार्क साल्टजमैन ने कहा, ' जब आप हमारे नैनोपार्टिकल्स को ट्यूमर के भीतर प्रवेश कराते हैं, तो ये लंबे समय तक उसमें अपनी उपस्थिति बना रखते हैं।' उन्होंने कहा कि नैनोपार्टिकल्स ट्यूमर के मैट्रिक्स में जमा होते हैं और उससे बंध जाते हैं और धीरे-धीरे कैंसर रोधी यौगिकों को छोड़ना शुरू करते हैं, जिससे कैंसर की कोशिकाओं पर असर पड़ता है और वे मरना शुरू हो जाती हैं।

    गेम चैंजर हो सकता है नया तरीका

    साल्टजमैन ने कहा, इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि एक बार कीमोथेरेपी एजेंट शरीर के भीतर पहुंचने के बाद लंबे समय तक काम करते रहते हैं और शरीर में होने वाले घावों से भी आप छुटकारा पा सकते हैं। इसकी तुलना के लिए शोधकर्ताओं ने कैंसर रोधी दवाओं को अन्य तरीकों से ट्यूमर तक पहुंचाया तो वे नैनोपार्टिकल्स की भांति काम नहीं कर पाए। इसलिए शोधकर्ताओं ने कहा कि नए तरीके से कैंसर का इलाज गेम चेंजर साबित हो सकता है।