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    क्या है ट्रंप का 'प्रोजेक्ट फायरवॉल', भारतीयों पर क्यों पड़ेगा सबसे ज्यादा असर? 10 प्वाइंट में समझें

    Updated: Sat, 20 Sep 2025 09:30 PM (IST)

    अमेरिकी श्रम विभाग ने प्रोजेक्ट फायरवॉल शुरू किया है जो H-1B वीजा को लक्षित करता है। यह कदम राष्ट्रपति ट्रंप के अमेरिका फर्स्ट एजेंडे को आगे बढ़ाने के रूप में देखा जा रहा है। इस परियोजना का उद्देश्य अमेरिकी कर्मचारियों की सैलरी और नौकरी के अवसरों की रक्षा करना है साथ ही H-1B कार्यक्रम का दुरुपयोग करने वालों को दंडित करना है।

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    क्या है ट्रंप का 'प्रोजेक्ट फायरवॉल' ? (फाइल)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमिरिकी लेबर डिपार्टमेंट ने 'प्रोजेक्ट फायरवॉल' शुरू किया है जो मुख्य रूप से H-1B वीजा को टार्गेट करेगा। लेबर डिपार्टमेंट ये कदम राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 'अमेरिका फर्स्ट' के एजेंडे को आगे बढ़ाने के तौर पर देखा जा रहा है जिसमें ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं जो H-1B वीजा आवेदक को 1 लाख अमेरिकी डॉलर के भुगतान का आदेश देता है।

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    लेबर डिपार्टमेंट अधिकारियों के मुताबिक, 'प्रोजेक्ट फायरवॉल' अमेरिकी कर्मचारियों के सैलरी और नौकरी के अवसरों की रक्षा करेगा और साथ ही एच-1बी कार्यक्रम का दुरुपयोग करने वालों को दंडित करेगा।

    क्या है प्रोजेक्ट फायरवॉल? जानिए 10 बड़ी बातें

    प्रोजेक्ट फायरवॉल अमेरिकी श्रम विभाग की एक पहल है जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि अमेरिकी कंपनियां एच-1बी वीजा कार्यक्रम का दुरुपयोग न करें। इसका उद्देश्य उन कंपनियों की जांच करके अमेरिकी कर्मचारियों की सुरक्षा करना है जो विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करती हैं, खासकर हाई स्किल वाले सेक्टर, जैसे आईटी।

    क्यों है इतना महत्वपूर्ण ?

    आईटी कंपनियों और उद्योगों के लिए जो एच-1बी कर्मचारियों पर बहुत अधिक निर्भर हैं, प्रोजेक्ट फायरवॉल का मतलब कड़ी जामच, ज्यादा लागत और सख्त अनुपालन आवश्यकताएं हो सकती हैं। अमेरिकी कामगारों के लिए, इसे नौकरी छूटने से बचाव के तौर पर बेचा जा रहा है।

    प्रोजेक्ट फायरवॉल, ट्रंप के नए 100,000 डॉलर सालाना H-1B शुल्क के साथ, अमेरिकी कंपनियों के लिए विदेशी प्रतिभाओं खासकर भारतीयों को नियुक्त करना महंगा बनाकर आईटी सेक्टर की कायाकल्प कर सकता है, जिनकी संख्या सभी H-1B धारकों में लगभग तीन-चौथाई है।

    सिलिकॉन वैली की दिग्गज कंपनियों और आईटी सेवा कंपनियों के लिए, इसका मतलब है ज्यादा खर्च, कम नियुक्तियां, और एक्सपर्ट इंजीनियरों और प्रोग्रामरों पर निर्भर महत्वपूर्ण परियोजनाओं में संभावित देरी।

    अमेरिकी विश्वविद्यालय अभी भी मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त कुशल कर्मचारी तैयार नहीं कर पा रहे हैं, इसलिए इस कार्रवाई से प्रतिभा की कमी और गहरी होने का खतरा है, जिससे इनोवेशन और कॉम्पटीशन प्रभावित हो सकता है, ठीक उसी समय जब अमेरिका एआई, सेमीकंडक्टर और हाईटेक सेक्टर में वैश्विक प्रतिद्वंद्वियों से जूझ रहा है।

    ट्रंप का असर

    यह पहल अमेरिकी कामगारों को प्राथमिकता देने के ट्रंप के एजेंडे और विदेशी कामगार वीजा पर अंकुश लगाने के उनके वादे को दर्शाती है। इसका समय उनके कार्यकारी आदेश के दिन ही एक समन्वित प्रयास को दर्शाता है।

    अमेरिका फर्स्ट पर फोकस

    लेबर डिपार्टमेंट ने कहा कि "ट्रंप प्रशासन अमेरिकियों को पीछे छोड़ने वाली प्रथाओं को समाप्त करने की अपनी प्रतिबद्धता पर कायम है। जैसे-जैसे हम आर्थिक प्रभुत्व पुनः स्थापित कर रहे हैं, हमें अपने सबसे मूल्यवान संसाधन: अमेरिकी कामगार, की रक्षा करनी होगी।"

    ट्रम्प ने क्या कहा?

    ट्रम्प ने गोल्ड कार्ड की घोषणा करते हुए अवैध विदेशियों को टार्गेट किया और इस बात पर जोर दिया कि यह इमिग्रेशन प्रोसेस को और मजबूत बनाएंगे। ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट में कहा "आज हमें ट्रंप गोल्ड कार्ड की घोषणा करते हुए गर्व हो रहा है। यह कार्ड व्यक्तियों के लिए 1 मिलियन डॉलर और निगमों के लिए 2 मिलियन डॉलर में उपलब्ध होगा।"

    "बहुत लंबे समय से, हमारे देश में लाखों अवैध विदेशी घुस रहे हैं, और हमारा इमिग्रेशन सिस्टम चरमरा गया है। अब समय आ गया है कि अमेरिकी लोग और अमेरिकी करदाता हमारी कानूनी आव्रजन प्रणाली से लाभान्वित हों। हमारा अनुमान है कि ट्रंप गोल्ड कार्ड बहुत जल्द 100 बिलियन डॉलर से भी ज्यादा की कमाई करेगा। इस पैसे का इस्तेमाल टैक्स में कटौती, विकास परियोजनाओं को बढ़ावा देने और हमारे ऋण का भुगतान करने के लिए किया जाएगा।,"

    श्रम विभाग ने X पर एक पोस्ट में घोषणा की, "H-1B वीजा का दुरुपयोग करने वाली कंपनियों के दिन अब लद गए हैं। प्रोजेक्ट फायरवॉल, हमारी योजना यह सुनिश्चित करने की है कि हाई स्किल्ड जॉब्स सबसे पहले अमेरिकियों को मिलें।"

    श्रम सचिव करेंंगी निगरानी

    इतिहास में पहली बार, श्रम सचिव जो अभी लोरी शावेज-डेरेमर हैं। H-1B जांच की शुरुआत को व्यक्तिगत रूप से प्रमाणित करेंगी। यह कदम इस कार्रवाई की गंभीरता को रेखांकित करता है।

    कैसे होगी जांच?

    संघीय कानून के तहत पहले से ही दिए गए अधिकारों का उपयोग करते हुए, विभाग H-1B धोखाधड़ी या दुरुपयोग के संदिग्ध कंपनियों की जांच करेगा। जांच उचित कारण से शुरू की जा सकती है कि कोई नियोक्ता वीजा नियमों का पालन नहीं कर रहा है।

    नियमों का उल्लंघन करने पर सजा

    • नियमों का उल्लंघन करते पकड़े जाने पर नियोक्ताओं (कंपनियों) को कठोर परिणाम भुगतने होंगे।
    • प्रभावित कर्मचारियों को बकाया वेतन का भुगतान
    • नागरिक दंड
    • एक निश्चित अवधि के लिए H-1B कार्यक्रम से प्रतिबंध

    कई एजेंसियां करेंगी काम

    प्रोजेक्ट फायरवॉल अकेले काम नहीं करेगा। श्रम विभाग अनुपालन सुनिश्चित करने और अमेरिकी कर्मचारियों के विरुद्ध भेदभाव को रोकने के लिए अन्य सरकारी एजेंसियों के साथ जानकारी साझा करने और समन्वय करने की योजना बना रहा है।

    मुख्य उद्देश्य 'अमेरिका फर्स्ट'

    प्रोजेक्ट फायरवॉल मुख्य उद्देश्य नौकरी बाजार में 'अमेरिकी फर्स्ट' के सिद्धांत को फिर से स्थापित करना है। यह सुनिश्चित करना कि हाई स्किल्ड पॉजिशन अमेरिकी नागरिकों को दिए जाएं और वीजा पर विदेशी कर्मचारियों का दबदबा न हो।

    भारतीयों पर पड़ेगा सबसे ज्यादा असर

    प्रोजेक्ट फायरवॉल का भारतीयों पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि पिछले साल भारत H-1B वीजा का सबसे बड़ा लाभार्थी था। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, लगभग 71 प्रतिशत भारतीय लाभार्थी थे, जबकि चीन 11.7 प्रतिशत के साथ दूसरे स्थान पर था।

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