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नई मांसपेशियों के निर्माण के लिए जरूरी प्रोटीन की हुई पहचान, नए शोध में आया सामने

फार्मालाजिकल एंड फार्मास्यूटिकल साइंसेज के विज्ञानी अशोक कुमार और फिलिप हरग्रोव ने पाया है कि हड्डियों से जुड़ी रहने वाली मांसपेशियों में पूरे शरीर में पाए जाने वाले प्रोटीन का 50-75 प्रतिशत हिस्सा होता है। ये मांसपेशियां चलने-फिरने में मदद करती हैं।

By Neel RajputEdited By: Published: Wed, 22 Dec 2021 12:03 PM (IST)Updated: Wed, 22 Dec 2021 12:03 PM (IST)
नई मांसपेशियों के निर्माण के लिए जरूरी प्रोटीन की हुई पहचान, नए शोध में आया सामने
यूनिवर्सिटी आफ ह्यूस्टन कालेज आफ फार्मेसी के विज्ञानियों का शोध

ह्यूस्टन (अमेरिका), एएनआइ। कोई जख्म होने के बाद उसे भरने के लिए नई मांसपेशियों की जरूरत होती है। किसी व्यक्ति में घाव जल्दी भरता है और किसी में देरी से। अब यूनिवर्सिटी आफ ह्यूस्टन कालेज आफ फार्मेसी के एक नए शोध में ऐसे प्रोटीन की पहचान की गई है, जो कंकाल की मांसपेशियों के पुनर्जनन के लिए जरूरी होता है। यह शोध ‘ईलाइफ जर्नल’ में प्रकाशित हुआ है।

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फार्मालाजिकल एंड फार्मास्यूटिकल साइंसेज के विज्ञानी अशोक कुमार और फिलिप हरग्रोव ने पाया है कि हड्डियों से जुड़ी रहने वाली मांसपेशियों में पूरे शरीर में पाए जाने वाले प्रोटीन का 50-75 प्रतिशत हिस्सा होता है। ये मांसपेशियां चलने-फिरने में मदद करती हैं। ये न सिर्फ प्रचुरता में मौजूद होते हैं, बल्कि मानव शरीर की अवस्था (पास्चर) के लिए जरूरी गतिशील ऊतक होते हैं और चलने-फिरने, सांस लेने में मदद करने के साथ ही पूरे शरीर के मेटाबोलिज्म (चयापचय) को भी कंट्रोल करते हैं। इसलिए जब कंकाल की मांसपेशियां (स्केलटल मसल) किसी कारणवश चोटिल हो जाती हैं या उसमें घाव या क्षरण हो जाता है तो काफी जटिलताएं पैदा होती हैं।

शोधकर्ता अशोक कुमार ने बताया कि हमने एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम (एक ऐसा उपांग जो प्रोटीन के उत्पादन, फोल्डिंग और गुणवत्ता नियंत्रण में शामिल होता है) की झिल्ली में आइआरई1 और एक्सबीपी1 नामक प्रोटीन की पहचान की है, जो नए स्केलटल मसल के निर्माण के लिए जरूरी होते हैं। नए स्केलटल मसल के निर्माण की प्रक्रिया की इस समझ के आधार पर मांसपेशी संबंधी आनुवंशिक या क्षरण संबंधी बीमारियों का इलाज ढूंढ़ना आसान हो सकेगा।

कुमार ने बताया कि हमने माडल अध्ययन में पाया कि यदि स्केलटल मसल से आइआरई1 या एक्सबीपी1 नामक प्रोटीन को हटा दिया जाता है तो स्केलटल मसल की मरम्मती अमूमन नहीं हो पाती है। ये प्रोटीन स्थानीय स्टेम सेल के विकास और स्केलटल मसल के पुनर्जनन में मददगार होते हैं। यदि आइआरई1 को स्केलटल मसल से हटा दिया जाए तो मसल स्टेम सेल कम हो जाते हैं, जिससे मस्कुलर डिस्ट्राफी की भी समस्या पैदा होती है।

अब, इसका शोध चल रहा है कि क्या आइआरई1 तथा एक्सबीपी1 को सक्रिय करने से मांसपेशियों के चोटिल होने या क्षरण होने की स्थिति में स्केलटल मसल के पुनर्जनन की गति में सुधार हो सकता है। यदि यह शोध सफल होता है तो मांसपेशियों से संबंधित बीमारियों का नए इलाज और दवा का विकास किया जा सकता है। इसके लिए अभी और शोध की जरूरत होगी ताकि इससे एक नई थेरेपी विकसित हो और उसे क्लिनिकल इलाज के लिए उपयोग में लाया जा सके। उम्मीद है कि विज्ञानियों को जल्दी ही इसमें कामयाबी मिलेगी।


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